Samastipur: रासायनिक दवाओं पर नहीं रहना पड़ेगा निर्भर, तंबाकू की डंठल से कीटनाशी बनाएं, आमदनी में इजाफा पाएं
समस्तीपुर में बड़े पैमाने पर तंबाकू की खेती की जाती है। यह नकदी आय का बड़ा स्रोत है। कुछ किसान तंबाकू के कटने के बाद उसकी डंठल से कीटनाशी बना रहे। कीटनाशी बनाने के आसान उपाय की सीख लेने पर दवाओं पर नहीं रहना पड़ेगा निर्भर।
समस्तीपुर, जागरण संवाददाता। समस्तीपुर में बड़े पैमाने पर तंबाकू की खेती की जाती है। यह नकदी आय का बड़ा स्रोत है। कुछ किसान इसे और उपयोगी बनाने में जुटे हैं। तंबाकू के कटने के बाद उसकी डंठल से कीटनाशी बना रहे। रबी मौसम में फसलों में होनेवाले रोगों व हानि पहुंचानेवाले कीटों से रक्षा के लिए किसानों को विभिन्न तरह की रासायनिक कीटनाशी दवाओं पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। कीटनाशी दवा का निर्माण घर बैठे किसान कर सकेंगे। फसलों को हानि पहुंचाने वाले कीट जैसे लाही श्वेत मक्खी, फली छेदक, पिल्लू तथा मधुआ कीट की रक्षा के लिए कारगर उपाय है।
कृषि समन्वयक पंकज कुमार बताते हैं कि तंबाकू से बनी कीटनाशी कम खर्च में वातावरण को सुरक्षित रखने में सहायक है। बताया जा रहा कि एक किलोग्राम तंबाकू की डंठल व कास्टिक सोडा से 80 लीटर घोल तैयार हो सकता है।
कीटनाशी बनाने का आसान उपाय
कीटनाशी बनाने के लिए उपयुक्त संसाधनों की आवश्यकता के विषय में जानकारी देते हुए कृषि समन्वयक ने बताया कि एक किलो ग्राम तंबाकू की डंठल का चूर्ण बनाकर 10 लीटर खौलते पानी में डालना है। आधा घंटा उबालने के बाद घोल का रंग जब गाढ़ा हो जाए तब उस घोल को ठंडा कर लें। इसके बाद घोल को सूती कपड़े से छानकर उसके रस में 20 ग्राम सस्ती डिटरर्जेंट मिलाया जाता है। डिटरर्जेंट मिलाए घोल को 80-100 लीटर पानी में मिलाकर इसका छिड़काव करते है। दलहनी एवं सब्जियों पर छिड़काव करने से लाही, श्वेत मक्खी, फलीछेदक, पिल्लू एवं मधुआ इत्यादि किट को नियंत्रित कर बचा जा सकता है।
किसानों की आय होगी दोगुनी
कृषि विभाग का उद्देश्य है कि किसान कम लागत में अधिक उत्पादन, रासायनिक कीटनाशक का व्यवहार न कर जैविक कीटनाशक, वानस्पतिक कीटनाशक, समेकित कीट प्रबंधन पर जागरूक कर किसानों को आत्मनिर्भर बनाने की योजना है।