किसी जुर्म में जेल गए हो...हम का, हमारे मामा तक नहीं गए साब, पुलिस पकड़ न पाई...
अभिनेता अमिय कश्यप की पान सिंह तोमर के सेट पर इरफान खान से हुई थी मुलाकात। फिल्म के संवादों को याद कर हुए भावुक।
समस्तीपुर, [अंगद कुमार सिंह]। सिपाही पान सिंह! तुमने बताया तुम्हारे मामा डाकू हैं? ना डाकू.. ना साब...बागी। बड़े भले आदमी हैं साब। देखो, जितना पूछा जाए उतना जवाब दो। रिकॉर्ड में तो नहीं हैं। लेकिन, क्या कभी किसी जुर्म के सिलसिले में जेल गए हो? हम का हमारे मामा तक नहीं गए साब, पुलिस पकड़ न पाई। कट-कट....शॉट ओके। पान सिंह तोमर का यह सीन आज बरबस याद आता है। संवाद और अभिनय शानदार...। शीर्षक किरदार निभा रहे इरफान खान...नाट््य अभिनय की किताब थे। वक्त कैसे बीत जाता है...आदमी छोड़कर चला जाता है। बिहार सिने आर्टिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष सह हिंदी, भोजपुरी व मैथिली फिल्मों के अभिनेता अमिय कश्यप उस मुलाकात को याद करते हैं। बातचीत में वे भावुक हो जाते हैं। इरफान खान के निधन से वे आहत हैं।
आन फिल्म के सेट पर भी हुई थी मुलाकात
कहते हैं, एक मुकाम पर पहुंचने के बाद भी वे नवोदित कलाकारों को सम्मान की ²ष्टि से देखते थे। उनका उत्साहवर्धन किया करते थे। जब भी कोई नया संघर्षशील कलाकार उनसे मिलता तो अपने शुरुआती दिनों के संघर्ष को बताना नहीं भूलते।
2004 में आई हिंदी फिल्म आन व बाद के दिनों में आई सुपरहिट फिल्म पान सिंह तोमर की शूटिंग के दौरान मुंबई में शिष्टाचार मुलाकात हुई थी। शूटिंग शेड्यूल के बीच यदि उनसे कोई मिलने आता तो सम्मान के साथ मेकअप-वैन में बैठाकर बात किया करते थे। कलाकरों को काम के प्रति संवेदनशील होने की बात करते हुए अभिनय को जीने की सलाह देते रहते। एक अभिनेता के तौर पर उनका व्यक्तित्व जो था, वह उससे भी कहीं आगे थे। हमेशा मुस्कुराते रहने की आदतों के कारण साथी कलाकारों के प्रिय थे। हम सभी ने अभिनय के विश्वविद्यालय के एक किताब को खो दिया।
इरफान खान के निधन पर कलाकारों ने जताया दुख
बॉलीवुड व हॉलीवुड फिल्मों के अभिनेता इरफान खान के आकस्मिक निधन की खबर से सिनेमाई कलाकारों सहित उनके प्रशंसकों में शोक की लहर है। नवोदित अभिनेता उनकी अभिनय क्षमता से बहुत कुछ सीखते थे।