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Darbhanga: यासीन भटकल ने बेरोजगारी व गरीबी को केंद्र में रखकर बनाया था मिथिलांचल का 'आतंकी मॉड्यूल'

दरभंगा में आतंकियों का ग्रामीण कनेक्शन कर रहा लोगों को परेशान इंडियान मुजाहिद्दीन के चीफ यासीन भटकल ने बेरोजगारी व गरीबी को केंद्र में रखकर बनाया था मिथिलांचल का आतंकी मॉड्यूल इंजीनियर और रातो-रात अमीर बनने का सपना दिखाकर भटकल ने तैयार किया था आंतकियों का नेटवर्क

By Dharmendra Kumar SinghEdited By: Published: Mon, 28 Jun 2021 05:17 PM (IST)Updated: Mon, 28 Jun 2021 05:17 PM (IST)
Darbhanga: यासीन भटकल ने बेरोजगारी व गरीबी को केंद्र में रखकर बनाया था मिथिलांचल का  'आतंकी मॉड्यूल'
आतंकियों का ग्रामीण कनेक्शन आसानी से काम कर जाता। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

दरभंगा, [मुकेश कुमार श्रीवास्तव] । आतंकी मॉड्यूल को लेकर मिथिलांचल का दरभंगा शहर वर्षों से चर्चित है। यहां के समृद्ध इतिहास और संस्कृति की पूरी दुनिया में अलग पहचान है। लोग भोले हैं। गांवों में गरीबी है। सो यहां आतंकियों का ग्रामीण कनेक्शन आसानी से काम कर जाता है। हाल के दिनों में दरभंगा व इससे सटे समस्तीपुर और मधुबनी में कोई आतंकी नहीं दबोचा गया। लेकिन, इस धरती पर आज भी इंडियन मुजाहिदीन (आइएम) के मुख्य सरगना यासीन भटकल के काङ्क्षरदों की मौजूदगी की बात एक बार फिर दरभंगा ब्लास्ट के बाद चल पड़ी है। वजह यह कि यासीन ने यहां बिल्कुल आम आदमी की तरह काम किया और तहसीन अख्तर उर्फ मोनू जैसे आतंकी को खड़ा कर दिया। इस स्थिति में आतंकियों का ग्रामीण कनेक्शन बेहद खतरनाक माना जा रहा है।

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दरअसल, भटकल ने मिथिलांचल के भोलेपन और गरीबी को टारगेट कर अपना संगठन को इस इलाके में खड़ा किया था। वर्ष 2007 से 2010 के बीच इन इलाकों में रहकर उसने संगठन विस्तार किया था। हिन्दी, अंग्रेजी, फारसी, उर्दू, अरबी भाषा पर मजबूत पकड़ रखनेवाला भटकल समय-समय पर अपना रूप बदलता रहा। कभी वह इंजीनियर बना तो कभी साइकिल पर कपड़ा बेचनेवाला। बाद में साइकिल मरम्मत की दुकान भी चलाने लगा। मौलाना के बीच जब वह तकरीर करता था तो अच्‍छे- अच्‍छे को सोचने पर मजबूर कर देता था। इस दौरान वह लगातार ठिकाना बदलता रहा। इसके पीछे यहां के गरीब छात्रों को टारगेट कर उसे अपने संगठन में जोडऩे के साथ स्वयं को सुरक्षित रखना उसका मुख्य उद्देश्य था। सबसे पहले उसने मधुबनी जिले के बासोपट्टी क्षेत्र में अपना ठिकाना बनाया था। समय -समय पर नेपाल जाकर अपने साथियों से भी मिलता था। इस बीच जब वह दरभंगा आया तो शहर के शख्स को उसने पहले फंसाया और ग्रामीण इलाके के युवाओं को जोडऩे के लिए नेटवर्किंग बिजनेस चलाया। इसके माध्यम से वह एक मजबूत संगठन खड़ा कर लिया। इस दौरान वह लहेरियासरासय में रहकर गरीब मुस्लिम युवाओं को रोजगार देने के नाम पर जाल में फंसाया। इस इलाके में भटकल एक दर्जी के मकान में बतौर किराएदार था।

इस इलाके में उसने समस्तीपुर जिले के कल्याणपुर थाना क्षेत्र के मनियारपुर गांव निवासी पॉलीटेक्निक के छात्र तहसीन अख्तर उर्फ मोनू को भी जोडऩे का काम किया। हालांकि, बाद में उसने अपना ठिकाना मब्बी ओपी के शिवधारा के जमालचक मोहल्ला में बना लिया। इस दौरान वह शिवधारा में साइकिल मरम्मत की दुकान चलाने लगा। जहां बाढ़ समैला निवासी मो. कफील अहमद को फांसकर केवटी, रैयाम और जाले थानाक्षेत्र के कई लोगों को जोड़ लिया। भटकल के सामने जो आया वह फंसता गया। किसी को इंजीनियर, किसी को रोजगार आदि की लालच देकर रातो-रात अमीर बनाने का सपना दिखाता था। 21 जनवरी 2013 को जब एनआइए ने दानिश अंसारी को लहेरियासराय के चकजोहरा मोहल्ला स्थित आवास से गिरफ्तार किया तो पूछताछ से इसका खुलासा हुआ था। दानिश ने बताया था कि उसे भटकल इंजीनियर बनाने का ख्वाब दिखाकर दिल्ली ले गया और अपने संगठन से जोड़ लिया। इस तरह से यहां के गरीब व बेरोजगार मुस्लिम युवा आतंकियों के निशाने पर रहे हैं। ताजा घटना के बाद इस ङ्क्षबदु पर चर्चा तेज हो रही है कि कहीं आतंक का ग्रामीण कनेक्शन तो परेशान नहीं कर रहा। हालांकि, सुरक्षा एजेंसियों ने फिलहाल मुह बंद रखा है।


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