वाहवाही लूटने के लिए पंचायत को घोषित किया ODF, पर आधी आबादी को अब भी शाम होने का इंतजार
जमीन के अभाव में नहर किनारे बसे हैं भूमिहीन परिवार कहां बनवाएं। पूर्व में शौचालय बनवा चुके लोग ले रहे प्रोत्साहन राशिवंचितों में दलित वर्ग के लोग।
मुजफ्फरपुर, शिवशंकर विद्यार्थी। सरकारी हुक्मरानों ने वाहवाही लूटने के लिए आनन-फानन में पंचायतों को ओडीएफ यानी खुले में शौच से मुक्त घोषित कर दिया, लेकिन वहां की स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया। सरकारी रिकॉर्ड कहता है कि गांव के सभी परिवारों में शौचालय बन गया और वे इसका प्रयोग करते हैं। मगर, दावों से इतर सच्चाई कुछ और दिख रही है। ओडीएफ घोषित विशुनपुर सरैया पंचायत में एक हजार परिवार रहते हैं जिनकी आबादी 7035 है।
राशि पाने के लिए लगा रहे कार्यालय के चक्कर
500 परिवारों ने शौचालय का निर्माण करा लिया है, लेकिन प्रोत्साहन राशि पाने के लिए कार्यालय का चक्कर लगाते- लगाते थक चुके हैं। एक सौ परिवारों ने शौचालय निर्माण से संबंधित सभी कागजात जमा करा दिया है, लेकिन भुगतान नहीं होने से परेशान हैं। दलित समुदाय की संख्या सर्वाधिक है। शौचालय निर्माण से वंचित परिवारों के लोग खुले में शौच जाने को विवश हैं। सर्वाधिक परेशानी आधी आबादी को है जिन्हें शौच जाने के लिए शाम का इंतजार करना पड़ता है।
लोहिया स्वच्छता अभियान के शौचालय निर्माण के लिए आमलोगो को प्रेरित करने जैसे अभियान पर सरकार ने पानी के तरह पैसे खर्च किए। गांवों में खासकर दलित, महादलित बस्ती में अधिकारी बैठक करते रहे। सरकारी स्तर पर बुलाए गए कलाकारों द्वारा नाटक के माध्यम से शौचालय की जरूरत बताई गई जिसका खास प्रभाव नहींं पड़ा। मगर जिन परिवारों में पूर्व से शौचालय बना हुआ है, वैसे परिवारों को प्रोत्साहन राशि का भुगतान किया गया और भुगतान की प्रक्रिया आज भी चल रही है।
सुबह होते लोटा लेके जाते खेत की ओर
बता दें कि इस पंचायत में सुबह-सुबह पूर्व की तरह पुरुष महिलाएं व बच्चे हाथों में लोटा, बोतल और डिब्बा लिए खेतों की ओर जाते दिख जाते हैं। ऐसे कुछ लोगों ने पूछने पर बताया कि हमारे पास अपनी कोई जमीन नहीं होने के कारण नहर किनारे एवं सड़क किनारे झोपड़ी बनाकर दशकों से जीवन बसर करते आ रहे हैं। शौचालय या गृह निर्माण के लिए जमीन की जरूरत होती है। सरकार को हम गरीबों को जमीन उपलब्ध करा शौचालय बनवाना चाहिए ताकि हमलोगों का भी शौचालय में शौच करने का सपना पूरा हो जाता।
बता दें कि दो वर्ष पूर्व लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग द्वारा पंचायत के गांवों मे दो सौ से अधिक शौचालयों का निर्माण करवाया गया था। दो साल बाद लोहिया स्वच्छता अभियान के तहत उक्त शौचालय पर भी शौचालय निर्माण की राशि का भुगतान कराए जाने की चर्चा हो रही है जो जांच का विषय है। इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि समाज के अधिकतर परिवार के लोगों में शौचालय की जरूरत होने की सोच का अभाव है।
इस बारे में मुखिया जगजीवन राम ने कहा कि खुले में शौच जाने से होने वाली बीमारी के संबंध कोई जानकारी नहीं रहना भी स्वच्छता अभियान की सफलता को प्रभावित कर रहा है। वैसे गांवों में शौचालय निर्माण कार्य तीव्र गति से चल रहा है, भुगतान भी किया जा रहा है। पांच सौ से अधिक घरों में शौचालय निर्माण कार्य पूरा होने के साथ ही बचे परिवारों को शौचालय निर्माण के लिए जागरूक किया जा रहा है। पहले की अपेक्षा अब कम लोग खुले में शौच जाते हैं।
वहीं, बीडीओ संजय कुमार सिन्हा ने कहा कि हमारी कोशिश है कि प्रखंड का कोई ऐसा गांव और परिवार न रहे, जिनके घरों में शौचालय न हो। जिन लोगो को अपनी जमीन नहीं है, वैसे परिवारों के लिए सरकार जमीन उपलब्ध कराती है। अब खुले में शौच जाते लोग खोजने से भी जल्द नहीं मिल पाते।