पश्चिम चंपारण में गांवों की कौन कहे , यहां प्रखंड मुख्यालय की सड़कें भी जर्जर
गौनाहा का जंगली इलाका सहित प्रखंड का बड़ा भाग शाम होते ही अंधेरे में डूब जाता है। प्रखंड मुख्यालय में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र जरूर है लेकिन लेकिन स्वास्थ्य केंद्र में सुविधाओं की घोर कमी है। गंभीर बीमारियों के इलाज कराने वाले मरीज आने पर उन्हें रेफर कर दिया जाता है।
पश्चिम चंपारण, जेएनएन। नेपाल के तराई इलाके से सटे प्रखंड गौनाहा की प्राचीन इतिहास है। वर्ष 1953 में यह इलाका थरूहठ क्षेत्र में शामिल हुआ। थरूहट क्षेत्र में शामिल होने के बाद उम्मीद जगी कि इस इलाके का समुचित विकास होगा। लेकिन इलाके का विकास जस का तस रहा। विकास की गति काफी धीमी रही। आज भी गौनाहा प्रखंड मुख्यालय समस्याओं के मकड़जाल में उलझा है। पक्की सड़क से नहीं जुड़ सका है। गौनाहा स्टेट बैंक से प्रखंड मुख्यालय तक जाने वाली मुख्य सड़क में जगह-जगह गड्ढे, गंदगी, खुले में शौच इसकी पहचान बनी हुई है। प्रखंड मुख्यालय के आसपास लगभग 6000 की आबादी है। कई वर्षों से लोग इस सड़क के जीर्णोद्धार का बाट जोह रहे हैं। हल्की बारिश में ही सड़क कीचड़ से लबालब भर जाता है। जगह-जगह पर पानी भर जाता है। प्रखंड मुख्यालय के आसपास जगह में पीएचडी से नल जल का काम हुआ है। लेकिन मुख्यालय के आसपास इलाकों में दर्जनों नलों में टोटी नहीं होने की वजह से हजारों लीटर पानी प्रतिदिन बर्बाद हो रहा है। सरकार नहर, पोखर के जीर्णोद्धार की योजनाएं चला रही है। लेकिन प्रखंड मुख्यालय के ठीक सामने पोखर अपने अंदर गंदगी के अंबार लेकर बैठी है। प्रखंड मुख्यालय के आसपास सार्वजनिक शौचालय नहीं होने के चलते लोग सैकड़ों की संख्या में प्रखंड में आते हैं और खुले में शौच करने को मजबूर हैं। जो गंभीर बीमारी को जन्म देती है
स्वास्थ्य और शिक्षा की स्थिति बदतर
प्रखंड में स्वास्थ्य और शिक्षा की स्थिति भी काफी खराब है। प्रखंड मुख्यालय में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र जरूर है लेकिन लेकिन स्वास्थ्य केंद्र में सुविधाओं की घोर कमी है। साधन नहीं रहने के कारण गंभीर बीमारियों के इलाज कराने वाले मरीज आने पर उन्हें रेफर कर दिया जाता है। ग्रामीण एकलाख खा, चंदन दत्त बताते हैं कि बरसात के दिनों में अस्पताल तक आना एक दुकान है क्योंकि यहां पहुंचने वाले सड़क की स्थिति काफी खराब है। पीएचसी में जरूरी दवाइयां नहीं मिलने के कारण लोग बाजार से दवाई खरीदने को विवश हैं। गौनाहा में उच्च शिक्षा के लिए कोई समुचित व्यवस्था नहीं है। ग्रामीण अमित कुमार, बालकुमार गुरो बताते हैं कि अगर प्रखंड में ग्रेजुएशन कॉलेज की स्थापना हो जाए तो थरूहट इलाके के बच्चे शिक्षा दर के प्रतिशत बढ़ा सकते हैं। उच्च शिक्षा की व्यवस्था नहीं होने के कारण साधनहीन लोगों के बच्चे पढ़ाई बीच में ही छोड़ने को मजबूर हो जाते हैं।
ट्रेन चलने का आज भी लोग कर रहे हैं इंतजार
गौनाहा निवासी निर्मल शर्मा, नागेंद्र शर्मा, छोटन श्रीवास्तव बताते हैं कि थरूहठ का इलाका परिवहन के मामले में पिछड़ा हुआ है। रेल सेवा इस इलाके के लिए बड़ी चुनौती बनी हुई है। नरकटियागंज से भिखनाठोरी का ऐतिहासिक रेलखंड पर कई वर्षों से ट्रेनों का परिचालन ठप है। जिसका असर यहां के विकास पर भी पड़ा है।
शाम होते ही अंधेरे में डूब जाता है इलाका
गौनाहा का जंगली इलाका सहित प्रखंड का बड़ा भाग शाम होते ही अंधेरे में डूब जाता है। बिजली की व्यवस्था जरूर है लेकिन बिजली कटती रहती है। ग्रामीण विकास सोनी, सुजीत मंडल, सिकंदर महतो आदि बताते हैं कि प्रखंड मुख्यालय के आसपास इलाकों में सोलर लाइट होना जरूरी है। यह इलाका जंगल से सटा है। हमेशा जंगली जानवर जंगल से निकल कर रिहायशी इलाकों में चले आते हैं। सोलर लाइट लग जाने से जानवरों से भय थोड़ा कम हो होगा।
आधार काउंटर की कमी
सरकार आधार कार्ड को अनिवार्य कर दी है। आधार पहचान का एक अच्छा दस्तावेज है। नेपाल से सटे होने के बाद भी यहां के लोगों को आधार कार्ड बनवाने में काफी परेशानी होती है। ग्रामीण अनवारूल हक, जिगर गुप्ता आदि बताते हैं कि आधार कार्ड बनवाने के लिए सुबह से ही लोग प्रखंड में पहुंचने लगते हैं। लेकिन एक काउंटर होने के चलते लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। इसीलिए जरूरी है कि इस व्यवस्था को सुदृढ़ किया जाए ताकि लोग आसानी से अपना आधार कार्ड बनवा सके।
निराकरण के लिए प्रखंड प्रमुख करेंगे पहल
गौनाहा की समस्याओं का निराकरण के लिए प्रखंड प्रमुख सुदामा पासवान पहल करेंगे। प्रखंड प्रमुख ने बताया कि प्रखंड की समस्याओं से संबंधित अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों से अवगत कराया जाएगा। समस्याओं के बारे में जानकारी देकर इस से निजात का रास्ता निकाला जाएगा।