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Bihar Flood : जब बाढ़ ने किया घर से बेघर तो प्रशासन ने भी मोड़ लिया मुंह

Bihar Flood बांध स्कूल और अन्य जगहों पर रह रहे विस्थापित परिवार के लोग। सरकार नहीं मान रही मधुबनी में है बाढ़ सुविधाओं से पीडि़त वंचित।

By Ajit KumarEdited By: Published: Wed, 29 Jul 2020 10:13 AM (IST)Updated: Wed, 29 Jul 2020 10:13 AM (IST)
Bihar Flood : जब बाढ़ ने किया घर से बेघर तो प्रशासन ने भी मोड़ लिया मुंह
Bihar Flood : जब बाढ़ ने किया घर से बेघर तो प्रशासन ने भी मोड़ लिया मुंह

मधुबनी, जेएनएन। मधुबनी में इस बार नदियों ने भारी तबाही मचाई है। जिले के तीन प्रखंडों बेनीपट्टी, मधवापुर और बिस्फी की दो लाख से अधिक की आबादी बाढ़ का कहर झेल रही। धौंस नदी के उफनाने के बाद बाढ़ से विस्थापित परिवार को सरकारी स्तर पर किसी भी प्रकार की सहायता नहीं मिल रही है। घर में पानी घुसने के कारण विस्थापित होकर वे सड़क, बांध व अन्य जगहों पर शरण लेने को विवश हैं। बाढ़ आए 10 दिन हो गए। इन तीन प्रखंडों के पांच सौ से अधिक परिवार ऊंचे स्थलों पर शरण लेकर सरकारी सहायता की ओर टकटकी लगाए हुए हैं। इधर, प्रशासन मधुबनी जिले को बाढ़ प्रभावित नहीं मान रहा है।

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बढ़ी विस्थापितों की चिंता

बाढ़ पीडि़त घर से जो कुछ बचाकर लाए थे, उसमें अनाज व अन्य खाद्य सामग्री खत्म होने को है। मवेशियों के लिए चारा जुटाना भी मुश्किल हो रहा है। इधर, बांध और अन्य जगहों पर शरण लिए विस्थापित सरकारी सहायता नहीं मिलने से नाराज हैं। कहते हैं कि हमलोग अपने बूते जैसे-तैसे व्यवस्था कर रहे हैं।

घर से लाया गया सामान खत्म

मधवापुर में एनएच-104 पर विस्थापित होकर जीवन जी रहे भोलू यादव बताते हैं कि प्रशासन के लोग देखने तक नहीं आए हैं। पहले का सारा सामान खत्म हो गया, अब पेट कैसे भरेगा इसकी चिंता है। बेनीपट्टी नवगाछी गांव के बाढ़ विस्थापित रामवृक्ष सहनी की पीड़ा है कि बाढ़ के पानी में उनका घर डूब गया है। थोड़ा-बहुत सामान बचा पाए, शेष नष्ट हो गया। सुनीता देवी कहती हैं कि सरकार हमलोग की सुध नहीं ले रही है। बाढ़ आने से पहले प्रशासन की आेर से हजार दावे किए जा रहे थे। तैयारी पूरी होने की बात कही जा रही थी। जब परीक्षा की घड़ी आई तो यह पूरी तरह फेल साबित हुआ। बेनीपट्टी सीओ प्रमोद कुमार सिंह ने कहा कि कर्मचारी की रिपोर्ट के आधार पर विस्थापित परिवारों को पॉलीथिन मुहैया करा रहे हैं। अन्य राहत सामग्री भी उपलब्ध कराई जाएगी। 


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