कोरोना की तीसरी लहर से भारत-नेपाल सीमा की बाजारों पर कितना असर, जानिए मधुबनी जिले का हाल
Madhabuni News सीमा पर सख्ती या सीमा सील होने की संभावना से व्यापार के बेपटरी होने की सता रही चिंता फिलहाल सीमावर्ती क्षेत्रों में बाजार पर कोरोना संक्रमण का नहीं दिख रहा कोई खास असर सीमा खुली होने के कारण अभी बाजारों में पहुंच रहे नेपाल के ग्राहक।
मधुबनी (जयनगर), जासं। कोरोना की तीसरी लहर में अनुमंडल मुख्यालय समेत ग्रामीण क्षेत्रों में भी एक बार फिर कोरोना संक्रमित मरीज मिलने लगे हैं। जिस कारण भारत-नेपाल सीमा पर स्थित अनुमंडल मुख्यालय समेत अन्य कस्बाई बाजारों के व्यापारियों में दहशत का माहौल कायम होने लगा है। व्यापारियों को ये चिंता सताने लगी है कि कहीं एक बार फिर कोरोना के बढ़ते रफ्तार के कारण भारत-नेपाल सीमा को सील न कर दिया जाए और पटरी पर लौट रही व्यापार कहीं फिर से बेपटरी न हो जाए।
नेपाल के ग्राहकों पर टिका है बाजार
बता दें कि अनुमंडल मुख्यालय समेत सीमावर्ती क्षेत्र के अन्य बाजार की रौनक नेपाल के ग्राहकों के आवक पर कायम रहती है। कोरोना को लेकर भारत-नेपाल की सीमा 19 महीने तक बंद थी। पिछले अक्टूबर माह में सीमा के खुलने के बाद से यहां के बाजारों की रौनक लौटने लगी है। यहां व्यापार रफ्तार पकड़ने लगी है। भले ही कोरोना की तीसरी लहर ने दस्तक दे दी हैं, लेकिन यहां के बाजारों पर अभी तक कुछ खास असर नहीं पड़ा है।नेपाल से ग्राहकों समेत अन्य लोगों का भारतीय क्षेत्र में आना बेरोकटोक जारी है। सीमा पर अब तक जांच की कोई व्यवस्था नहीं की जा सकी है।
बाजार में पहले की तरह चहल-पहल
अनुमंडल मुख्यालय के बाजार समेत अन्य कस्बाई बाजारों में पहले की तरह ही चहल-पहल है। नेपाल से भी बड़ी संख्या में लोग खरीददारी करने पहुंच रहे हैं। कपड़ा के थोक व्यापारी अरुण जैन ने बताया कि कोरोना की तीसरी लहर का अब तक कोई खास असर नहीं पड़ा है। नेपाल से भी ग्राहक खरीदारी करने पहले की ही तरह पहुंच रहे है। हां, दूसरी लहर से तबाह हुआ व्यापार ही अब तक पुराने दौर में नहीं पहुंच पाया है। वहीं, कपड़े के खुदरा व्यापारी प्रीतम बैराेलिया की मानें तो अभी कोई खास असर नहीं पड़ा है, लेकिन कोरोना के कारण लोगों की क्रय क्षमता कम हो गई है, जिस कारण लोग खरीदारी कम कर रहे हैं।
आशंकित हैं व्यापारी
कोरोना संक्रमण की रफ्तार बढ़ने से सीमावर्ती क्षेत्रों के व्यापारी आशंकित जरूर हैं। उन्हें यह भय सताने लगा है कि एक बार फिर बॉर्डर पर सख्ती कर दी गई या सीमा को सील कर दिया गया, तो पटरी पर लौट रहा व्यापार कहीं फिर से बेपटरी न हो जाए।