पश्चिम चंपारण: दुधवा व जलदापाड़ा नेशनल पार्क के गैप को भरेंगे वीटीआर के गैंडे
West champaran एक सींग वाले गैंडों के अधिवास का आदर्श स्थल बन रहा वीटीआर वन प्रमंडल दो में चौहट्टा के आसपास एक मेहमान गैंडा देखा गया है जो आसपास के इलाके में घूम रहा है। इसको लेकर वन विभाग पैनी नजर रखा है।
बेतिया, जासं। सूबे का वाल्मीकि व्याघ्र आरक्ष्य एक सींग वाले गैंडों का उपयुक्त अधिवास स्थल बनेगा। ऐसा होने से गैंडों की संख्या की निरंतरता बनी रहेगी। उत्तर प्रदेश के दुधवा नेशनल पार्क एवं पश्चिम बंगाल के जलदापाड़ा नेशनल पार्क में जो खाली जगह थी, उसे वीटीआर का गैंडा पूरा करेगा। यहां गैंडों के अधिवास के लिए वीटीआर प्रशासन पूरे मनोयोग से लगा हुआ था, इसका परिणाम यह हुआ है कि अब इस क्षेत्र में तीन गैंडे फिलहाल अधिवास कर रहे हैं।
गैंडों का बेहतर तरीके से अधिवास कराने के लिए वाल्मीकि व्याघ्र आरक्ष्य में स्थल का चयन किया है। इसमे गोबद्र्धना, मदनपुर, गोनौली एवं भेडि़हारी को गैंडा अधिवास क्षेत्र घोषित किया गया है। चयनित क्षेत्र का राष्ट्रीय स्तर की टीम ने स्वीकृति प्रदान कर दी है। यहां गैंडों के अधिवास के लिए दलदली भूमि विकसित की जाएगी। बता दें कि वीटीआर के वन प्रमंडल दो में चौहट्टा के आसपास एक मेहमान गैंडा देखा गया है, जो आसपास के इलाके में घूम रहा है। वर्तमान में यह वाल्मीकिनगर के कोलेश्वर के आासपास देखा जा रहा है। वीटीआर के क्षेत्र निदेशक एचके राय ने बताया कि गैंडे की गतिविधि पर नजर रखी जा रही है। बहरहाल, वनपाल रोबिन आनंद के नेतृत्व में वन कर्मियों की टीम गैंडे की मॉनीटरिंग कर रही है।
राष्ट्रीय स्तर के गेंडा के क्षेत्र के विशेषज्ञ भी दे चुके हैं रिपोर्ट
वीटीआर के क्षेत्र निदेशक एचके राय के अनुसार गैंडा विशेषज्ञों की राष्ट्रीय स्तर की टीम ने इस क्षेत्र को गैंडा अधिवास के लिए उपयुक्त बताया है। टीम में आसाम के अवकाश प्राप्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक बीएस बोनाल, वल्र्ड वाइल्ड लाइफ फंड के डा. अमित शर्मा और वाइल्ड लाइफ इंस्टीच्यूट, देहरादून के विशेषज्ञ के. कुंअर शामिल रहे। इस कमेटी के द्वारा अपने भ्रमण एवं अध्ययन से जुड़ी रिपोर्ट भारत सरकार को सौंपी गई है। वीटीआर प्रशासन गैंडा अधिवास को विकसित करने के लिए प्रोजेक्ट तैयार कर रहा है। यहां बंगाल या असम के काजीरंगा नेशनल पार्क से भी गैंडे मंगाए जाएंगे।