अंग्रेजों से आजादी तो मिली, पर प्रशासन व्यवस्था अब भी उसकी
लोगों को वास्तविक आजादी दिलाने व जागरूक करने के लिए बापू गांधी की पदयात्रा शुक्रवार को शहर में पहुंची। इस दौरान उन्होंने कहा कि बिहार सत्याग्रह की धरती है।
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। देश को ब्रिटिश हुकुमत से आजाद हुए सात दशक से अधिक हो गए। मगर, यहां आज भी अंग्रेजों की ही शासन व्यवस्था चल रही। देश वासियों को वास्तविक आजादी अब तक नहीं मिल सकी है। उन्हें आर्थिक आजादी भी नहीं मिल पाई। लोगों को वास्तविक आजादी दिलाने व जागरूक करने के लिए बापू गांधी की पदयात्रा शुक्रवार को शहर में पहुंची।
इस दौरान उन्होंने कहा कि बिहार सत्याग्रह की धरती है। यहीं से बापू व जयप्रकाश नारायण ने आंदोलन की शुरुआत की। यह पदयात्रा भी एक आंदोलन की शुरुआत है। मूल रूप से मथुरा के रहने वाले बापू गांधी की वेशभूषा महात्मा गांधी जैसी है। वे नई दिल्ली स्थित राजघाट क्षेत्र में रहते हैं। उन्होंने बताया कि पूरे देश का कई बार भ्रमण किया है। सरकार से जो भी अनुदान मिलता है उसमें कहीं ने कहीं गड़बड़ी मिलती। अच्छा होता कि सभी वोटरों को यह राशि दी जाती।
इससे पहले लोक स्वराज्य आर्थिक आजादी आंदोलन के बैनर तले वोटर पेंशन लागू करने व उनके आर्थिक हक की मांग को लेकर पावर हाउस चौक, से पदयात्रा निकली। माड़ीपुर होकर यह यात्रा जूरन छपरा चौक व रोटरी चौराहा होते हुए शहीद खुदीराम बोस स्मारक पहुंची।
वहां सभा का आयोजन हुआ। इसमें राज्य के चीफ कॉर्डिनेटर बच्चू प्रसाद वीरू ने पार्टी एवं पदयात्रा पर चर्चा की। सुखदेव प्रसाद ने कहा कि जिले में भूमिहीन लोगों को पर्चा तो दे दिया गया। मगर, उसपर गरीबों को कब्जा नहीं दिया गया। अंत में संगठन का एक प्रतिनिधिमंडल पांच सूत्री मांगों को लेकर जिलाधिकारी से मिला और ज्ञापन सौंपा। इसमें केके वर्मा, रामधनी महतो, मुख्तार अली शाहनवाज, मो.जहांगीर, मोहन कुमार सोनी, संजय महतो, उमेश कुमार, वीरेंद्र प्रसाद महतो आदि थे।