पेयजल संकट की ओर बढ़ रहा शहर, 10 फीट गिरा जलस्तर
35 फीट पहुंचा शहरी क्षेत्र का भूजल स्तर। मई-जून में 44 फीट तक गिरावट की आशंका। भूजल रीचार्ज के लिए नगर निगम और जिला प्रशासन नहीं कर रहे कोई उपाय।
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। गर्मी शुरू होने के साथ ही जिले में भूजल स्तर में गिरावट शुरू हो गई है। दो दिन पूर्व की गई नापी में शहरी क्षेत्र का जलस्तर गिरकर 35 फीट पर पहुंच गया है। सामान्य स्थिति में जलस्तर 25 फीट होता है। नगर निगम के जलकार्य शाखा के अनुसार सबसे ज्यादा गिरावट नदी से सटे इलाकों चंदवारा, बालूघाट, सिकंदरपुर, अखाड़ाघाट और दादर आदि मोहल्लों में हुई है। शहर के मध्य पंखाटोली में भी जलस्तर गिरा है। फिलहाल संकट की स्थिति नहीं है, लेकिन जिस अनुपात में गिरावट हो रही है, उसके हिसाब से मई-जून में जलस्तर 42 से 44 फीट तक पहुंच जाएगा।
जलस्तर में गिरावट के कारण पेयजल संकट की स्थिति उत्पन्न होने लगी है। वैसे निगम के पंपों के लिए संकट के हालात नहीं हैं, लेकिन चापाकलों एवं लोगों के घरों में लगे निजी पंप पानी खींचने में जरूर हांफने लगे हैं। दुखद यह है कि नगर निगम व जिला प्रशासन इस समस्या के प्रति उदासीन हैं। नगर निगम के पूर्व अभियंता उदय शंकर प्रसाद सिंह के अनुसार शहर के उत्तरी भाग विशेषकर नदी से सटे इलाकों में जलस्तर में गिरावट तेज है। अन्य इलाकों में भी जलस्तर गिर रहा है। यदि समय रहते उपाय नहीं किए गए तो शहरवासियों को गंभीर पेयजल संकट का सामना करना पड़ेगा।
बड़े पैमाने पर भूजल का दोहन
शहर में भूजल का व्यावसायिक दोहन तेजी से हो रहा है। जरूरत से ज्यादा पानी जमीन से निकाल कर बर्बाद किया जा रहा। बोतलबंद पानी के कारोबारी हों या वाहन सर्विसिंग सेंटर चलाने वाले, ये बहुत पानी बर्बाद करते हैं। उसकी तुलना में भूजल रीचार्ज की कोई व्यवस्था नहीं है। इसके जो प्राकृतिक स्रोत (कुआं, तालाब व पोखर) थे, वे भी दिन-प्रतिदिन खत्म होते जा रहे। निगम हालात से अवगत है। वह पानी का दोहन रोकने की बात तो कर रहा, लेकिन कोई कदम नहीं उठा रहा।
इन उपायों पर देना होगा ध्यान
पर्यावरण संरक्षण अभियान से जुड़े रवि कपूर के अनुसार जल संकट की ओर बढ़ रहे शहर को समस्या से बचाने के लिए इन उपायों पर ध्यान देना होगा।
-वर्षा जल संचयन की करनी होगी पहल। नगर निगम व जिला प्रशासन को उठाना होगा कारगर कदम।
-प्राकृतिक जलस्रोतों कुआं, तालाब एवं पोखरों का जीर्णोद्धार कराना होगा।
-बहुमंजिले भवनों में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाना अनिवार्य करना होगा।
-शहर से निकलने वाले गंदे पानी के लिए वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाकर उसका इस्तेमाल अन्य कार्यों में करना होगा।
-बाढ़ के पानी का समुचित प्रबंधन कर उसका लाभ उठाया जा सकता है।
-हर स्तर पर पानी का अपव्यय रोकना होगा।
-बूढ़ी गंडक नदी को नाला बनने से बचाना होगा।
समस्या वाले इलाकों की जलकार्य शाखा से मांगी गई जानकारी
अपर नगर आयुक्त विशाल आनंद ने कहा कि जिन इलाकों में पानी की समस्या उत्पन्न हो रही, वहां की जानकारी जलकार्य शाखा से मांगी गई है। किसी को परेशानी नहीं हो, इसके लिए वैकल्पिक व्यवस्था की जाएगी। महापौर सुरेश कुमार ने कहा कि समस्या को लेकर सजग हैं। पानी कारोबारियों एवं वाहन सर्विसिंग सेंटरों पर अंकुश लगाया जा रहा है। पोखर-तालाब के जीर्णोद्धार की योजना सरकार को भेजी गई है। अन्य उपाय भी किए जाएंगे।
निगम में तीन माह के लिए बहाल होंगे छह पाइपलाइन मिस्त्री
कर्मचारियों की कमी के कारण पानी कनेक्शन देने एवं लीकेज मरम्मत में हो रही परेशानी को दूर किया जाएगा। नगर निगम तीन माह के लिए आधा दर्जन पाइप लाइन मिस्त्री संविदा के आधार पर बहाल करेगा। नगर निगम के तीनों पाइप लाइन निरीक्षकों ने संयुक्त आवेदन देकर मिस्त्री की कमी के कारण काम बाधित होने की बात कही थी। निगम में बड़ी संख्या में पानी कनेक्शन का आवेदन लंबित है। इसे देखते हुए नगर आयुक्त ने तीनों पाइप लाइन निरीक्षकों को अपने-अपने परिक्षेत्र में दो-दो मिस्त्री रखने की स्वीकृति दे दी है।