Paschim Champaran: वीटीआर के पर्यटन सत्र का औपचारिक समापन 15 जून को, अब नये सत्र में ही आ सकेंगे पर्यटक
वीटीआर के पर्यटन सत्र का औपचारिक समापन 15 जून को होगा। हालांकि कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन के चलते 18 अप्रैल को ही वीटीआर को पर्यटन के लिए बंद कर दिया गया था। वीटीआर के इतिहास में पर्यटकों के लिए सबसे कम दिन खुलने वाला रहा यह सत्र।
पश्चिम चंपारण, जागरण संवाददाता। वाल्मीकि टाइगर रिजर्व (वीटीआर) के पर्यटन सत्र का औपचारिक समापन 15 जून को होगा। हालांकि कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन के चलते 18 अप्रैल को ही वीटीआर को पर्यटन के लिए बंद कर दिया गया था। वीटीआर को पर्यटकों के लिए अक्टूबर माह में खोला जाता है, जो 14 जून तक चलता है। इस बार कोरोना संक्रमण के चलते वीटीआर को पर्यटकों के लिए 18 अप्रैल को बंद कर दिया गया था। इस तरह इस सत्र में सिर्फ करीब छह महीने ही पर्यटक वीटीआर के प्राकृतिक सौंदर्य और जैव विविधता का दीदार कर सके। पर्यटन के लिहाज से यह सत्र काफी बुरा रहा। पर्यटकों की कमी ने वीटीआर को झटका दिया। रही सही कसर कोरोना महामारी ने पूरी कर दी। जिसके चलते 18 अप्रैल को वीटीआर बंद हुआ तो फिर दोबारा खुल ही नहीं सका और पर्यटन सत्र समाप्त समाप्ति के कगार पर जा पहुंचा। 15 जून को औपचारिक रूप से पार्क पर्यटकों के लिए बंद कर दिया जाएगा।
अब अक्टूबर माह में वीटीआर का गेट पुन: सैलानियों के लिए खुलेगा। दुर्लभ वन्यजीवों के लिए विख्यात वाल्मीकि टाइगर रिजर्व अपने इतिहास में सबसे कम दिन इस साल खुला। शुरुआत में पर्यटक कुछ कम आए लेकिन, दिसंबर के आखिरी सप्ताह में पर्यटकों की संख्या बढ़ी तो फिर बढ़ती ही चली गई। न्यू इयर के जश्न के लिए काफी संख्या में सैलानी वीटीआर पहुंचे थे। मार्च आते आते कोरोना ने असर दिखाना शुरु किया और पूरे देश में लॉकडाउन होने से पहले सरकार ने पर्यटन गतिविधियों पर रोक लगा दी। परिणाम स्वरुप वीटीआर को बंद कर दिया गया। उसके बाद से पार्क फिर पर्यटकों के लिए खुल ही नही सका।
वाल्मीकि टाइगर रिजर्व का पर्यटन सत्र काफी बुरे दौर से गुजरते हुए समापन की कगार पर आ खड़ा हुआ है। वीटीआर के इतिहास में पर्यटकों के लिए सबसे कम दिन खुलने वाला यह सत्र 15 जून से अक्टूबर तक के लिए बंद हो जाएगा
1994 में वीटीआर को मिला था दर्जा
बाघों की दहाड़ व हिरणों के कुलाचों को लेकर देश-विदेश में अपनी पहचान बना चुके वीटीआर लॉक डाउन को लेकर वीटीआर सैलानियों के आवागमन से वीरान हो गया। बता दें कि 1994 में वन्यजीव अभयारण्य के रूप में वाल्मीकि टाइगर रिजर्व स्थापित किया गया था। कोरोना काल वीटीआर को सबसे बुरे दौर में ले गया। कोरोना वायरस की दस्तक ने वीटीआर को सैलानियों से दूर रहने पर विवश कर दिया।
क्या कहते हैं अधिकारी
इस साल वीटीआर बहुत कम दिनों के लिए खुला इसलिए पर्यटक बहुत कम आए। लेकिन अगर देखा जाय तो पर्यटकों का औसत काफी अच्छा रहा है। आने वाले समय में बेहतर प्रयास कर वीटीआर को एक बार फिर नई ऊंचाईयों पर ले जाने का प्रयास किया जाएगा।
हेमकांत राय, सीएफ