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' चटोर ' वन्यजीवों को रास आ रहा वीटीआर, बाघ के साथ-साथ भालुओं की संख्या में भी बढ़ोतरी

भालुओं के अधिवास के लिए बेहद अनुकूल है VTR। इनकी संख्या 100 से अधिक होने का अनुमान। शिकार पर अंकुश और ग्रासलैंड में इजाफे ने भी इनकी संख्या बढ़ाने में मदद की।

By Ajit KumarEdited By: Published: Thu, 30 Jul 2020 09:55 AM (IST)Updated: Thu, 30 Jul 2020 09:55 AM (IST)
' चटोर ' वन्यजीवों को रास आ रहा वीटीआर, बाघ के साथ-साथ भालुओं की संख्या में भी बढ़ोतरी
' चटोर ' वन्यजीवों को रास आ रहा वीटीआर, बाघ के साथ-साथ भालुओं की संख्या में भी बढ़ोतरी

पश्चिम चंपारण, [विनोद राव] । मैंने तो कुछ देर पहले यहीं पर आम रखे थे, पता नहीं कौन ले गया ? रघिया, चिउटाहां, गोवर्धना, वाल्मीकिनगर व हरनाटांड़ के आसपास के लोगों की यह सामान्य शिकायत है। न केवल आम वरन खाने-पीने की अन्य चीजें भी अक्सर यहां से गायब हो जा रही हैं। जब लोगों ने पड़ताल शुरू की तो मालूम हुआ कि यह भालुओं  की करतूत है।

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कैमरे के फुटेज से आकलन

दरअसल, खाने के शौकीन इन भालुओं को वीटीआर में भोजन व आवासन की बेहतर सुविधा मिल रही है। जिससे वाल्मीकिनगर टाइगर रिजर्व के तीनों वन प्रमंडलों में अन्य जीवों के साथ भालुओं की संख्या में भी अपेक्षित बढ़ोतरी हुई है। रघिया, चिउटाहां, गोवर्धना, वाल्मीकिनगर, हरनाटांड़ आदि वन क्षेत्र भालुओं के अधिवास के लिए बेहद अनुकूल हैं। यहां उनके लिए न सिर्फ पर्याप्त मात्रा में भोजन उपलब्ध है, बल्कि आवासन में भी कोई परेशानी नहीं है। वन अधिकारी बताते हैं कि भालुओं की गिनती तो नहीं होती, पर इनके लोकेशन और बाघों की गिनती के लिए लगाए गए कैमरे के फुटेज से इनका आकलन किया जाता है। फिलहाल, इनकी संख्या 100 से ज्यादा है। वीटीआर में काले भालू पाए जाते हैं। शिकार पर अंकुश और ग्रासलैंड में इजाफे ने भी इनकी संख्या को बढ़ाने में परोक्ष रूप से मदद की है।

यह कारण भी सहायक

वीटीआर में ग्रासलैंड विकसित होने के कारण भालुओं की संख्या में इजाफा हो रहा है। इसके अलावा शिकार पर अंकुश लगना भी सहायक साबित हुआ है। एक दशक पूर्व भालुओं का शिकार अधिक होने के कारण ये लुप्त होने के कगार पर पहुंच गए थे, लेकिन अब इनकी संख्या बढ़ रही है।

अच्छा मानसून भी बना वरदान

मानसून अच्छा रहने के कारण भी भालुओं की संख्या में वृद्धि हो रही है। बारिश भालुओं का प्रजनन काल होता है। साथ ही, वनस्पति भी बढ़ जाती है। जंगल हरा-भरा होने से भालू को आसानी से भोजन उपलब्ध हो जाता है। वीटीआर में बाघों की संख्या में इजाफा होने के साथ ही टाइगर रिजर्व में मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटनाओं को लेकर चिंतित रहने वाले वन्यजीव प्रेमियों के लिए अच्छी खबर है। भालुओं की संख्या में वृद्धि दर्ज होने से विभाग के पदाधिकारी भी उत्साहित हैं। इस बाबत वाल्मीकिनगर रेंजर महेश प्रसाद ने बताया कि प्रजनन क्रिया के बाद भालू एक स्वाभाविक प्रक्रिया के कारण प्रसव स्थान छोड़कर भ्रमण करते हैं। अपने बच्चों की सुरक्षा को लेकर ऐसा प्राय: देखा गया है कि मादा भालू आक्रामक स्वभाव अपनाए रहती है। इन बच्चों के जन्म काल के बाद से अपने मां का साथ छोड़ने तक अक्सर ऐसा देखा जाता है।

वनस्पति को मिल रहा जीवनदान

भालू का पसंदीदा भोजन दीमक है। भालू जंगल में पेड़ पौधों पर लगी दीमक का आहार करता है। इससे वनस्पति को जीवन दान मिलता है। वीटीआर के जंगल में अधिकतर साखू के पेड़ पाए जाते हैं। जंगल में अधिकतर पेड़ों में दीमक लगने से उनके अस्तित्व पर असर पड़ता है। ऐसे में भालू की संख्या में इजाफा होने तथा इनका पसंदीदा भोजन दीमक होने से इस तरह के पेड़ों को जीवनदान मिलेगा। भालू की आयु लगभग बीस साल बताई जाती है। भालू के पंजे भी टाइगर की तरह ही नुकीले होते हैं। 


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