Mithilanchal Harinam Satsang Sammelan: प्राकृतिक नियमों के पालन से कोरोना से बचाव संभव : विष्णुदेवाचार्य
छह दिवसीय मिथिलांचल हरिनाम सत्संग सम्मेलन का हुआ समापन। संतों ने कहा अधिक सुख व स्वार्थ की भावना से होता मन अशांत समर्पण व त्याग की भावना की कमी से प्रेम व शांति में बाधा। सनातन धर्म सिखाता नारियों का सम्माननारी में माता सीता के दर्शन से होती आध्यात्मिक उन्नति।
मधुबनी, जागरण संवाददाता। सिमरिया महंथ विष्णुदेवाचार्य बाल व्यासजी महाराज ने कहा कि कोरोना से बचाव के लिए प्राकृतिक नियमों का पालन और सत्संग ही एकमात्र बेहतर उपाय है। संयम से कोरोना से बचा जा सकता है। क्रोध, लोभ, मोह-माया जैसे वायरस मानव जीवन को अशांत बना देते हैं। वे शहर के टाउन क्लब मैदान में छह दिवसीय मिथिलांचल हरिनाम सत्संग सम्मेलन के समापन पर प्रवचन दे रहे थे। श्रद्घालुओं से कहा कि अधिक सुख और स्वार्थ की भावना मन को अशांत कर देती है। समर्पण, त्याग की कमी से प्रेम, शांति में बाधा उत्पन्न होने लगता है। मंदिर रूपी घर के प्रत्येक सदस्यों की भावनाओं को समझना और उसका सम्मान करना मनुष्य की प्रकृति होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म नारी का सम्मान करना सिखाता है। माता सीता का चरित्र प्रत्येक नारी के लिए अनुकरणीय है। माता सीता संपूर्ण विश्व के लिए पूजनीय है। नारी में माता सीता के दर्शन से आध्यात्मिक उन्नति होने लगती है। सत्संग को बनारस के डॉ. उमाशंकर त्रिपाठी, सीतामढ़ी की कथावाचिका वैदेही शरण मानस मंदाकिनी सहित अन्य संत-महात्माओं ने भी संबोधित किया।
अगले वर्ष संत सम्मेलन के लिए निदेशक परिषद अधिकृत
मिथिलांचल हरिनाम सत्संग सम्मेलन का 77वां अधिवेशन के संसदीय बोर्ड की बैठक विष्णुदेवाचार्यजी महाराज की अध्यक्षता में हुई। बैठक में छह दिवसीय संत सम्मेलन के समापन पर चर्चा करते हुए अगले वर्ष संत सम्मेलन के आयोजन के लिए निदेशक परिषद को अधिकृत किया गया। प्रबंध सचिव विनय कुमार वर्मा ने बताया कि कोरोना गाइडलाइंस का पालन करते हुए इस वर्ष संत सम्मेलन का समापन एक दिन पूर्व किया गया है। बैठक में दिनेश्वर झा, वासुदेव झा, गंगाराम झा, रामनाथ ठाकुर, उमेश नंदन श्रीवास्तव, प्रदीप कुमार, राजेंद्र झा, बाल कृष्ण दास, महेंद्र सिंह, जगत नारायण कर्ण सहित निदेशक परिषद के सदस्यों ने हिस्सा लिया। बैठक के अंत में सम्मेलन के वरीय सदस्य व पूर्व जिला जज सच्चिदानंद झा के अलावा प्रो. सर्व नारायण झा, विनोद नारायण दास, विनोद ठाकुर, डॉ. मणि माला झा, विनोद चन्द्र झा को श्रद्धांजलि अर्पित की गई।