मुजफ्फरपुर के विशेष दत्तक ग्रहण संस्थान के नवजात की अमेरिका, हैदराबाद, मुंबई, दिल्ली में हो रही परवरिश; जानिए
Muzaffarpur Special Adoption Institute अपनों ने बोझ समझ कर जिन नवजात को मरने के लिए छोड़ दिया गैरों ने उनसे दिल का रिश्ता जोड़ लिया। जिला बाल संरक्षण इकाई की देखरेख में संचालित विशेष दत्तक ग्रहण संस्थान के दर्जनों बच्चे-बच्चियों की परवरिश कई बड़े शहरों में हो रही है।
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। अपनों ने बोझ समझ कर जिन नवजात को मरने के लिए छोड़ दिया, गैरों ने उनसे दिल का रिश्ता जोड़ लिया। जिला बाल संरक्षण इकाई की देखरेख में संचालित होने वाले विशेष दत्तक ग्रहण संस्थान के दर्जनों बच्चे-बच्चियों की परवरिश आज अमेरिका, हैदराबाद, मुंबई, दिल्ली, कोलकाता समेत कई बड़े शहरों में हो रही है। संतान सुख से वंचित दंपत्तियों के सूना घर आंगन में खुशियां बन कर चहक रहे हैं। दर्जनों दंपत्तियों ने लंबी कानूनी प्रक्रिया पूरी कर इन बच्चों को अपनाया और उनकी परवरिश कर रहे है। इटली व कतर के दंपतियों ने भी इन बच्चों को गोद को गोद लिया। समन्वयक अनुपमा कहती हैं कि दत्तक ग्रहण संस्थान में अनाथ बच्चों को घर जैसे परिवेश में परवरिश की जाती है। गोद देने से पूर्व उनके वर्तमान के साथ ही भविष्य की भी सुरक्षा के इंतजाम किये जाते हैं। बताया जाता है दिसंबर 2019 से अब तक दस बच्चों को गोद दिया गया है। इससे पूर्व भी कई बच्चों को गोद दिया गया है।
बच्चों के नाम - कहां गए
अंशु कुमारी : यूपी
प्रियंका कुमारी : पटना
प्रीति कुमारी : कोलकाता
पायल कुमारी : तमिलनाडु
स्नेहा कुमारी : केरल
अनुष्का कुमारी : कर्नाटक
पलक कुमारी : कोलकाता
प्रभा कुमारी : यूपी
अमृता कुमारी : केरल
स्वीटी कुमारी : दरभंगा
अनामिका कुमारी : तमिलनाडु
सुनीता कुमारी : दिल्ली
प्रणय कुमार : दिल्ली
पल्लवी कुमारी : हैदराबाद
काव्या कुमारी : अमेरिका
वैष्णवी कुमारी : बरौनी
यशराज : हाजीपुर
अंजली कुमारी : मुंबई
सुहानी कुमारी : कोलकाता
रानी कुमारी : मुंबई
रूपम कुमारी : कोलकाता
ऑनलाइन होती गोद लेने की प्रक्रिया
बच्चा गोद लेने की पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन होती है। इसके लिए कई चरणों में कानूनी प्रक्रिया पूरी की जाती है। गोद दिए गए बच्चे की जांच समय-समय पर विभाग द्वारा की जाती है। संभावित मां-बाप के शारीरिक रूप से, मानसिक तौर पर, भावनात्मक रूप से और आर्थिक दृष्टि से सक्षम होना जरूरी हैं। जैविक संतान हो या न हो, वे बच्चा गोद ले सकते हैं, बशर्ते अगर संभावित अभिभावक शादीशुदा हैं तो उन दोनों की आपसी सहमति जरूरी है।
सिंगल महिला किसी भी लिंग के बच्चे को गोद ले सकती है, वहीं सिंगल पुरुष सिर्फ लड़के को ही गोद ले सकता है। संभावित मां-बाप दो साल से ज्यादा वक्त से शादीशुदा हों, तभी बच्चा गोद ले सकते हैं।
बच्चा गोद लेने के लिए मां-बाप की उम्र अहम पहलू है। इसके तहत कम उम्र के बच्चे को गोद लेने के लिए मां-बाप की औसत उम्र कम होनी चाहिए। संभावित माता-पिता और गोद लिए जाने वाले बच्चे के बीच उम्र का फासला कम से कम 25 साल होना ही चाहिए। लेकिन, यह नियम उस समय लागू नहीं होता है जब गोद लेने वाले संभावित माता-पिता रिश्तेदार हों या फिर सौतेले हों। जिन लोगों के पहले से ही तीन या इससे अधिक बच्चे हैं वे बच्चा गोद लेने के लिए योग्य नहीं हैं, लेकिन विशेष स्थिति में वे भी बच्चा गोद ले सकते हैं।
इस बारे में जिला बाल संरक्षण इकाई के बाल संरक्षण पदाधिकारी चंद्रदीप कुमार ने कहा कि 'बच्चों को गोद देने से पूर्व कई कानूनी प्रकिया पूरी की जाती है। इन प्रक्रियाओं में बच्चों की सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम किया जाता है। सुरक्षा की कसौटी पर पूरा उतरने वाले दंपत्तियों को ही बच्चा गोद दिया जाता है। संस्थान से बच्चा गोद लेने को लेकर लोगों में काफी जागरुकता आई है।'