Samastipur: राष्ट्रीय पोषण मिशन के अंतर्गत समन्वयक की बहाली में गड़बड़झाला, फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर की गई नियुक्ति
Samastipur News राष्ट्रीय पोषण मिशन के अंतर्गत जिला समन्वयक और प्रखंड समन्वयक की बहाली में गड़बड़ी का मामला। इसमें शैक्षणिक योग्यता के अंकों गड़बड़ी की गई है। मैट्रिक और इंटर की फर्जी बोर्ड के प्रमाण पत्र के आधार पर नियुक्ति की गई है।
समस्तीपुर, [प्रकाश कुमार]। राष्ट्रीय पोषण मिशन के अंतर्गत जिला समन्वयक और प्रखंड समन्वयक की बहाली में भारी पैमाने पर गड़बड़ी उजागर हुई है। इसका खुलासा आरटीआई के माध्यम से हुआ है। पूरे मामले की शिकायत लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी से की गई है। बहाली में विभागीय निर्देश को ताक पर रखकर बहाली करने का मामला सामने आया है। इसमें शैक्षणिक योग्यता के अंकों गड़बड़ी की गई है। मैट्रिक और इंटर की फर्जी बोर्ड के प्रमाण पत्र के आधार पर नियुक्ति की गई है। साथ ही अनुभव प्रमाण पत्र में कार्य करने का स्थान और पद में शून्य अंकित कर दिया गया है। इसके अलावा संबंधित आईसीडीएस विभाग का अनुभव नहीं होने पर पांच अंक अवैध रूप से मेधा सूची में जोड़ कर चयन कर लिया गया। प्रौद्योगिकी और सॉफ्टवेयर अनुप्रयोग समर्थन के साथ काम करना का अनुभव के स्थान पर रिसेप्शनिस्ट, शिक्षण कार्य, कंप्यूटर संस्थान में ट्रेनिंग सहायक, कंप्यूटर ऑपरेटर, सर्वे कार्यपालक का कार्य करने वालों की ही बहाली कर दी।
स्नातक के जगह पर दर्शा दी वोकेशनल कोर्स का अंक
राष्ट्रीय पोषण मिशन के अंतर्गत जिला समन्वयक के पद पर नियोजन किया गया था। इसमें निशु कुमारी का चयन किया गया था। इसके बाद कुछ आवेदकों ने सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत उसकी शैक्षणिक योग्यता प्रमाण पत्रों की मांग की। सूचना देने के क्रम में यह बात संज्ञान में आया कि निशु द्वारा एक वर्षीय व्यवसायिक कोर्स किया गया है। जो स्नातक योग्यता के समकक्ष नहीं है। इसको लेकर पूर्व में चयन समिति द्वारा आयोजित बैठक में एक वर्षीय व्यवसायिक कोर्स की जांच कराने की मांग की। जिसमें इस तथ्य का सत्यापन कराने को कहा गया कि एनआईओएस से किया गया उक्त कोर्स स्नातक के समकक्ष योग्यता है या नहीं। जिसका रिपोर्ट जांच हेतु भेजा गया लेकिन अभी तक सत्यापन रिपोर्ट नहीं मिली है। इसी बीच एक आवेदक विवेक राज आर्यन ने आरटीआई से प्राप्त आवेदन दिया। जिसमें लिखा गया है कि सीसीए ना तो इंटरमीडिएट ना तो स्नातक और ना ही डिप्लोमा के समकक्ष है। इतना ही नहीं एनआईओएस बोर्ड अपने आप को स्नातक स्तरीय बोर्ड भी नहीं मानती है। सीसीएस कोर्स करने की योग्यता मैट्रिक है। यह एक वोकेशनल कोर्स है जो दसवीं या बारहवीं के साथ एड ऑन कोर्स के रूप में किया जाता है। जिसकी जांच एनआईओएस के साइट पर की और सही पाया गया। विभागीय दिशा निर्देश के अनुसार एक वर्षीय वोकेशनल कोर्स की मान्यता स्नातक के समकक्ष नहीं है। इसका खुलासा जिला प्रोग्राम पदाधिकारी ममता वर्मा द्वारा जारी किए गए पत्र के आधार पर ही हुआ है।
कार्य स्थल के बदले अपने ही नाम को दर्शाया
प्रखंड समन्वयक के पद पर चयनित विजय कुमार के ऑनलाइन आवेदन के अवलोकन से पता चला कि अंकित की गई जानकारी गलत है। ऑनलाइन आवेदन में प्रौद्योगिकी और सॉफ्टवेयर अनुप्रयोग समर्थन के साथ काम करना का दो वर्षीय अनुभव में कार्य करने का स्थान के नाम पर अपना नाम ही दर्ज किया था। साथ पद के रूप में कंप्यूटर ऑपरेटर दर्शाया गया था। दिशा-निर्देश में वर्णित वांछनीय अनुभव नहीं होने के बाद भी चयन समिति द्वारा बगैर जांच के किए ही अवैध रूप से चयन कर दिया गया। इतना ही नहीं इनके पास आईसीडीएस का अनुभव नहीं होने के बावजूद भी अनुभव का पांच अंक अवैध रूप से मेधा सूची में जोड़कर अयोग्य होने के बावजूद चयन कर दिया गया।
कार्य स्थल और पद के जगह पर दर्शाया शून्य
पंकज कुमार के ऑनलाइन आवेदन से स्पष्ट हुआ कि इनके पास आईसीडीएस के साथ कार्य का अनुभव नहीं है। ऑनलाइन आवेदन में अनुभव में शून्य दर्शाया गया फिर भी चयन समिति ने बगैर अनुभव का जांच किए अवैध रूप से चयन कर दिया।
अनुभव नहीं रहने के बाद भी कर लिया चयन
इंजीनियरिंग कॉलेज में कंप्यूटर साइंस के असिस्टेंट प्रोफेसर का अनुभव रखने वाले अमित कुमार, रिलांयस डिजिटल प्राइवेट लिमिटेड में सर्वे कार्यपालक पद पर काम करने वाले कार्तिक कृष्णा, एनआईसी के नेटवर्क इंजीनियर के पद पर काम करने वाले विकास कुमार, ट्रस्ट व दवा कंपनी में कार्य करने का अनुभव रखने वाले मृणाल कुमार, कंप्यूटर सेंटर में ट्रेनिंग असिसटेंट के पद का अनुभव रखने वाले राजन कुमार पंजीयार, प्राइवेट स्कूल में रिसेप्शनिट के कार्य का अनुभव दर्शाने वाली ज्योति कुमारी का आईसीडीएस में काम करने का अनुभव नहीं रहने के बाद भी चयन कर लिया गया।