West Champaran : सावन में इस बार दो अद्भुत संयोग, विशेष फलदायी होगी पूजा-अर्चना, 26 को पहला सोमवार
भोलेनाथ की पूजा के लिए सबसे उत्तम महीना सावन सदा मंगल करने वाला हाेता है सौभाग्य योग इस सावन मास में महज चार सोमवार ही पड़ रहे है। पहला सोमवारी 26 जुलाई दूसरा दो अगस्त तीसरा नौ अगस्त और चौथा 16 अगस्त को है।
पश्चिम चंपारण, जासं। भगवान शिव की पूजा करने के लिए सावन का महीना सबसे उत्तम और शुभ माना गया है। सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित है। सावन के पहले सोमवार के दिन दो दुर्लभ योग बन रहे हैं। इस बाबत पंडित सत्यानंद मिश्र ने बताया कि सावन के पहले सोमवार यानी 26 जुलाई को रात 10 बजकर 40 मिनट तक सौभाग्य योग बना रहेगा। इसके बाद शोभन योग लग जाएगा। सौभाग्य योग सदा मंगल करने वाला होता है। यह भाग्य को बढ़ाने वाला योग है। सौभाग्य योग में किए गए कार्य में सफलता सुनिश्चित होती है। वहीं शोभन योग में समस्त धार्मिक कार्य सफल एवं फलदायी होते हैं। इस सावन मास में महज चार सोमवार ही पड़ रहे है। पहला सोमवारी 26 जुलाई, दूसरा दो अगस्त, तीसरा नौ अगस्त और चौथा 16 अगस्त को है। श्रावण मास का सोमवार बहुत ही सौभाग्यशाली एवं पुण्य फलदायी माने जाते हैं।
सोमवारी का महत्व
सावन माह भगवान शिव को बहुत ही प्रिय है। श्रावण माह से ही भगवान शिव की कृपा के लिए सोलह सोमवार के उपवास आरंभ किए जाते हैं। सावन महीने में मुख्य रूप से शिवलिंग की पूजा का विधान है और उस पर जल तथा बेल पत्र अर्पित किया जाता है। सावन महीने में शिव की पूजा करने से भगवान भोलेनाथ की असीम कृपा बरसती है। सावन में भोलेनाथ का पार्थिव पूजन, शिव सहस्त्रनाम का पाठ, रुद्राभिषेक, जलाभिषेक बिल्वपत्र चढ़ाने से मनोकामनाएं पूर्ण होगी।
सावन सोमवार पूजा विधि
सावन में सोमवार को भगवान शिव की विशेष पूजा करें। सावन सोमवार में विधि पूर्वक शिवलिंग की पूजा करने से भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं और अपना आशीर्वाद प्रदान करते हैं। इस दिन भगवान शिव का अभिषेक करने से सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इस दिन शिव आरती और शिव चालीसा का पाठ करें। पूजा के दौरान भगवान शिव की प्रिय चीजों का भोग लगाए। रुद्राभिषेक के लिए मंत्र उच्चारण के साथ शिव जी का पंचामृत से अभिषेक करें। ऐसे में गंगाजल या घी, दूध, दही, शहद, गन्ने का रस को विशेष मंत्रों के साथ महादेव को अर्पित करें। इसके लिए घर पर शिवलिंग को उत्तर दिशा में रखें और भक्त का मुख पूर्व की तरफ होना चाहिए। इसके बाद गंगाजल से रुद्राभिषेक प्रारंभ करें।
रुद्राभिषेक का महत्व
शिवपुराण के रुद्र संहिता में सावन मास में रुद्राभिषेक का विशेष महत्व बताया गया है। रुद्राभिषेक करने से भगवान शिव भक्त की हर मनोकामना पूर्ण करते हैं। साथ ही ग्रह जनित दोष और रोगों से भी मुक्ति देते हैं। ऐसी मान्यता है कि रुद्राभिषेक का फल भक्त को तत्काल मिलता है। इससे बीमारियां और आर्थिक संकट दूर होता है। संतान सुख, वैभव और यश की प्राप्ति होती है। सावन में सोमवार के दिन प्रातः उठकर स्नान करें।