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Women Empowerment: फुटबॉल में नाम रोशन कर रहीं नरकटियागंज की दो दर्जन बेटियां WestChamparan News

नरकटियागंज प्रखंड के महुअवा गांव की दो दर्जन बेटियां खेल में कर रहीं नाम। अंडर-14 में राज्य टीम से ओडिशा व हरियाणा में फुटबॉल प्रतियोगिता में ले चुकी हैं भाग।

By Murari KumarEdited By: Published: Fri, 03 Jan 2020 09:35 AM (IST)Updated: Fri, 03 Jan 2020 09:35 AM (IST)
Women Empowerment: फुटबॉल में नाम रोशन कर रहीं नरकटियागंज की दो दर्जन बेटियां WestChamparan News
Women Empowerment: फुटबॉल में नाम रोशन कर रहीं नरकटियागंज की दो दर्जन बेटियां WestChamparan News

पश्चिम चंपारण [प्रभात मिश्र]। गरीबी भले ही समस्याएं पैदा कर रही, लेकिन सफलता की ओर बढ़ते कदम नहीं रोक पा रही। तभी तो अभावों से जूझते हुए नरकटियागंज प्रखंड के महुअवा गांव की दो दर्जन बेटियां आसमान की ऊंचाइयां छूने निकल पड़ी हैं। वे फुटबॉल से दुनिया नापने को बेताब हैं। पढ़ाई और घर के काम के बीच समय निकाल प्रतिदिन तीन किलोमीटर दूर अभ्यास करने पहुंचती हैं। यहां की एक बेटी तो राष्ट्रीय स्तर पर परचम लहरा चुकी है।

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महुअवा अन्य गांवों जैसा ही है। लेकिन, इसे अलग करती हैं फुटबॉल खेलतीं यहां की बेटियां। उनकी पूरी दुनिया गोल और फुटबॉल ही है। उत्क्रमित मध्य विद्यालय, महुअवा की ये लड़कियां यहां से करीब तीन किमी दूर राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय पहुंचती हैं। यहां सुबह-शाम अभ्यास करती हैं। टीपी वर्मा कॉलेज के खेलकूद प्रशिक्षक सुनील कुमार वर्मा प्रशिक्षण देने पहुंचते हैं।

 अपनी मेहनत के चलते यहां की लड़कियां अंडर-14 में राज्य टीम से ओडिशा  और हरियाणा में खेल चुकी हैं। 2014 में ओडिशा के कटक में आयोजित फुटबॉल प्रतियोगिता में जीत हासिल की। वर्ष 2018 की राज्य स्तरीय तरंग प्रतियोगिता में भी प्रतिभा दिखा चुकी हैं। ये लड़कियां विभिन्न दौड़ प्रतियोगिताओं में भी जीत हासिल कर चुकी हैं। 

गांव की लक्की कुमारी, निशा कुमारी, सुप्रिया, सुमन, सगुन कुमारी, शिकु कुमारी और खुशी कहती हैं कि हमारे पास महंगे जूते और किट भले ही न हों, पर जज्बा कम नहीं है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलने की चाहत है।  

ऐसे शुरू हुआ खेल

वर्ष 1986 में गांव की वाजदा तबस्सुम फुटबॉल खेलती थीं। टीपी वर्मा कॉलेज के खेलकूद प्रशिक्षक के प्रोत्साहन के चलते वह देश स्तर की खिलाड़ी बनीं। वह कश्मीर में खेल पदाधिकारी हैं। उनकी सफलता देख गांव की अन्य लड़कियां प्रेरित हुईं। इस बीच गांव के उत्क्रमित मध्य विद्यालय में मो. असलम प्रधान शिक्षक बने। वे वाजदा तबस्सुम के भाई हैं। उन्होंने गांव की बेटियों में फुटबॉल के प्रति उत्साह जगाया। हर तरह की मदद की। वह कहते हैं, लड़कियों की सफलता में आर्थिक तंगी बड़ी चुनौती है। 

 प्रशिक्षक सुनील कुमार वर्मा कहते हैं कि महुअवा की बेटियां अन्य गांवों की लड़कियों के लिए प्रेरणास्रोत हैं। समय-समय पर उन्हें हर तरह से मदद की जाती है। 


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