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Muzaffarpur: बैंकों के प्रस्तावित निजीकरण के विरोध में दो दिवसीय हड़ताल शुरू, बंद रहे शहर से गांव तक की बैंक शाखाएं

Two Days Bank Strike बैंकों के प्रस्तावित निजीकरण के विरोध में बैंक कर्मियों का दो दिवसीय हड़ताल के दौरान शहर से लेकर गांव तक की बैंक शाखाएं बंद है। बैंकों से लौटे लोग झेलनी पड़ी परेशानी काम बिगडऩे से उदासी के साथ आक्रोश भी।

By Murari KumarEdited By: Published: Mon, 15 Mar 2021 12:39 PM (IST)Updated: Mon, 15 Mar 2021 05:39 PM (IST)
Muzaffarpur: बैंकों के प्रस्तावित निजीकरण के विरोध में दो दिवसीय हड़ताल शुरू, बंद रहे शहर से गांव तक की बैंक शाखाएं
मुजफ्फरपुर भारतीय स्टेट बैंक जोनल कार्यालय गेट पर बैंक के निजीकरण के विरोध में प्रदर्शन करते बैंक कर्मी।

मुजफ्फरपुर, जागरण संवाददाता। बैंकों के प्रस्तावित निजीकरण के विरोध में बैंक कर्मियों का दो दिवसीय हड़ताल के दौरान शहर से लेकर गांव तक की बैंक शाखाएं बंद रहीं। हड़ताल की वजह से अधिकतर एटीएम में कैश लोडिंग भी नहीं हुई। जिसकी वजह से लोगों को काफी परेशानी झेलनी पड़ी। इसका असर व्यवसाय पर भी पड़ा। अरबों रुपये का कारोबार प्रभावित हुआ। जानकारी के अनुसार जिले की 166 ग्रामीण, 13 अद्र्ध शहरी एवं 75 शहरी समेत 254 बैंक शाखाएं बंद रही। बैंक बंद रहने से त्राहिमाम की स्थिति रही। शहर से लेकर गांव तक के लाखों लोगों के बैंक संबंधी काम नहीं हो सके। खासकर गरीब तबकों को काफी परेशानी हुई। इससे लोगों में उदासी के साथ-साथ आक्रोश भी रहा। कोई बैंक से रुपये नहीं निकाल सका तो कोई रुपये जमा करने से वंचित रहा। व्यापार को भी बड़ा झटका लगा। 

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  • Photo- मुजफ्फरपुर इलाहाबाद बैंक जोनल कार्यालय के गेट पर बैंक के निजीकरण के विरोध में प्रदर्शन करते बैंक कर्मी।

सरकार पर लगाया पूंजीपतियों का समर्थक होने का आरोप, नारेबाजी  हड़ताल में कई बैंक संगठन शामिल हुए। यूएफबीयू के आह्वान पर कई संगठन शामिल हुए। बैंक ऑफ इंडिया पंकज मार्केट, उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक के क्षेत्रीय कार्यालय समेत कई जगहों पर धरना प्रदर्शन किया। यूएफबीयू के संयोजक उत्तम कुमार ने कहा कि निजीकरण आम जनता के लिए नुकसानदायक है। इससे गरीबों की काफी परेशानी बढ़ेगी। सह संयोजक चंदन कुमार ने कहा कि निजीकरण देश व जनविरोधी कदम है। इससे देश का एक बड़ा वर्ग प्रभावित होगा। नेशनल ऑगनाइजेशन आर्फ बैंक वकर्स के महामंत्री उपेंद्र कुमार ने कहा कि निजीकरण तत्कालिक परिस्थिति राष्ट्रहित व जनहित में नहीं है। विलय से ग्राहक परेशान है, कर्मचारियेां की भर्ती बंद है। अर्थ व्यवस्था में उथल-पथल है। बैकिंग देश की अर्थ व्यवस्था का एक मजबूत आधार है। सबसे अधिक रोजगार सृजित करने वाला है। निजीकरण के परिणाम स्वरुप बैंकों में निजी हित का सोच बढ़ेगी। गरीबों की अनदेखी होगी। रोजगार तो मिलेगा मगर कम वेतन की वजह से परेशानी का सामना करना पड़ेगा। बिहार स्टेट सेंट्रल बैंक आफिसर्स एसोसिएशन के प्रदेश महामंत्री मृत्युंजय मिश्रा ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को बदनाम कर निजीकरण की ओर ले जा रही है। बैंक ऑफ इंडिया अधिकारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष डा.अच्यूतांनद ने कहा कि निजीकरण उद्योगपतियों को गरीब जनता का शोषण का अवसर देगी। ऑल इंडिया इलाहाबाद बैंक आफिसर्स एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष विशाल सिन्हा ने कहा कि केंद्र सरकार पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने के लिए करोड़ों गरीबों के हितों की अनदेखी कर रही है। यूनाइटेड फोरम ऑफ आरआरबी यूनियंस के संयोजक अरुण कुमार सिंह ने कहा कि निजीकरण देश के लिए खतरनाक कदम है।

बैंकों में नहीं हुआ कामकाज, झंडा-बैनर के साथ मुख्य द्वार पर किया प्रदर्शन 

समस्तीपुर  बैंकों के निजीकरण के खिलाफ बैंककर्मियों की हड़ताल के कारण सोमवार को बैंकों में ताले लटके रहे। यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस की ओर से आयोजित इस बैंक हड़ताल के कारण अधिकांश बैंकों से ग्राहक लौटते रहे। वहीं बैंक कर्मी विभिन्न बैंकों के मुख्य द्वार पर आंदोलन के समर्थन में नारेबाजी करते रहे। ऑल इंडिया संघ इंप्लाइज एसोसिएशन के महासचिव ने कहा कि बैंक हड़ताल को सफल बनाने के लिए जिला भर में कुल चार टीमें बनाई गई है। हड़ताली बैंक कर्मियों की मुख्य मांगों में बैंकों के निजीकरण की नीति वापस लेने, जनविरोधी बैंकिंग सुधार पर रोक लगाने, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को बचाने, जनता की बचत को सुरक्षित रखने, आम आदमी तक बैंकिंग सेवाएं पहुंचाने की मांग शामिल है। इस दो दिवसीय हड़ताल को सफल बनाने में बैंक फेडरेशन सभी संगठनों के कर्मी लगे रहे।

ये काम हुआ प्रभावित 

-  एटीएम में नहीं डाले गए नोट

-  ड्राफ व बैंकर्स चेक भी नहीं बने

- चेक क्लियरिंग भी ठप 

- फंड ट्रांसफर हुआ प्रभावित

- बैंक में जमा नहीं हो सका कैश

- बैंक से नहीं हुई राशि की निकासी

- नहीं खुला खाता 


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