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छात्रों के लिए खुशखबरी: बॉटनी में 19 तो जूलॉजी में मिले 22 असिस्टेंट प्रोफेसर

दोनों विषय मिलाकर 41 शिक्षक बीआरए बिहार विश्वविद्यालय को मिल चुके, प्रोफेसरों की कमी को दूर करने की दिशा में लगातार प्रयास किए जा रहे है।

By Ajit KumarEdited By: Published: Wed, 12 Dec 2018 04:18 PM (IST)Updated: Wed, 12 Dec 2018 04:18 PM (IST)
छात्रों के लिए खुशखबरी: बॉटनी में 19 तो जूलॉजी में मिले 22 असिस्टेंट प्रोफेसर
छात्रों के लिए खुशखबरी: बॉटनी में 19 तो जूलॉजी में मिले 22 असिस्टेंट प्रोफेसर

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। बिहार विश्वविद्यालय के छात्रों के लिए खुशखबरी है। प्रोफेसरों की कमी को दूर करने की दिशा में लगातार प्रयास किए जा रहे है। इस क्रम में बिहार विश्वविद्यालय में 41 और सहायक प्रोफेसर बहाल हुए है। जल्द ही ये सहायक प्रोफेसर अपना योगदान करेंगे। इनकी बहाली से कॉलेजों में शिक्षण कार्य सुचारू हो सकेगी। बीपीएससी के माध्यम से कॉलेजों व विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसरों की बहाली शुरू हुई है। इसी क्रम में मंगलवार को जूलॉजी विषय में 22 असिस्टेंट प्रोफेसर बहाल हुए। इससे पहले बॉटनी के लिए 19 शिक्षकों की हाल ही में बहाली हुई है। इस प्रकार दोनों विषय मिलाकर 41 शिक्षक बीआरए बिहार विश्वविद्यालय को मिल चुके।

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41 में 14 महिला प्रोफेसर

विवि में कुल 41 सहायक प्रोफेसर बहाल हुए है। इसमें 14 महिला प्रोफेसरं है। जूलॉजी में आशुतोष मिश्रा, रोशन कुमार, धीरज कुमार, मनोज कुमार जायसवाल, वेदप्रकाश दुबे, विपुल वैभव, हरेंद्र कुमार चौहान, नवल किशोर, अभिरंजन कुमार, सदानंद वर्णवाल, मुकुल किशोर वर्मा के अलावा निक्की कुमारी, अर्चना गुप्ता, कंचन सिन्हा, सुधा कुमारी बहाल हुई हैं। वहीं बॉटनी विषय में अमृत लाल, अभिषेक कुमार द्विवेदी, सफिकुर्रहमान, अरविंद कुमार, सुरेश नारायण बैठा के अलावा आदित्य आभा सिंह, रिचा राय, प्रीति प्रसाद, श्वेता यादव, रीमा कुमारी, प्रियंका चटर्जी, कादंबनी, मेनका, नीतू भारती, निहारिका भारती शामिल हैं।

कई सहायक प्रोफेसर भेजे जाएंगे अंगीभूत कॉलेज

बताया जाता है कि इन शिक्षकों में कुछ अंगीभूत कॉलेजों में भेजे जाएंगे तो आवश्यकता के अनुसार कुछ विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों में नियुक्त होंगे। बहरहाल, इनकी बहाली से शिक्षकों की कमी की बहुत हद तक भरपाई हो सकेगी। यहां बता दें कि प्रोफेसरों की कमी के कारण कॉलेजों में पढ़ाई एक तरह से ठप हो गई थी। इस कारण कॉलेजों में छात्रों का रूख काफी कम हो गया था। 


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