घर का कचरा नाले में और नाले का सड़क पर आने से हो रही परेशानी, हमेशा बना रहता सेहत को नुकसान का खतरा
कचरा डालने से अवरुद्ध हो जाता है नाला सड़क पर बहने लगता गंदा पानी। सड़क पर फैलाया गया कीचड़ धूल बन सेहत काे पहुंचाता नुकसान। धूल हवा के साथ सांस के जरिये शरीर में प्रवेश कर जाती है। विभिन्न अंगों में पहुंच विभिन्न प्रकार से नुकसान पहुंचाती है।
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। लोग अपने घर एवं दुकान की सफाई कर कचरे को नाले में डाला देते हैं। नगर निगम नाले की सफाई कर कीचड़ सड़क पर फैला देता है। कचरा डालने से नाला जाम हो जाता है और उसका गंदा पानी सड़क पर बहने लगता है। वहीं नाले से निकाल कर सड़क पर फैलाया गया कचरा सूख कर धूल बन जाता है और लोगों की सेहत को नुकसान पहुंचाता। अब सवाल उठता है किए ऐसी सफाई किस काम की जो फायदे से ज्यादा नुकसान पहुंचा रही है। सड़क पर बहते नाले के पानी एवं कचरे की धूल से वातावरण तो प्रदूषित हो ही रहा है, लोगों की सेहत को भी नुकसान पहुंच रहा है।
गर्द-गुबार में जीना दुश्वार
नगर निगम द्वारा नाला उड़ाही कर कीचड़ को सड़क पर छोड़ दिया जाता है। सड़क पर पड़ा कीचड़ सूखकर धूल बन शहरवासियों का जीना दुश्वार कर देता है। यह न सिर्फ लोगों के घरों में पहुंच जाता है बल्कि शहरवासियों की सांस के साथ उनके शरीर में पहुंच नुकसान पहुंचा रहा है। नालों से कीचड़ निकाल सीधे उसका निष्पादन करने में निगम अक्षम है।
नालों को बना दिया है कूड़ेदान
लोगों ने नालों को घर एवं दुकान का कूड़ेदान बना दिया है। घर एवं दुकान की सफाई करके के उपरांत निकले कचरे को सीधे नाला में डाला दिया जाता है। लोगों की इस लापरवाही से नालों का बहाव अवरुद्ध हो जाता है और सड़कें गंदे पानी का तालाब बन जाती हैं। इसका सबसे बड़ा उदाहरण कल्याणी-चपड़ा पुल नाला है जिसे लोगों ने कचरा से भरकर समाप्त कर दिया।
संक्रमण फैला रही कीचड़ के सूखने से बनी धूल
डा. दीपक कुमार मणि कहते हैं कि हवा में यदि धूल ज्यादा हो तो वह स्वास्थ्य के लिए खतरनाक होती है। धूल हवा के साथ सांस के जरिये शरीर में प्रवेश कर जाती है। विभिन्न अंगों में पहुंच विभिन्न प्रकार से नुकसान पहुंचाती है। आंखों में जलन, बैचैनी, जी मितलाना, घुटन, शारीरिक श्रम करने में मुश्किल पेश आती है। हवा में धूल की मात्रा बढऩे के कारण शहरी क्षेत्रों में लोगों के फेफड़े कमजोर हो रहे हैं।