सदर अस्पताल में इलाज पूरी तरह ठप, इस वजह से कर्मचारियों ने छोड़ा कामकाज
Sadar Hospital से जुड़े एक वरीय अधिकारी व एक चिकित्सक के कोरोना संक्रमित होने के बाद कर्मियों में भय व दहशत । कर्मचारी उपाधीक्षक कार्यालय के पास धरना दे रहे।
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। कोरोना संक्रमण के डर से सदर अस्पताल के कर्मचारियों ने कामकाज ठप कर दिया है। यहां से जुड़े एक वरीय अधिकारी व एक चिकित्सक के कोरोना संक्रमित होने के बाद कर्मियों में भय व दहशत है। सुबह-सुबह कर्मचारी एकजुट हुए और उपाधीक्षक कार्यालय के पास धरना पर बैठ गए।
संक्रमण की वजह से लिया निर्णय
सदर अस्पताल के कर्मचारी नेता विपिन बिहारी सिंह ने बताया कि बड़ी संख्या में चिकित्सक और कर्मी पॉजिटिव निकल रहे हैं। इसलिए यह निर्णय लिया गया है कि तत्काल अस्पताल को बंद किया जाए। कर्मचारी नेता ने कहा कि उनकी मुख्य मांग है कि पूरे सदर अस्पताल को सैनिटाइज कराया जाए। सभी कर्मचारियों का सामूहिक रूप से नमूना संग्रह कराया जाए। सभी को 14 दिनों तक होम क्वारंटाइन किया जाए। जो कर्मचारी काम कर रहे हैं उनकी सुरक्षा का पूरा ख्याल किया जाए। सभी को मास्क, सैनिटाइजर, पीपीई किट सहित अन्य जरूरी सामान की आपूर्ति की जाए । अस्पताल में इलाज बंद होने के कारण बाहर से आने वाले मरीजों को भारी परेशानी हो रही है।
क्लीनिक व निजी अस्पताल बंद
मालूम हो कि जिले की सबसे बड़ी चिकित्सा मंडी जूरन छपरा में दर्जनभर चिकित्सक संक्रमित मिले हैं। इसके कारण इस इलाके में सभी प्रमुख चिकित्सकों के क्लीनिक व निजी अस्पताल बंद हैं। वहीं इलाज के एकमात्र माध्यम सरकारी अस्पताल सदर अस्पताल में भी काम ठप होने से संकट गहरा गया है। इधर, सिविल सर्जन ने कहा कि उन्हें भी कर्मचारियों के काम नहीं करने की सूचना मिली है। मजबूरी है कि अधिकांश अधिकारी बीमार हैं। इस परिस्थिति में सरकार से मार्गदर्शन मांगा जा रहा है। फिलहाल कोशिश है कि सदर अस्पताल की सेवा जारी रहे। इसके लिए अपने स्तर से से पहल कर रहा हूं। सदर अस्पताल के उपाधीक्षक से पूरी घटनाक्रम पर रिपोर्ट मांगी गई है। उपाधीक्षक कार्यालय पर धरना देने वालों में मुख्य रूप से कर्मचारी नेता राजू कुमार मिश्रा, रंजन कुमार, उपेंद्र महतो मुख्य रूप से शामिल हैं।
सदर अस्पताल परिसर में अफरातफरी का माहौल
अचानक कर्मचारियों के हड़ताल पर चले जाने के कारण सदर अस्पताल परिसर में अफरातफरी का माहौल है। मरीज इधर-उधर भटक रहे हैं। अस्पताल में किसी के भी पास कोई जानकारी नहीं है। ऐसी स्थिति में मरीज किससे शिकायत करे, कहां जाए, यह स्थति बनी हुई है।