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दो शावकों के साथ उत्तर प्रदेश घूमने निकलीं वीटीआर की रानी, वनकर्मियों की टीम कर रही निगरानी

वीटीआर के मदनपुर वन क्षेत्र से निकलकर सीमावर्ती उत्तर प्रदेश के सोहगी बरवा जंगल का रुख किया है। जंगल की सीमा खुली हुई है इसलिए जानवर वन क्षेत्रों में विचरण करते रहते हैं।

By Murari KumarEdited By: Published: Fri, 07 Aug 2020 11:27 AM (IST)Updated: Fri, 07 Aug 2020 05:39 PM (IST)
दो शावकों के साथ उत्तर प्रदेश घूमने निकलीं वीटीआर की रानी, वनकर्मियों की टीम कर रही निगरानी
दो शावकों के साथ उत्तर प्रदेश घूमने निकलीं वीटीआर की रानी, वनकर्मियों की टीम कर रही निगरानी

पश्चिम चंपारण, [सौरभ कुमार] । हसीन वादियों के लिए देश में अलग पहचान रखने वाले बिहार के इकलौते वाल्मीकि ब्याघ्र परियोजना में बाघों का कुनबा बढ़ने से सरकार उत्साहित है। यहां बाघों की संख्या 40 पार पहुंच गई है। इनमें शावकों की संख्या करीब आधा दर्जन है। इन दिनों जंगल की रानी (बाघिन) अपनी यात्रा को लेकर चर्चा के केंद्र में है। दरअसल, बाघिन अपने दो शावकों के साथ भ्रमणशील है। बारिश के कारण बाघों के अधिवास क्षेत्र में पानी भर जाने के कारण छोटे जानवर ऊंचे स्थानों की ओर रुख कर रहे। इस वजह से बाघिन को अपने बच्चों की सुरक्षा की चिंता सता रही।

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उसने वीटीआर के मदनपुर वन क्षेत्र से निकलकर सीमावर्ती उत्तर प्रदेश के सोहगी बरवा जंगल का रुख किया है। जंगल की सीमा खुली हुई है, इसलिए जानवर वन क्षेत्रों में विचरण करते रहते हैं। सीमा पर लगे ट्रैप कैमरे में बाघिन व शावकों की तस्वीर कैद होने के बाद वनकर्मियों की एक टीम को बाघिन के लोकेशन के आधार पर निगरानी हेतु लगाया गया है। वीटीआर के अधिकारियों ने यूपी के वन प्रशासन से भी संपर्क साधा है। बाघिन के साथ शावक प्रकृति की गोद में खेलते हुए कैमरे में कैद हुए हैं। डीएफओ गौरव ओझा के अनुसार बरसात का सीजन समाप्त होने के साथ ही बाघिन फिर से अपने अधिवास क्षेत्र में लौट आएगी।

होती रहती है वर्चस्व की लड़ाई

890 वर्ग किलोमीटर में फैले वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में बाघों की अनुमानित संख्या 40 है। इनका अपना इलाका होता है। एक बाघ करीब 1500 हेक्टेयर के इलाके में अपना अधिवास क्षेत्र बनाता है। बाघिन नर बाघ के साथ रहती है। अमूमन शावकों के जन्म के बाद बाघ अपने इलाके में किसी की दखलंदाजी पसंद नहीं करते। माना जा रहा है कि इसी कारण से बाघिन अपने शावकों के साथ भ्रमणशील है।

वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के डीएफओ गाौरव ओझा कहते हैं कि बाघों की निगरानी ट्रैप कैमरों के माध्यम से होती है। वीटीआर की बाघिन अपने दो शावकों के साथ सीमावर्ती उत्तर प्रदेश के जंगल का रुख करती देखी गई है। वन कर्मियों की टीम निगरानी कर रही है।


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