जानलेवा हमले के दोषी तीन भाइयों को दस साल कारावास की सजा, जानिए पूरा मामला Muzaffarpur News
चाय दुकान की प्रतिद्वंद्विता में हुई थी घटना। मामले के विचारण के दौरान आरोपित पिता व एक भाई की हो गई मौत। 15 साल पहले ब्रह्मपुरा थाना क्षेत्र के नूनफर में घटी थी घटना।
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। चाय की दुकानदारी की प्रतिद्वंद्विता को लेकर जानलेवा हमले के दोषी तीन सगे भाइयों को दस साल कारावास की सजा सुनाई गई है। इसमें ब्रह्मपुरा थाना क्षेत्र के नूनफर निवासी बबलू सिंह, संजीव सिंह व प्रभात कुमार सिंह शामिल है। तीनों को दस-दस हजार रुपये जुर्माना भी देना होगा। इन तीनों के पिता जयप्रकाश सिंह व भाई राजीव सिंह भी इस मामले में आरोपित थे, लेकिन मामले के विचारण के दौरान दोनों की गोली मारकर हत्या कर दी गई।
इस मामले के सूचक नूनफर निवासी संजय कुमार गुप्ता की भी बाद में मौत हो गई। मामले के सत्र विचारण के बाद अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश पंचम संजीव कुमार पांडेय ने तीनों को सजा सुनाई। अभियोजन पक्ष की ओर से अपर लोक अभियोजक सुनील कुमार पांडेय ने न्यायालय के समक्ष अभियोजन साक्ष्य पेश किया।
यह है मामला
घटना 20 मार्च 2004 की है। नूनफर निवासी संजय कुमार गुप्ता ने ब्रह्मपुरा थाना में केस दर्ज कराया था। इसमें उसने कहा था कि मोहल्ले में ही उसकी दुकान के सामने बबलू सिंह की भी चाय की दुकान थी। दुकानदारी को लेकर दोनों में दुश्मनी चल रही थी। 20 मार्च 2004 की शाम आरोपितों ने तलवार व लाठी डंडे से उस पर हमला बोल दिया। जिसमें वह गंभीर रूप से घायल हो गया। मामले की जांच के बाद पुलिस ने आरोपितों के खिलाफ 18 दिसंबर 2004 को कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल किया।
कंपाउंडर की गवाही से बंद होने से बचा केस
अपर लोक अभियोजक सुनील कुमार पांडेय ने बताया कि गवाही के कुछ दिनों के बाद मामले के सूचक संजय कुमार गुप्ता की मौत हो गई। कोई गवाह न्यायालय में नहीं आ रहा था। ऐसे में न्यायालय इस केस को बंद करने की प्रक्रिया शुरू करने वाली थी। उन्होंने संजय का इलाज करने वाले सदर अस्पताल के चिकित्सक को ढूढऩे का प्रयास किया, लेकिन वे नहीं मिले।
इस दौरान उनके साथ काम करने वाले कंपाउंडर मिल गए। न्यायालय में आकर कंपाउंडर ने गवाही दी व चिकित्सक की ओर से जारी जख्म प्रतिवेदन एवं उनके हस्ताक्षर की पहचान की। इसके बाद केस बंद होने से बच गया। अन्य गवाही के बाद घटना के समर्थन में न्यायालय में मजबूत साक्ष्य पेश हो गया। उन्होंने बताया कि जानलेवा हमले के मामले में दोषी को अधिकतम दस साल सजा का प्रावधान है। हाल के वर्षों में इस ऐसे मामले में संभवतया यह पहला मामला है जिसमें न्यायालय ने अधिकतम सजा सुनाई है।