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पूर्वी चंपारण के इस लाल ने पर्वतारोहण में बनाए हैं कई कीर्तिमान

सुगौली न‍िवासी रव‍ि अभी माउंट एवरेस्ट को फतह करने की कर रहे हैं तैयारी। आर्थिक मदद के लिए बिहार सरकार से लगाई है गुहार। एवरेस्ट की चढ़ाई करने में कम से कम 35 लाख रुपये का खर्च आता है।

By Ajit KumarEdited By: Published: Thu, 03 Dec 2020 10:18 AM (IST)Updated: Thu, 03 Dec 2020 10:18 AM (IST)
पूर्वी चंपारण के इस लाल ने पर्वतारोहण में बनाए हैं कई कीर्तिमान
रवि बताते हैं कि उनका अगला लक्ष्य माउंट एवरेस्ट को फतह करना है। फाइल फोटो

पूर्वी चंपारण, जेएनएन। जिला हिमालयी क्षेत्र से नजदीक होने के बावजूद भी यहां पर्वतारोहण जैसी गतिविधियां उतनी प्रचलित नही रही हैं। लेकिन अब यहां के युवाओं ने भी पर्वतारोहण व इससे जुड़ी गतिविधियों में दिलचस्पी लेना शुरू कर दिया है। जिले के सुगौली प्रखंड अंतर्गत सुगांव निवासी रवि राज मिश्रा ने पर्वतारोहण के क्षेत्र में कई उपलब्धियां हासिल की है। रवि बताते हैं कि उन्हें बचपन से ही पहाड़ो से लगाव रहा है। यही कारण है कि वे कई बार साईकिल से ही नेपाल के पहाड़ी क्षेत्रों में चले जाते थे। उन्होंने वर्ष 2011 में पर्वतारोहण कि बेसिक माउंटेनियरिंग तथा एडवांस माउंटेनियरिंग कोर्स हिमालयन पर्वतारोहण संस्थान दार्जिलिंग से पूरी की। इसके बाद लद्दाख स्थित माउंट स्टॉक कांगड़ी-6153 मीटर क्लाइंब किया।

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बछेंद्री पाल के निर्देशन  में प्रशिक्षक नियुक्त हुए

जुलाई 2013 में हिमाचल प्रदेश के लाहौल स्पीति स्थित बरशागिरी में आईएमएफ द्वारा आयोजित पर्वतारोहण प्रतियोगिता में भाग लिया और 6290 मीटर ऊंची एक अनाम  चोटी को फतह किया। उसके बाद जुलाई 2015 से अक्टूबर माह के बीच लद्दाख स्थित माउंट कंगयास्ते -6200  की सफलतापूर्वक चढाई की। वहीं जम्मू कश्मीर एलओसी के नजदीक स्थित वहां के सबसे ऊंचे चोटी माउंट नुन को अमेरिकन ऑस्ट्रेलियन टीम के साथ क्लाइंब किया। हालांकि इस दौरान वे पहली बार फर्स्ट डिग्री फ्रॉस्ट बाइट के शिकार हो गए थे। 

एवरेस्ट फतह करने की है चाहत

रवि बताते हैं कि उनका अगला लक्ष्य माउंट एवरेस्ट को फतह करना है। विगत कई सालों से वे इसकी तैयारी में जुटे हैं। लेकिन प्रायोजक नही मिलने के कारण उन्हें आर्थिक दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। एक बहुत ही खर्चीला स्पोर्ट्स है। एवरेस्ट की चढ़ाई करने में कम से कम 35 लाख रुपये का खर्च आता है। रवि बताते हैं कि अगर बिहार सरकार पर्वतारोहण को प्रोत्साहित करे तो यहां के युवाओं में भी काफी प्रतिभा है और वे इस क्षेत्र में काफी आगे जा सकते हैं। बिहार राज्य में वर्तमान में उनको मिलाकर दो पर्वतारोही ही हैं और आर्थिक मदद के अभाव में माउंट एवरेस्ट पर बिहार का परचम लहराने से वंचित हैं। 


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