ऐसा गांव जहां के लोगों के लिए आज भी है चचरी ही सहारा
मुजफ्फरपुर। सीतामढ़ी जिले के सुरसंड प्रखंड की डाढ़ावारी पंचायत का रामनगर गांव आज भी मूलभूत सुविधाओं
मुजफ्फरपुर। सीतामढ़ी जिले के सुरसंड प्रखंड की डाढ़ावारी पंचायत का रामनगर गांव आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है। लगभग तीन सौ परिवार वाले इस गांव में सड़क की सुविधा नहीं है। गांव के लोगों को आवागमन के लिए खेतों की मेड़, पगडंडियां तथा पुल-पुलिया की जगह बांस की बनी चचरी का सहारा लेना पड़ता है। विजली,स्वास्थ्य व शिक्षा सेवा की तो बात करना बेमारी है। रातो नदी से हर साल आने वाली बाढ़ ग्रामीणों को तबाह कर जाती है। सड़क के अभाव में गांव वालों को अपने ही गांव के समुदायिक भवन एवं आगनबाड़ी केन्द्र जाने के लिए करीब आठ किलो किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है। जनवितरण प्रणाली की दुकान तक जाने के लिए 15 किलोमीटर की दूरी तय करती पड़ती है। गांव के बच्चों को चचरी से पार कर स्कूल जाना पड़ता है। जहां हर समय खतरे की आशंका बनी रहती है। गांव के कुम्हार टोली वाले रास्ते में सालों भर पानी जमा रहता है। बिजली के अभाव में लोगों को मोबाइल चार्ज कराने बाहर जाना पड़ता है। गांव के स्कूल में नामांकित 240 बच्चों को पढ़ाने के लिए मात्र एक शिक्षक पदस्थापित हैं। स्कूल में बेंच- डेस्क का अभाव है। भवन और पेयजल का भी अभाव है। प्रधानाध्यापक मो. शाहिद हुसैन बताते हैं कि डेस्क - बेंच व पेयजल के लिए अधिकारियों को लिखा गया है। वही भूमिदाता किशुन राय बताते है कि उन्होंने भवन निर्माण के लिए स्कूल के लिए दो कट्ठा जमीन दान में दी है। अगर जरूरत पड़ेगी तो 10 कट्ठा और देने के लिए तैयार हैं। ग्रामीण सुशील मंडल व राजंदन मिश्र बताते हैं कि गांव में रातो नदी की हर साल सैकड़ों एकड़ में लगी धान की फसल नष्ट होती है। खेती से निराश किसान व मजदूर दूसरे प्रदेश में पलायन के लिए मजबूर हैं।
पंचायत के मुखिया धुव्र नारायण चौधरी ने बताया कि उनके कार्यकाल में प्राथमिकता के आधार पर जहां तक समस्या निदान के लिए अथक प्रयास करूंगा। पूर्व मुखिया रामस्वार्थ राय ने बताया है कि सड़क के निर्माण के लिए इस इलाके के लोग सांसद,विधायक व प्रशासनिक अधिकारियों से सड़क व बिजली के लिए सैकड़ों बार गुहार लगा चुके हैं। उन्होंने अपने कार्यकाल में यथासंभव विकास कार्य करवाया। प्रखंड जदयू (शरद गुट) के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव, राजद नेता अवध यादव, समाजसेवी पंकज कुमार, शत्रध्न राउत तथा मलखान ¨सह बताते हैं कि आजादी के बाद से ही किसी भी जनप्रतिनिधि ने रामनगर गांव की सुध नहीं ली।