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पूर्ण शराबबंदी से इस तरह मुजफ्फरपुर के कई परिवारों की बदल दी जिंदगी

सोमारी देवी ने कहा कि पहले कमाई का आधा हिस्सा उनके पति शराब पर खर्च कर देते थे। घर में हर रोज विवाद होता था। शराबबंदी लागू होने के बाद आदत और दिनचर्या में बदलाव आया है। अब प्रतिदिन ठेले पर लिट्टी और समोसा ले जाकर हाट में बेचते हैं।

By Ajit KumarEdited By: Published: Mon, 24 Jan 2022 11:30 AM (IST)Updated: Mon, 24 Jan 2022 11:30 AM (IST)
पूर्ण शराबबंदी से इस तरह मुजफ्फरपुर के कई परिवारों की बदल दी जिंदगी
पहले बहुत से परिवार ऐसे थे जहां शराब की वजह से आर्थिक तंगी रहती थी।

मुजफ्फरपुर, जाटी। पहले बहुत से परिवार ऐसे थे, जिनके घर के पुरुष कमाई का आधा से अधिक हिस्सा शराब पर खर्च कर देते थे। इस कारण हर दिन घर में विवाद होता था, मगर प्रदेश में पूर्ण शराबबंदी के बाद से ऐसे कई परिवारों का जीवन बदला है। घर में खुशहाली आई है। बता दें कि गत वर्ष कटरा में जहां जहरीली शराब पीने से पांच लोगों की मौत हुई थी। उसी इलाके से सटे पतारी गांव ऐसा है, जहां काफी लोग नशे की गिरफ्त में थे। इन इलाकों में सभी तरह की शराब मिलती थी, लेकिन शराबबंदी के बाद कई परिवारों में खुशहाली आ गई। शराब की लत जाती रही और जीवन खुशहाल बन गया। 

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इलाके की सोमारी देवी ने आपबीती बताते हुए कहा कि पहले कमाई का आधा से अधिक हिस्सा उनके पति शराब पर खर्च कर देते थे। इस कारण घर में हमेशा तंगी रहती थी। बच्चे को अच्छी शिक्षा नहीं दे पाते थे। हर रोज घर में विवाद होता था। ढंग से भोजन नहीं मिल पाता था, लेकिन शराबबंदी लागू होने के बाद आदत और दिनचर्या में बदलाव आया है। दिन रात नशे में रहने वाले उनके पति स्वस्थ और चंगा हो गए हैं। उन्हें जीवन में कुछ करने की इच्छा जागी, और उन्होंने एक ठेला बनवाया। अब प्रतिदिन ठेले पर फास्ट फूड, लिट्टी और समोसा ले जाकर हाट में बेचते हैं। इससे औसतन पांच सौ रुपये प्रतिदिन आय हो रही है। इसके अलावा पति के साथ खुद सोमारी देवी भी सब्जी बेचने का कारोबार कर रही है। कहती हैं कि हमारा व्यवसाय चल पड़ा और घर में खुशी लौट आई है। अब हम बच्चों को निजी स्कूल में पढ़ाते हैं और अच्छा भोजन व कपड़ा देते हैं। शराब के पैसे बचने से विकास के काम में लगाते हैं। अब कभी हमारे बीच विवाद नहीं होता। इससे हमारा जीवन बदल गया।

इसे सख्ती से रोकना होगा

कटरा, संस : शराब की तस्करी कैसे रूके इस सवाल के जवाब में विभिन्न लोगों के अलग-अलग विचार हैं। इलाके के रजनीश ङ्क्षसह का कहना है कि प्रशासन की शिथिलता के कारण बोर्डर इलाके से शराब की खेप आती है जिसे सख्ती से रोकना होगा। उसी इलाके के धर्मेंद्र ठाकुर का कहना है कि आज लोग स्वनिर्मित जहरीली शराब पीकर मर रहे हैं। इसलिए सरकार को चाहिए कि जिला स्तर पर दुकान खोलकर सीमित मात्रा में आपूर्ति करें। धनंजय कुमार का कहना है कि पुलिस प्रशासन की मिलीभगत से शराब बिकती है। ईमानदारी से इसे रोकने का प्रयास करना होगा। अजय कुमार ङ्क्षसह ने कहा कि जबतक लोग मानसिक रूप से इसका बहिष्कार नहीं करेंगे यह नहीं रुकेगी। इसके लिए समाज में जागरूकता लाने की जरूरत है। तभी बदलाव आएगा।  


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