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CoronaVirus Bihar: कोरोना से बचना है तो खाइए यह फल, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में है लाजवाब

CoronaVirus Bihar बिहार के मुजफ्फरपुर में चीनी मूल के एक फल पर शोध किया जा रहा है। यह फल लौंगन रोग प्रतिरोधी क्षमता बढ़ाने के गुण के कारण कोरोना से जंग में मददगार है।

By Amit AlokEdited By: Published: Tue, 07 Jul 2020 11:02 AM (IST)Updated: Wed, 08 Jul 2020 07:48 AM (IST)
CoronaVirus Bihar: कोरोना से बचना है तो खाइए यह फल, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में है लाजवाब
CoronaVirus Bihar: कोरोना से बचना है तो खाइए यह फल, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में है लाजवाब

मुजफ्फरपुर, अजय पांडेय। CoronaVirus Bihar: रंग-रूप लीची (Litchi) जैसा, गुण मिलते-जुलते और मिठास भी बेजोड़। यह 10 से 15 ग्राम वजनी और रसीला फल पहली नजर में लीची ही नजर आता है। पौष्टिकता और पोषक तत्वों से भरपूर लीची परिवार का चीनी मूल (Chinese Origin) का फल लौंगन (Longan) बिहार के मुजफ्फरपुर जिले की धरती पर विकसित हुआ है। जुलाई के अंत तक यह पककर तैयार हो जाता है। इसके पोषक तत्व रोग प्रतिरोधक क्षमता (Immunity Power) बढ़ाने में सहायक हैं। कोराना संक्रमण (CoronaVirus Infection) के वर्तमान दौर में तो यह रामबाण है।

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चीन, मलेशिया व थाइलैंड की प्रजाति पर बिहार में शोध

हॉर्टिकल्चर विज्ञानियों का कहना है कि पौष्टिकता के मामले में यह लीची के समकक्ष है। दक्षिणी चीनी मूल के इस फल पर एक दशक तक मुजफ्फरपुर के राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र में शोध किया गया। बिहार की मिट्टी और जलवायु के अनुकूल विकसित कर 2017 में गंडकी लौंगन-वन के नाम से रिलीज किया गया। विज्ञानियों का दावा है कि इस फल का उत्पादन चीन, मलेशिया व थाइलैंड आदि देशों में होता है, लेकिन मुजफ्फरपुर में विकसित वेरायटी सर्वोत्तम है। इसके पोषक तत्व शारीरिक कमजोरी की स्थिति में त्वरित ऊर्जा प्रदान करते हैं। इसमें यादाश्त बढ़ाने का गुण भी है।

एक दशक पहले पश्चिम बंगाल से आया था जर्म प्लांट

इस प्रजाति पर शोध कर रहे लीची अनुसंधान केंद्र के विज्ञानी आलोक कुमार गुप्ता बताते हैं कि एक दशक पहले यहीं के विज्ञानी डॉ. राजेश कुमार के नेतृत्व में रिसर्च वर्क शुरू हुआ था। पश्चिम बंगाल के 24-परगना से इसका जर्म प्लांट मंगाया गया। इसके बाद स्थानीय क्लाइमेट के अनुसार रिसर्च शुरू हुआ, जिसमें 2017 में एक वेरायटी रिलीज की गई है। अभी कई वेरायटी पर रिसर्च हो रहा है।

अप्रैल में आता फूल, जुलाई में पक कर तैयार होता फल

लीची परिवार के इस फल के पौधों में अप्रैल में फूल लगते हैं। जुलाई के अंत में पककर तैयार होता है। अगस्त के पहले सप्ताह में यह खत्म भी हो जाता है। पांच से 10 मीटर ऊंचे प्रति पौधे में 25 से 30 किलो फल लगते हैं। अनुसंधान केंद्र में अभी 50 से 60 पौधे हैं। यहां से पौधों की बिक्री भी की जा रही है।

रोग प्रतिरोधक बढ़ाता फल, कैंसर रोधी तत्‍व भी भरपूर

राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र के निदेशक डॉ. विशालनाथ के नेतृत्व में शोध करनेवाले विज्ञानियों का कहना है कि इसमें एंटी पेन और एंटी कैंसर एलीमेंट्स (Anti Cancer Elements) भरपूर मात्रा में होते हैं। लौंगन में कार्बोहाइड्रेट, कैरोटीन, विटामिन के, रेटिनॉल, प्रोटीन, राइबोफ्लेविन, फाइबर, एस्कॉर्बिक एसिड व थायमिन की मात्रा होती है। ये सारे तत्व शरीर की अलग-अलग जरूरतों को पूरी कर रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं। हालांकि, अन्य उत्पादक देशों ने इसके औषधीय गुणों को मेडिसीन प्रोसेस में शामिल कर लिया है। भारत में इसके न्यूट्रीशन पार्ट को लेकर आइआइटी, खडग़पुर (IIT Khagragpur) में रिसर्च चल रहा है।


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