मधुबनी के ये दो भाई निर्धन मेधावी विद्यार्थियों की शिक्षा का उठाते हैं खर्च, जानिए उनकी प्रेरणा
राजनगर के दो भाई देवेंद्र व गजेंद्र पांच वर्षो में निस्वार्थ कर रहे काम। हर साल आठ ग्रामीण विद्यार्थियों का चयन सहायता के लिए करते। इस कार्य के लिए एक चैरिटेबल ट्रस्ट की स्थापना की है। इसमें किसी अन्य से सहयोग राशि नहीं लेते हैं।
मधुबनी, [कपिलेश्वर साह]। गांव के मेधावी गरीब बच्चे अच्छी शिक्षा पा सकें, इसके लिए राजनगर प्रखंड निवासी दो भाई देवेंद्र चौधरी व गजेंद्र चौधरी पांच वर्षों से काम कर रहे। मैट्रिक से आगे की पढ़ाई के लिए प्रतिवर्ष आठ छात्र-छात्राओं का चयन करते हैं। इस कार्य के लिए एक चैरिटेबल ट्रस्ट की स्थापना की है। इसमें किसी अन्य से सहयोग राशि नहीं लेते हैं।
तीन साल पहले सेवानिवृत्त
राजनगर के कोइलख गांव निवासी अधिवक्ता देवेंद्र जमींदार परिवार से आते हैं। उनके छोटे भाई गजेंद्र चौधरी दुबई में एक कंपनी में इंजीनियर से तीन साल पहले सेवानिवृत्त हुए हैं। उनके एक पुत्र दुबई में ही इंजीनियर हैं। जबकि, दूसरे पुत्र अधिवक्ता। दोनों भाइयों ने देखा कि गरीबी के चलते उनके गांव के बहुत से छात्र-छात्राएं उच्च शिक्षा ग्रहण नहीं कर पाते। अधिकतर विद्यार्थी मैट्रिक के बाद पढ़ाई छोड़ देते हैं। परिवार की गाड़ी चलाने में सहयोग करने लगते हैं। उनके और आसपास के गांव के ऐसे बच्चे भी आगे पढ़ सकें, इसके लिए आर्थिक सहयोग का निर्णय लिया। वर्ष 2015 में इसकी शुरुआत की।
इस तरह होता चयन
जून में मैट्रिक और इंटर पास का चयन प्रतियोगी परीक्षा से किया जाता है। इसमें अव्वल आठ विद्यार्थी के आगे की पढ़ाई के खर्च का भुगतान बैंक एकाउंट में प्रतिमाह चेक से किया जाता है। अभी तक पांच लाख से अधिक खर्च कर चुके हैं। इस समय तकरीबन दो दर्जन की शिक्षा का खर्च उठा रहे। इस कार्य के लिए दोनों भाइयों ने चैरिटेबल ट्रस्ट की स्थापना की है। इसमें सरकारी या गैर सरकारी स्तर पर कोई सहयोग राशि नहीं ली जाती है। इस वर्ष कोरोना के कारण विद्यार्थियों का चयन अगले माह होगा। देवेंद्र चौधरी ने बताया कि निर्णय लिया गया है कि क्षेत्र के भैरव स्थान के शिवनंदन नंदकिशोर महाविद्यालय का जो विद्यार्थी विश्वविद्यालय स्तर पर प्रथम से लेकर दसवें स्थान तक आएगा, उसके आगे की पढ़ाई का खर्च वहन किया जाएगा। सहयोग राशि लेने वाले रवींद्र कुमार शर्मा, प्रीति कुमारी, विभाष कुमार झा, श्यामनाथ मिश्र, इशरत जहां रुही, गोपाल चौधरी व शंकर कुमार ने बताया कि इससे इंटर के बाद स्नातक की पढ़ाई में मदद मिली। ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय दरभंगा के सीनेट व सििंडिकेट सदस्य डॉ. अमर कुमार कहते हैं कि इससे समाज के अन्य सक्षम लोगों को प्रेरणा लेनी चाहिए।