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तब चंपारण से दरभंगा आए थे महात्मा गांधी, यूरोपियन गेस्ट हाउस बन गया गांधी सदन

उस वक्त गांधी के चंपारण सत्याग्रह ने उड़ा दी थी अंग्रेजों की नींद दरभंगा पहुंचकर बापू ने की थी तत्कालीन महाराज डाॅ. कामेश्वर सिंह से बात गांधी के जानकार बताते हैं- आंदोलन के आरंभ होने के ठीक दो साल बाद 1919 में गांधी पहली बार दरभंगा आए।

By Dharmendra Kumar SinghEdited By: Published: Fri, 22 Jan 2021 04:50 PM (IST)Updated: Fri, 22 Jan 2021 04:50 PM (IST)
तब चंपारण से दरभंगा आए थे महात्मा गांधी, यूरोपियन गेस्ट हाउस बन गया गांधी सदन
दरभंगा महाराज का यूरोपियन गेस्ट हाउस जिसकी अब गांधी सदन के नाम से पहचान। जागरण
 दरभंगा, ( प्रिंस कुमार )। अंग्रेजी हुकूमत का जोर अपने चरमोत्कर्ष पर था। तभी 1917 में बिहार के चंपारण से महात्मा गांधी ने सत्याग्रह आंदोलन शुरू किया था। उस आंदोलन ने ब्रिटिश हुकूमत की नींद उड़ा दी थी। चंपारण से बापू ने अपने आंदोलन की शुरूआत कर दी थी। गांधी के जानकार बताते हैं- आंदोलन के आरंभ होने के ठीक दो साल बाद 1919 में गांधी पहली बार दरभंगा आए। तत्कालीन महाराज से मिले और आजादी से लेकर गरीबों की सेवा पर बातें की थीं। इसके बाद वे कई बार यहां आए। यह सिलसिला 1934 तक चला। सबसे खास रही 1934 के बाद की यात्रा। इस बार बापू दो दिनों तक यहां रुके।
30 और 31 मार्च 1934 को वो वर्तमान मिथिला विश्वविद्यालय के अधीन गांधी सदन और महाराज के जमाने के यूरोपियन गेस्ट हाउस में ठहरे। लोगों से मिलने के बाद जब वे लौट गए तो तत्कालीन महाराजाधिराज डॉ. कामेश्वर सिंह ने उनके आगमन से संबंधित शिलापट उस कमरे में लगाया, जिसमें महात्मा गांधी ठहरे थे। शिलापट आज भी उनके आगमन की गवाही देता है। महाराजाधिराज ने गांधी की वापसी के बाद उस कमरे को संग्रहालय का रूप देने का प्रयास शुरू कर दिया। गांधी जी द्वारा उपयोग में लाई गई वस्तु जैसे पलंग, चरखा, कुर्सी-टेबुल, ग्लास आदि सहेज कर रखवाया गया। लेकिन, 1972 में ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय की स्थापना के साथ ही यूरोपियन गेस्ट हाउस विवि के अधिकार क्षेत्र में आ गया।
 
नदारद हो चुकी गांधी से जुड़ी चीजें :
 
विवि के अधिकार क्षेत्र में आने के बाद यूरोपियन गेस्ट हाउस का नाम गांधी सदन कर दिया गया। लेकिन विवि प्रशासन की उदासीनता के कारण आज वहां से गांधी से जुड़ी छोटी से बड़ी चीजें नदारद हो चुकी हैं। आज भी उस कमरे का स्वरूप संग्रहालय का ही है, लेकिन उसमें गांधी के चित्रों व गांधी से जुड़ी प्रतीकात्मक वस्तुओं के अलावा कुछ नहीं बचा। अगर कुछ शेष है तो बस कमरे की दीवार पर लगी महाराजा के समय की तख्ती, जो यह बताती है कि गांधी 1934 में यहां आए और दो दिनों तक यहां ठहरे थे।
पूर्व एमएलसी सह शिक्षाविद, विनोद कुमार चौधरी का कहना है कि महात्मा गांधी का सत्याग्रह आंदोलन से अंग्रेज डरे थे। उसी बीच वे यहां आए थे। उनकी प्रेरणा से दरभंगा में नेशनल स्कूल की स्थापना हुई। साथ ही हायाघाट स्थित मझौलिया में बालिका विद्यापीठ की स्थापना स्वतंत्रता सेनानी पंडित रामनंदन मिश्र और उनकी धर्मपत्नी के नेतृत्व हुई। बापू की प्रेरणा से कई आंदोलन सफल हुए।
 
 

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