छठे दिन हुई मां कात्यायनी की आराधना, शुक्रवार को होगी मां कालरात्रि की पूजा
देवी कालरात्रि को नव दुर्गा के नौ रूपों में माना गया सबसे रुद्र रूप। मां कात्यायनी अमोघ फलदायिनी उपासना से होती चारों पुरुषार्थ की प्राप्ति।हर संकट को हर लेती मां कालरात्रि।
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। शुक्रवार की सुबह पत्रिका-प्रवेश के साथ ही मां का पट खुल जाएगा। श्रद्धालु भक्त मां भगवती के दर्शन कर सकेंगे। वासंतिक नवरात्र के सातवें दिन शुक्रवार को मां कालरात्रि की पूजा होगी। इसके पूर्व गुरुवार को मां के छठे स्वरूप मां कात्यायनी की विधिवत पूजा-अर्चना की गई। देवी मंदिर के पुजारी डॉ.धर्मेन्द्र तिवारी ने बताया कि देवी कालरात्रि को नव दुर्गा के नौ रूपों में सबसे रुद्र रूप माना गया है। इस दिन जो भी भक्त पूरे विधि-विधान के साथ इनकी पूजा अर्चना करते है, देवी उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं। हर प्रकार के संकट और बाधा को हर लेती हैं।
ज्योतिषविद् महर्षि मुकेश मिश्र बताते हैं कि मां कात्यायनी अमोघ फलदायिनी हैं। नवरात्र के छठे दिन आदिशक्ति मां दुर्गा के इस स्वरूप की पूजा की जाती है। मां की भक्ति और उपासना से मनुष्य को बड़ी सरलता से धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष, इन चारों पुरुषार्थ की प्राप्ति हो जाती है। वह इस लोक में रहकर भी अलौकिक तेज और प्रभाव से युक्त हो जाता है।
रामदयालु स्थित मां मनोकामना देवी मंदिर के पुजारी पं.रमेश मिश्र ने बताया कि भगवान श्री कृष्ण को पति रूप में पाने के लिए ब्रज की गोपियों ने भी कालिंदी यमुना नदी केतट पर इनकी पूजा की थी।
पूजा के लिए लगा रहा तांता
इधर, विभिन्न देवी मंदिरों में पूजा-अर्चना के लिए भक्तों का तांता लगा रहा। संध्या समय भी महिलाएं व युवतियां दीप जलाने पहुंचीं। जिससे क्लब रोड स्थित देवी मंदिर, कच्ची सराय रोड स्थित मां बगलामुखी पीतांबरी सिद्धपीठ, गोलारोड स्थित दुर्गा स्थान, बालूघाट स्थित जंगली माई स्थान, बीएमपी-सिक्स दुर्गा मंदिर, गन्नीपुर स्थित मां वैष्णो मंदिर, छोटी काशी, जीरोमाइल स्थित दुर्गा स्थान, ब्रह्मपुरा स्थित बाबा सर्वेश्वरनाथ मंदिर सह महामाया स्थान, आमगोला स्थित माई स्थान आदि मंदिरों में पूजा के लिए भक्तों की भीड़ रही।