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Muzaffarpur News: सोलर सिस्टम के उपयोग से विवि को महीने में हो सकती लाखों की कमाई

Muzaffarpur News 40 लाख रुपये की बिजली महीने में उत्पन्न करने की है क्षमता लापरवाही के चलते बेकार पड़ा सिस्टम विवि का बिल 10 लाख महीना शेष बिजली विद्युत विभाग को दे हो सकती आमदनी ।

By Dharmendra Kumar SinghEdited By: Published: Wed, 13 Oct 2021 09:04 AM (IST)Updated: Wed, 13 Oct 2021 09:04 AM (IST)
Muzaffarpur News: सोलर सिस्टम के उपयोग से विवि को महीने में हो सकती लाखों की कमाई
सोलर सिस्टम यदि ठीक से कार्य करे तो होगी अच्‍छी कमाई। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

मुजफ्फरपुर, जासं। बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन के ऊपर लगा हुआ सोलर सिस्टम यदि ठीक से कार्य करे तो विवि को प्रति महीने करीब 30 लाख रुपये की कमाई हो सकती है। इस पैसे को विकास कार्यों में लगाया जा सकता है, लेकिन इस ओर ध्यान ही नहीं दिया जा रहा है। इस कारण एक तो तीन साल से सिस्टम कबाड़ हो रहा है, दूसरी ओर प्रति महीने विवि को करीब 10 लाख रुपये बिजली बिल के नाम पर चुकाने पड़ रहे हैं। विवि में 100 किलोवाट क्षमता का सोलर सिस्टम 2015 में बिहार अक्षय ऊर्जा विकास एजेंसी के सहयोग से लगाया गया था।

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35 वर्ष होती है सोलर पैनल की आयु

सोलर ऊर्जा के विशेषज्ञ और विवि के भौतिकी विभाग के प्राध्यापक डा. संजय कुमार बताते हैं कि विवि में रोबस्ट सिस्टम से सोलर पैनल लगाया गया है। इस कारण इसमें काफी समय तक बड़ी गड़बड़ी नहीं आ सकती। सोलर पैनल की आयु 35 वर्ष होती है। इसके बाद इसके ऊर्जा उत्पन्न करने की क्षमता धीरे-धीरे कम हो जाती है। यदि विवि में अधिक लोड के कारण गड़बड़ी आई होगी तो सबसे पहले एसी के कनेक्शन को इससे हटाना होगा और इनवर्टर की मरम्मत करानी होगी। इसके बाद कनेक्शन की जांच कर इसे पुन: शुरू किया जा सकता है। यदि 100 किलोवाट बिजली का उत्पादन नियमित होगा तो इससे करीब 40 लाख रुपये की बिजली महीने में उत्पन्न होगी। वर्तमान में विवि का बिल यदि 10 लाख है तो शेष बिजली को टू-वे मीटर के माध्यम से विद्युत विभाग को दिया जा सकता है। इसके बदले विवि लाखों रुपये की आमदनी हो सकती है।

छात्र नेताओं का आरोप, पदाधिकारी को जेब भरने से फुर्सत नहीं 

विवि के पदाधिकारियों को न छात्र हित से मतलब है और न यहां के संसाधनों के संरक्षण से। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है कि अपना सोलर पैनल जर्जर हो रहा है। - चंदन यादव, प्रदेश महासचिव, छात्र राजद

-- विश्वविद्यालय के पदाधिकारियों को अपनी जेब भरने से फुर्सत ही नहीं कि वे इन संसाधनों को बचाने की पहल करें। कुलपति को चाहिए कि अविलंब इसे ठीक कराएं ताकि बिल के नाम पर लाखों के खर्च से मुक्ति मिले। --गोल्डेन सिंह, विवि अध्यक्ष, छात्र लोजपा (रामविलास)


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