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2017 में ही इस रेलखंड पर आमान परिवर्तन कार्य पूरा करने का था लक्ष्य, अबतक ब्रॉड गेज की ट्रेन चलने की लगी है टकटकी

पश्चिम चंपारण जिले के नरकटियागंज से भिखनाठोरी रेलखंड पर वर्षो से ब्रॉडगेज ट्रेनों का इंतजार यहां के निवासी कर रहे हैं। इसके चालू होने से क्षेत्र के विकास की गति हो जाएगी तेज।

By Murari KumarEdited By: Published: Sun, 13 Sep 2020 09:27 AM (IST)Updated: Sun, 13 Sep 2020 09:27 AM (IST)
2017 में ही इस रेलखंड पर आमान परिवर्तन कार्य पूरा करने का था लक्ष्य, अबतक ब्रॉड गेज की ट्रेन चलने की लगी है टकटकी
2017 में ही इस रेलखंड पर आमान परिवर्तन कार्य पूरा करने का था लक्ष्य, अबतक ब्रॉड गेज की ट्रेन चलने की लगी है टकटकी

पश्चिम चंपारण, [दीपेंद्र बाजपेयी]। पश्चिम चंपारण जिले के  नरकटियागंज से भिखनाठोरी रेलखंड पर वर्षो से ब्रॉडगेज ट्रेनों का इंतजार यहां के निवासी कर रहे हैं। 24 अप्रैल 2015 को आमान परिवर्तन के लिहाज से  मीटर गेज पर चलने वाली ट्रेनों का परिचालन रोक दिया गया था । विभाग व सरकार ने कहा था कि चंपारण सत्याग्रह के शताब्दी वर्ष में 2017 तक आमान परिवर्तन को पूरा कर लिया जाएगा । लेकिन चंपारण सत्याग्रह शताब्दी वर्ष आया और चला भी गया। लेकिन आज तक इस रूट पर बड़ी लाइन की ट्रेनों का परिचालन शुरू नहीं किया जा सका है।  

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परिचालन शुरू होने से थारू जनजाति बहुल इलाके के विकास को लग जाएंगे पंख

लगभग 35.7 किलोमीटर लंबी इस रेल लाइन पर वन विभाग की आपत्ति के बाद इस रूट की दूरी नरकटियागंज से गौनाहा तक लगभग 22 किलोमीटर तक ही होगी । समाजसेवी मोबिन अहमद का कहना है कि गुलाम भारत मे अंग्रेजों ने जो विकास का काम किया उसे आजाद भारत की सरकार कायम रखने से पीछे हट रही है। अंग्रेजों के वन विभाग के कानून को सरकार ने बहुत हद तक आजाद भारत में अपना रखा है लेकिन अंग्रेजों के दमनकारी नीतियों के कारण आज भी आजाद देश के हम नागरिकों की हकमारी की जा रही है।

 बैधनाथ यादव, विजय जायसवाल का कहना है कि सरकार की ढुलमुल नीतियों के कारण रेलखंड पर आजतक गाड़ियां नही चल सकी हैं। समाजसेवी अमित कुमार ने बताया कि इस रेलखंड के शुरू हो जाने से पिछड़ी थारू जनजाति बहुल इस इलाके के विकास को पंख लग जाएंगे। भितिहरवा निवासी शिवशंकर चौहान,  हरिशंकर चौहान, चंद्रगुप्त चौहान, दिनेश प्रसाद यादव, उमेश चौहान, नौशाद आलम, अभिमन्यु गिरी, मधु साह का कहना है कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की स्मृतियों से जुड़े इस रेलखंड की उपेक्षा से जनमानस में गुस्सा है। 

ट्रेन को भिखनाठोरी तक चलना चाहिए

बता दें कि नरकटियागंज-भिखनाठोरी रेलखंड में अमोलवा व गौनाहा के बीच मे गांधी की कर्मभूमि के महत्व को देखते हुए भितिहरवा हाल्ट का निर्माण कराया गया था। स्थानीय मुखिया जमीला खातून कहती हैं कि ट्रेन को भिखनाठोरी तक चलना चाहिए । 

इतिहास के पन्नो में सिमट जाएगा गौनाहा- भिखनाठोरी रेलखंड

वन विभाग ने गौनाहा से भिखनाठोरी रेलखंड में उपयोग भूमि को अनुपयुक्त बताते हुए लगभग 194. 314 एकड़ भूमि को हस्तानांतरण करने की मांग की है। वन प्रमंडल पदाधिकारी सह उपनिदेशक अंबरीश कुमार मल्ल ने नरकटियागंज उप निबंधक को पत्र लिखा है। प्रतिलिपि तत्कालीन डीएम डॉ. निलेश रामचंद्र देवरे को भी भेजी। पत्र में डीएफओ अंबरीश कुमार मल्ल ने कहा है कि नरकटियागंज- भिखनाठोरी रेल लाइन गौनाहा- भिखनाठोरी खंड को बंद कर दी जाए। अनुपयुक्त 194.314 एकड़ भूमि को वन विभाग को लौटा दिया जाए। उन्होंने कहा है कि गौनाहा-भिखनाठोरी रेलखंड की उक्त भूमि को पर्यावरण, वन एवं जलवायु विभाग को हस्तानांतरित किए जाने का प्रस्ताव है। भूमि के मूल्यांकन की आवश्यकता भी है। डीएफओ ने उप निबंधक नरकटियागंज को लिखे पत्र में कहा है कि गौनाहा-भिखनाठोरी रेलखंड की बंद करने के बाद उसकी 194.314 एकड़ जमीन उपयोग में नहीं होगी। 

नेपाल के लोगों के आवागमन का था प्रमुख मार्ग

भिखनाठोरी से नरकटियागंज होते हुए दिल्ली तक जाने के लिए नेपाली लोगों के लिए यह प्रमुख रेलमार्ग था ।  होली व दशहरा में नेपाली नागरिकों की भीड़ उतरती थी। स्थानीय पुन्ना सिंह का कहना है कि पड़ोसी देश नेपाल के साथ  संबंधों को बेहतर बनाने में ट्रेन की प्रमुख भूमिका हो सकती है। सरकार को गौनाहा-भिखनाठोरी रेलखंड पर ट्रेनों की बहाली पर  पुनर्विचार करना चाहिए।


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