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बिहार के सैनिकों ने हमेशा खींची वीरता की बड़ी लकीर, दुश्मनों को घुटने टेकने पर किया विवश

सूबेदार मेजर महेश्वर ठाकुर ने 1971 के भारत-पाक युद्ध में श्रीनगर बंजल पोस्ट पर दिखाई थी जांबाजी। सूबेदार मेजर के तीन में से दो बेटे उनकी राह पर।

By Ajit KumarEdited By: Published: Sat, 25 Jul 2020 01:00 PM (IST)Updated: Sat, 25 Jul 2020 01:00 PM (IST)
बिहार के सैनिकों ने हमेशा खींची वीरता की बड़ी लकीर, दुश्मनों को घुटने टेकने पर किया विवश
बिहार के सैनिकों ने हमेशा खींची वीरता की बड़ी लकीर, दुश्मनों को घुटने टेकने पर किया विवश

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। कारगिल हो या वर्ष 1971 का भारत पाक युद्ध बिहारी सैनिकों ने अपनी वीरता की बड़ी लकीर खींचने का काम किया है। हाल ही में गलवान घाटी में बिहार रेजिमेंट के जवानों ने चीनी सैनिकों को अपनी बहादुरी का नमूना दिखाया है। वर्ष 1971 के भारत-पाक युद्ध में मुजफ्फरपुर के बावनबीघा निवासी सूबेदार मेजर महेश्वर ठाकुर ने अपनी जांबाजी दिखाई थी।

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बंजल पोस्ट पर पाकिस्तानी सेना को मार भगाया

75 वर्षीय महेश्वर ठाकुर वर्ष 1990 में सेवानिवृत्त हो चुके हैं, लेकिन आज भी उन्हें 1971 के भारत-पाक युद्ध की वह कहानी याद है जब बिहार रेजिमेंट के जवानों ने श्रीनगर बंजल पोस्ट पर पाकिस्तानी सेना को मार भगाया था। उन्होंने कहा कि पाकिस्तानी सैनिकों ने बंजल पोस्ट पर कब्जा कर लिया था। इसे मुक्त कराने का जिम्मा पहले जाट रेजिमेंट को मिला था, लेकिन बाद में बिहार रेजिमेंट को भेजा गया। चार दिनों तक दिन-रात लड़ाई चली और अंतत: पाकिस्तानी सेना को उल्टे पांव भागना पड़ा था। लड़ाई के दौरान न सोने का मौका मिला और न ही भोजन-पानी। सैनिकों का एकमात्र लक्ष्य था पोस्ट पर कब्जा करना। एक-एक जवान ने अपनी जान की परवाह किए बिना दुश्मनों को वहां से भगा दिया। उस लड़ाई को वह कभी भूल नहीं पाए। जब पाकिस्तानी सेना ने 13 दिन तक चले युद्ध में ही भारत के सामने घुटने टेक दिए तो उनकी यूनिट ने भी जश्न मनाया था।

अन्य ऑपरेशन में भी शामिल हुए

महेश्वर ठाकुर वर्ष 1965 में बिहार रेजिमेंट में बहाल हुए थे तब उनकी उम्र 16 साल थी। वर्ष 1971 के भारत पाक युद्ध के अलावा उनको स्वर्ण मंदिर को आतंकवादियों से मुक्त कराने के लिए ऑपरेशन ब्लू स्टार और मिजोरम में अलगाववादियों के खिलाफ चले ऑपरेशन में भी शामिल होने का मौका मिला था।

बेटे ने भी पकड़ी देश सेवा की राह

उनके तीन बेटे हैं। इनमें दो उनकी राह पर हैं। एक बेटा अजय कुमार ठाकुर आर्टीलरी रेजिमेंट में है और झारखंड में पोस्टिंग है। वहीं, दूसरा बेटा विजय कुमार ठाकुर बिहार रेजिमेंट में है और दिल्ली में तैनात हैं। उनका एक बेटा संजय कुमार ठाकुर मुजफ्फरपुर में व्यवसाय कर रहा है। सूबेदार मेजर को इस बात का गर्व है कि उनके बेटे भी भारतीय सेना में शामिल होकर देश की सेवा कर रहे हैं।  


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