पूर्वी चंपारण में सितम ढाने लगी बढ़ती ठंड, कनकनी से बढ़ाई परेशानी
लगातार गिरते तापमान व बर्फीली हवाओं के कारण अलाव के सहारे लोग ठंड से बचने की कोशिश कर रहे हैं। ठंड के कारण दोपहर तक लोग घरों में दुबके रह रहे हैं। जबकि शाम ढलते ही सड़कें वीरान हो जा रही हैं।
पूर्वी चंपारण, जासं। लगातार लुढ़क रहे पारा के बीच सितम ढा रही कनकनी ने लोगों का जीना मुहाल कर दिया है। सोमवार को सुबह नौ बजे तक घना कोहरा छाया रहा। सर्द हवाओं के चलने के कारण यहां ठंड का प्रकोप चरम पर रहा। पिछले दो दिनों से सूर्य के दर्शन नहीं हुए।कड़ाके ठंड ने लोगो को अपने घरों में दुबकने को मजबूर कर दिया है। लोग घरों से निकलने से परहेज कर रहे हैं। ठंडी हवाओं के कारण कनकनी थमने का नाम नहीं ले रही है। इधर लोगो के स्वास्थ्य पर भी मौसम का असर दिखने लगा है। लगातार गिरते तापमान व बर्फीली हवाओं के कारण अलाव के सहारे लोग ठंड से बचने की कोशिश कर रहे हैं।
ठंड के कारण दोपहर तक लोग घरों में दुबके रह रहे हैं। जबकि शाम ढलते ही सड़कें वीरान हो जा रही हैं। ठंड के कारण कुहासे के बढ़े प्रकोप से वाहनों की रफ्तार पर भी ब्रेक लगा हुआ है। लोगों से गुलजार रहने वाले रेल स्टेशन और बस स्टॉप पर भी ठंड का असर दिख रहा है। मौसम की लगातार बेरुखी अब लोगों के लिए आफत बनती जा रही है। पिछले कई दिनों से पड़ रहे कड़ाके की ठंड ने लोगो की मुश्किल बढा दी है। बेतहाशा पड़ रही ठंड ने रोजगार पर भी आफत ला दी है। खासकर दैनिक मजदूरी कर परिवार का भरण पोषण करने वालों पर यह मौसम कहर बनकर टूटा है।
बता दें कि बेतहाशा ठंड के कारण भवन निर्माण सहित अन्य कार्य मंद पड़ गए हैं। इससे मजदूरों को रोजगार मिलना भी मुश्किल हो गया है। फिलहाल मौसम से राहत मिलने के भी आसार नहीं दिख रहे है। पछुआ हवा के कारण कनकनी थमने का नाम नहीं ले रहा है। ठंड के कारण परेशान परिवारों को ठंड के साथ ही पेट भरने की समस्या भी परेशानी का सबब बनती जा रही है। रोजगार नहीं मिलने के कारण थोड़ी बहुत जमा पूंजी भी अब खत्म होने लगी है। ऐसे में अपने और परिवार का पेट भरना भी दैनिक मजदूरों के लिए मुश्किल बनता जा रहा है। ठंड में गर्म कपड़ों की कमी के साथ ही आधा पेट खाकर ठंड की रात काटना किसी मुसीबत से कम नहीं हैं।
दैनिक मजदूर विपिन साव बताते हैं कि पिछले तीन दिनों से ठंड के कारण घर मे ही बैठे हैं। घर मे राशन में भी अब खत्म होने वाला है। ऐसे में अगर यही हालात रहे तो उनके परिवार के लिए भुखमरी की स्थिति आ जायेगी।कड़ाके की ठंड व कोहरे के प्रकोप ने वाहनों की रफ़्तार पर भी ब्रेक लगा दी है। जिले से लगे तमाम हाइवे पर रविवार को वाहनों की रफ्तार काफी धीमी रही। दोपहर के समय भी विसिबलिटी कम होने के कारण वाहनों के लाइट जलाने पड़े। इस दौरान सड़क पर गाड़ियां रेंगती सी नजर आयी। कोहरा व ठंड के कारण पिछले कुछ दिनों से सड़क दुर्घटनाओं में भी बढ़ोतरी देखने को मिला है। एक्सपर्ट्स की माने तो ऐसे में मौसम में पूरी सावधानी के साथ वाहन चलाना जरूरी होता है। जरा सी भी लापरवाही दुर्घटना का सबब बन सकती है। सबसे जरूरी है कि लोग अपने वाहनों की रफ्तार पर नियंत्रण रखें। ठंड ने आम हो या खास सबको मुसीबत में डाल दिया है।
वहीं बेसहारा घूमने वाले पशुओं के लिए भी यह आफत का सबब साबित हो रहा है। इतनी ठंड के बावजूद भी अब तक प्रसाशनिक स्तर पर अलाव की व्यवस्था नही किये जाने से सड़क पर गुजर बसर करने वाले लोगो व आवारा पशुओं को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे लोग इधर उधर बिखरे कूडो को जलाकर जैसे तैसे समय गुजारने को मजबूर हैं। वहीं रिक्शा व टेम्पू चालकों को भी बेतहाशा पड़ रहे ठंड के कारण काफी परेशानी हो रही है। पारा गिरने के साथ ही पाला का प्रकोप शुरू हो गया है। जिसकी चपेट में आकर रबी की फसलों के बर्बाद होने का खतरा बढ़ गया है। कृषि विशेषज्ञ अमृतांशु बताते हैं कि पाला के कारण फसलों, सब्जी, फूल व फल उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। दिसंबर व जनवरी माह में पाला अधिकतर रात्रि के तीसरे पहर में तथा जब रात्रि लंबी, आकाश स्वच्छ और वायु शांत होता है तो पाला पड़ने की संभावना अधिक होती है। पाला से बचाव के लिए सबसे आसान उपायों में फसल की सिंचाई कराना है। इसके अलावा जब पाला पड़ने की संभावना हो तो रात्रि के समय खेत के चारों ओर कूड़ा-करकट जलाकर धुआं कर देना चाहिए। रासायनिक उपायों में पाला से बचाव के लिए फसल पर यूरिया का दो से तीन प्रतिशत घोल का छिड़काव करना चाहिए।