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संपूर्ण आहार माना जानेवाला दूध अब नहीं रहा शुद्ध, बीमारियों का 'खजाना' बनता जा रहा सेहत का भंडार

कारोबार सेहत का, उत्पादन जहर, दूध देने की क्षमता बढ़ाने के लिए पशुओं को धड़ल्ले से दिए जा रहे ऑक्सीटॉसिन इंजेक्शन, ऑक्सीटॉसिन इंजेक्शन से पैदा हो रहा हार्मोनल असंतुलन।

By Ajit KumarEdited By: Published: Fri, 18 Jan 2019 12:32 PM (IST)Updated: Fri, 18 Jan 2019 12:32 PM (IST)
संपूर्ण आहार माना जानेवाला दूध अब नहीं रहा शुद्ध, बीमारियों का 'खजाना' बनता जा रहा सेहत का भंडार

मुजफ्फरपुर, [मो. शमशाद]। संपूर्ण आहार माना जानेवाला दूध अब शुद्ध नहीं रहा। सेहत का भंडार बीमारियों का 'खजाना' बनता जा रहा। सफेद कारोबार में मुनाफे के लालच ने इसकी पौष्टिकता दांव पर लगा दी है। डेयरी उद्योग में दूध देने की क्षमता बढ़ाने और कमाई के लिए दुधारू पशुओं को ऑक्सीटॉसिन (ओटी) नामक उत्प्रेरक इंजेक्शन का धड़ल्ले से इस्तेमाल किया जा रहा। इससे उत्पादन भले ही बढ़ा हो, मगर यह दूध के रूप में 'जहर' है।

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    इसका असर न सिर्फ मनुष्यों पर है, बल्कि पशुधन भी बीमारियों की चपेट में आ रहे। आइवीएफ एक्सपर्ट डॉ. पूजा कुमारी कहती हैं कि दुधारू पशुओं को कई तरह के स्टेरॉयड और हार्मोन इंजेक्शन लगाए जा रहे। ऑक्सीटॉसिन एक ऐसा ही इंजेक्शन है। यह दूध के माध्यम से हमारे शरीर में पहुंच कर हार्मोनल असंतुलन पैदा कर रहा। विपरीत लैंगिक समानताएं दिखने लगती हैं।

गर्भवती महिला के लिए खतरनाक

गर्भवती महिलाओं को ऑक्सीटॉसिन की मिलावट वाला दूध नहीं पीना चाहिए। इससे गर्भपात होने के अलावा बच्चों में जन्मजात विकृति का खतरा पैदा करता है। ऐसा दूध पीने वाली माताओं में प्रसव के बाद रक्तस्राव की समस्या पैदा हो सकती है। बांझपन की भी शिकायत आती है।

पुरुषों में नपुंसक होने का खतरा

डॉ. पूजा कहती हैं कि दूध में प्रोलेक्टिन, ल्यूटीनाइजिंग, एस्ट्रोजन, प्रोजेस्टेरॉन, ऑक्सीटॉसिन जैसे हार्मोन के अलावा विकास के लिए उत्तरदायी और थॉयराइड उत्प्रेरक हार्मोन भी पाए जाते हैं। ऑक्सीटॉसिन की अधिकता से असंतुलन पैदा होता है। यदि मनुष्य में एस्ट्रोजन हार्मोन का स्तर 70 प्रतिशत से अधिक पाया जाता है तो इसका कारण मिलावटी दुग्ध उत्पाद का सेवन है। इससे पुरुष और महिलाएं दोनों में प्रजनन क्षमता पर सीधा असर पड़ता है।

उत्प्रेरण का करता काम

पशुओं में ऑक्सीटॉसिन इंजेक्शन का इस्तेमाल दूध जल्दी उतारने के लिए भी धड़ल्ले से किया जा रहा। इसके इस्तेमाल से दूध में पानी बढ़ जाता है। यही उत्प्रेरण का काम करता है। पशुओं में बेचैनी बढ़ाता है। इस इंजेक्शन के लगातार इस्तेमाल से सामान्य तौर पर होनेवाला स्राव कम हो सकता है। इससे बगैर इंजेक्शन के जानवर दूध नहीं देते।

ऑक्सीटॉसिन को लेकर ये है प्रावधान

पशुओं में ऑक्सीटॉसिन का प्रयोग अवैध उपयोग के दायरे में आता है। इसकी रोकथाम के लिए ही क्रूरता एक्ट के तहत पशुपालन विभाग की शिकायत पर धरपकड़ की कार्रवाई फूड सेफ्टी एंड ड्रग ऑथोरिटी (एफएसडीए) स्तर पर होती है। इस इंजेक्शन की बिक्री सिर्फ डिजिटल प्लास्टिक पैकिंग में किए जाने का प्रावधान है। एम्पल फॉर्म में बिकने वाले इंजेक्शन की रोकथाम के लिए समय-समय पर कार्रवाई की जाती है।


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