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कुआं के जीर्णोद्धार की योजना शिथिल, देखदेख के अभाव में कुएं का अस्तित्व समाप्ति की ओर

कुआं और तालाब का जीर्णोद्धार सरकार के महत्वकांक्षी योजना में शामिल है। लेकिन प्रखंड में कुएं और तालाब के जीर्णोद्धार की योजना काफी धीमी है। प्रखंड मुख्यालय में अवस्थित कुआं मिट्टी भरने से खराब स्थित में पहुंंच गएं हैंं।

By DharmendraEdited By: Published: Fri, 04 Dec 2020 12:33 PM (IST)Updated: Fri, 04 Dec 2020 12:33 PM (IST)
कुआं के जीर्णोद्धार की योजना शिथिल, देखदेख के अभाव में कुएं का अस्तित्व समाप्ति की ओर
कुआं पर घास उग जाने से कीड़े और विषैले जीव जंतु अपना बसेरा बना लिए हैंं। जागरण

पश्‍चिम चंपारण, [ प्रदीप दुबे ] । कुआं और तालाब के जीर्णोद्धार पर सरकार लाखों लाख खर्च कर रही है। कुआं और तालाब का  जीर्णोद्धार सरकार के महत्वकांक्षी योजना में शामिल है। लेकिन प्रखंड में कुएं और तालाब के जीर्णोद्धार की योजना काफी धीमी है। प्रखंड मुख्यालय में अवस्थित कुआं मिट्टी भरने से खराब स्थित  में पहुँच गया है। यह कूड़ा कचरा से भर गया है। कुआं के उपर घास उग जाने से कीड़े और विषैले जीव जंतु अपना बसेरा बना लिए है। ऐसी स्थिति प्रखंड क्षेत्र के तकरीबन सभी कुओं की है। देख देख  के अभाव में कुएं का अस्तित्व समाप्ति की ओर है। अधिकतर कुएं खरपतवार और झाड़ झंझार से भर गए हैं। इन कुओं का पानी न पीने लायक है और ना खेती के कार्य में ही उपयोगी रह गए हैं। 

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पदाधिकारियों के नजरें इनायत की दरकार

प्रखंड मुख्यालय अवस्थित कुआं पर प्रतिदिन पदाधिकारियों की नजर पड़ती है। लेकिन इसके जीर्णोद्धार की योजना नहीं बन सकी है। आसपास के लोगों का कहना है कि एक समय था कि आसपास के लोगों के पीने का पानी का जरिया यही कुआं था। इस कुआं के ठंडे पानी से लोग अपनी प्यास बुझाते थे। पेट संबंधित कई तरह की बीमारी होने पर दूर-दूर के लोग इस कुएं का पानी पीने के लिए ले जाते थे। लेकिन देखरेख के अभाव में कुआं खस्ताहाल होता गया। आज लोग इस कुएं के पानी पीने से कतरा रहे है। पहले तकरीबन हर गांव में दो चार कुआं रहता था और लोग उसके पानी का उपयोग खाना बनाने से लेकर नहाने, पीने व सिंचाई करने में करते थे। आज गांव के कुएं की हालत काफी खराब है। अधिकतर कुएं का अस्तित्व समाप्ति की ओर है। सरकार की सफाई अभियान के वादे खोखले साबित हो रहे है।

कहते है ग्रामीण

ग्रामीण सुखदेव प्रसाद, अभिषेक महतो, योधा यादव, रूदल प्रसाद, कन्हैयालाल यादव, रामजी प्रसाद, धनीलाल पासवान आदि ने बताया कि पहले लोग कुएं का पानी पीकर सौ वर्ष तक निरोग रहते थे। आज चापाकल या नल का जल पीकर भी लोग पेट की बिमारी से ग्रसित रहते है। अधिकतर बीमारियों का जड़ अशुद्ध पानी ही है।विभागीय उदासीनता के कारण प्रखंड क्षेत्र के अधिकतर कुए खराब होकर भर गए है।

बीडीओ कराएगी कुएं की सफाई 

बीडीओ निभा कुमारी ने बताया कि अभी प्रखंड में योगदान दिए कुछ ही दिन हुआ है। क्षेत्र के कुएं के बारे में पूरी जानकारी जुटा कर सभी कुआं का जीर्णोद्धार कराया जाएगा। कुआं के पुराने रौनक वापस लाया जाएगा।


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