कानून की डिग्री के साथ कॅरियर को पंख लगा रहीं बेटियां Muzaffarpur News
एसकेजे लॉ कॉलेज में साल-दर- साल बढ़ रही छात्राओं की तादाद। तीन सौ सीटों के लिए आए 1327 आवेदन। गल्र्स हॉस्टल में 48 सीटें कम पड़ रहींं।
मुजफ्फरपुर [मुकेश कुमार 'अमन']। वकालत का पेशा चुनौतियों भरा है। कॅरियर की दृष्टि से आज यह एक आकर्षक विकल्प के रूप में भी सामने है। यहीं कारण है कि अबतक पुरुषों का आधिपत्य समझे जाने वाले इस पेशे में आधी आबादी का रुझान भी तेजी से बढ़ा है। श्रीकृष्ण जुबली लॉ कॉलेज(एसकेजे), गन्नीपुर में कानून की पढ़ाई करने वाली छात्राओं की दमदार उपस्थिति यह स्पष्ट करती है। यहां साल-दर साल छात्राओं की तादाद बढ़ रही है। प्रभावशाली जिरह से मजलूमों को न्याय दिलाने की शक्ति का एहसास इन्हें इस ओर आकर्षित करता है।
भाई-बहन साथ कर रहे क्लास
शिवानी गुप्ता ज्यूूडिशियल मजिस्ट्रेट बनना चाहती हैं। नैंसी को इंग्लैंड से कानून की पढ़ाई कर लौटे और दिल्ली में प्रैक्टिस कर रहे अपने भाई हिमांशु को देखकर इस क्षेत्र में अपना कॅरियर बनाने की दिलचस्पी हुई। भाई-बहन की एक जोड़ी मासूम अख्तर व नूसरत ने प्री-लॉ कोर्स में दाखिला लिया है। हाजीपुर से गीता, समस्तीपुर से मुस्कान भारती, मोहिनी से शांति प्रिया, सोनू सिंह जैसी अनेक छात्राएं दूरदराज के इलाकों से प्रतिदिन क्लास करने आती हैं। इनके लिए कॉलेज की दूरी भी मायने नहीं रखती। एक छात्रा ने कहा कि वे घरेलू हिंसा की शिकार महिलाओं को न्याय दिलाएंगी।
नामांकन में बढ़ रहा छात्राओं का ग्राफ
2017 में 30 फीसद तो 2018 में 35 और चालू वर्ष में 40 फीसद यानी हर साल छात्राओं की तादाद बढ़ी है। गल्र्स हॉस्टल में 48 सीट कम पड़ रही है। कॉलेज में प्री-लॉ व एलएलबी की पढ़ाई होती है। इस बार एलएलबी में तीन सौ सीट के विरुद्ध 1327 ने आवेदन आए थे।
लॉ की पढ़ाई बिहार विश्वविद्यालय में सिर्फ तीन जगहों पर होती है। इनमें रघुनाथ पांडेय लॉ कॉलेज, बेला व मुंशी सिंह महाविद्यालय मोतिहारी में एलएलबी तो एसकेजे लॉ कॉलेज में पांच साल का पाठ्यक्रम भी है।
आधी आबादी की सशक्त भागीदारी सुखद संदेश
प्री-लॉ सेक्शन की एकेडमिक इंचार्ज डॉ. अर्चना अनुपम कहती हैं कि वकालत की पढ़ाई में आधी आबादी की सशक्त भागीदारी सुखद संदेश दे रही है। सामान्य श्रेणी के साथ आरक्षित कोटे-ओबीसी, एससी/एसटी की सीट भी इस बार भर चुकी हैं। शिक्षक डॉ. सतीश कुमार कहते हैं कि चुनौतियों से भरा यह पेशा छात्राओं के लिए भी कॅरियर की दृष्टि से एक आकर्षक विकल्प है।
इस बारे में एसकेजे लॉ कॉलेज निदेशक जयंत कुमार ने कहा कि 'गल्र्स हॉस्टल में सीट खाली नहीं है। बड़ी तादाद में छात्राएं या तो दूसरी जगह रहती हैं या कोसों दूर अपने घर से रोजाना क्लास करने आती हैं। नेपाल से भी छात्राएं यहां आकर पढ़ रही हैं।Ó