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भारतीय स्टेट बैंक की मीनापुर शाखा के प्रबंधक रात में सोए तो सुबह में नहीं जागे, जानिए पूरा मामला

मूलरूप से भागलपुर के निवासी बैंक प्रबंधक सुजीत कुमार दास अहियापुर के रसुलपुर में रहते थे किराए के कमरे में।

By Ajit KumarEdited By: Published: Mon, 01 Jun 2020 07:57 AM (IST)Updated: Mon, 01 Jun 2020 07:57 AM (IST)
भारतीय स्टेट बैंक की मीनापुर शाखा के प्रबंधक रात में सोए तो सुबह में नहीं जागे, जानिए पूरा मामला
भारतीय स्टेट बैंक की मीनापुर शाखा के प्रबंधक रात में सोए तो सुबह में नहीं जागे, जानिए पूरा मामला

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। भारतीय स्टेट बैंक की मीनापुर शाखा के प्रबंधक 51 वर्षीय सुजीत कुमार दास की अहियापुर के रसुलपुर स्थित डॉक्टर कॉलोनी में संदिग्ध स्थिति में मौत हो गई। वे मूलरूप से भागलपुर के बराड़ी के निवासी थे। उनकी पत्नी व पुत्री धनबाद के सरायटोला स्थित हीराकुंड अपार्टमेंट में रहती हैं। वे यहां किराए में संजय झा के मकान में अकेले रहते थे। वे रात में सोए, लेकिन सुबह में नहीं जागे।

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उनकी कान व नाक से खून निकला था

स्थानीय लोगों व बैंककर्मियों की मौजूदगी में जब उनके कमरे का दरवाजा तोड़ कर खोला गया तो वे अपने बिस्तर पर मृत पड़े थे। उनकी कान व नाक से खून निकला था। सूचना पर पहुंची पुलिस ने उनके शव को पोस्टमार्टम के लिए एसकेएमसीएच भेजा। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बीमारी से मौत बताई गई है। आशंका है कि उनकी मौत हर्ट- अटैक या ब्र्रेन हैमब्रेज से हुई। अहियापुर थानाध्यक्ष विकास राय ने बताया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद मौत के कारणों का सही-सही पता चलेगा।

पड़ोसी के बयान पर दर्ज हुआ मामला

बैंक प्रबंधक सुजीत कुमार दास के रसुलपुर स्थित किराए के कमरे के पड़ोसी सन्नी कुमार के बयान पर पुलिस ने मामला दर्ज किया है। इसमें उसने बताया है कि बैंक प्रबंधक प्रतिदिन सुबह पांच बजे जग जाते थे। रविवार की सुबह वे जब नहीं जागे तो उन्हें जगाने के लिए उसने आवाज लगाई। इस आवाज पर कमरे के अंदर से कोई हरकत नहीं हुई तो उसने मकान मालिक संजय कुमार झा को फोन से इसकी सूचना दी। मकान मालिक व अन्य बैंक कर्मियों के पहुंचने पर उनके कमरे के दरवाजे को खोला गया तो वे अपने बिस्तर पर मृत पड़े थे।

हंसते-मुस्कुराते लीची लेकर निकले थे बैंक से

एसबीआइ मीनापुर शाखा के प्रबंधक के रूप में वर्ष 2018 से कार्यरत सुजीत कुमार दास मृदुभाषी व काफी मिलनसार प्रवृति के थे। उनके सहयोगियों ने बताया कि शनिवार की शाम बैंक का कार्य निबटाने के वे बाद हंसते-मुस्कुराते हुए लीची लेकर अपने डेरा के लिए रवाना हुए थे। उनकी मौत पर उनके सहयोगियों व मीनापुर के लोगों में शोक की लहर है। अंतिम दर्शन के लिए बड़ी संख्या में लोग उनके आवास पर पहुंचे।  


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