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East Champaran News: पान के पत्तों के साथ उड़े किसानों के चेहरे की रंगत, करीब 15 लाख की फसल का नुकसान

East Champaran News अधिक ठंड पाला व कोहरे के कारण नष्ट हो रहे पान के पत्ते करीब 15 लाख की फसल का नुकसान । इससे मायूस पान उत्पादक किसान सरकार से मुआवजे की मांग कर रहे हैं।

By Murari KumarEdited By: Published: Fri, 22 Jan 2021 01:16 PM (IST)Updated: Fri, 22 Jan 2021 01:16 PM (IST)
East Champaran News: पान के पत्तों के साथ उड़े किसानों के चेहरे की रंगत, करीब 15 लाख की फसल का नुकसान
मोतिहारी। पान के खराब हो रहे पत्तियों को दिखाता किसान।
तेतरिया (पूच) [मनोज कुमार सिंह]।  कड़ाके की सर्दी, घना कोहरा व पाला का सर्वाधिक असर तेतरिया क्षेत्र में पान की फसल पर देखा जा रहा है। पाला की मार से पान के पत्ते खराब हो गए हैं। वहीं, पत्ते सूखकर नीचे गिर रहे हैं। तेतरिया क्षेत्र में कई किसान परिवार पान की खेती पर ही निर्भर हैं। यहां करीब दस-पंद्रह एकड़ में पान की खेती होती है, लेकिन इस साल दिसंबर व जनवरी में पड़ी कड़ाके की सर्दी के कारण पाला पड़ा और पान के साथ-साथ किसानों के चेहरे की रंगत भी उड़ गई। पाला से इन क्षेत्रों में 90 प्रतिशत से अधिक पान की फसल खराब हो गई है। करीब 15 लाख के तैयार पान की फसल के नुकसान का अनुमान है।
यहां होती है पान खेती
इलाके के तेतरिया, भगवानपुर , सिरोही, घेघवा सहित अन्य गांव मे बङे पैमाने पर किसान अपनी तथा लीज पर खेत लेकर अच्छी लागत से बरेव (पान के घर ) बनाकर कतारबद्ध व साफ-सफाई के साथ उच्च तकनीकी से पान के पौधे की विभिन्न प्रजातियों की खेती करते हैं। इससे सलाना अच्छी आमदनी भी होती है। यहां के पान शिवहर, सीतामढ़ी, मुजफ्फरपुर, बेतिया, मोतिहारी तथा पटना तक जाता है। लग्न के दिनों में तो नेपाल के व्यवसाई भी खेतों तक आ जाते हैं। इस वर्ष कोरोना की मार झेल रहे किसान को पाला से दोहरी मार झेलनी पड़ रही है। जानकार बताते हैं 12 डिग्री सेल्सियस तापमान पर इसकी खेती की जाती है। इससे अधिक ठंडक होने के बाद पौधों को नुकसान होता है। इधर लगातार ठंड से पान के पत्ते पर चितेदार हो गए हैं। पत्ते पर काले-काले धब्बे आ गए हैं। वहीं, पौधे से स्वत: पते गिर रहे हैं। अपने तैयार पत्तों की बर्बादी देख किसान परिशान हैं।
क्या कहते हैं किसान
स्थानीय किसान शंभू प्रसाद, ललन प्रसाद, प्रभु प्रसाद, मदन चौरसिया, अनोज चौरसिया सहित अन्य बुजुर्ग किसानों का कहना है पाला पड़ने से पान की फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई है। कृषि विभाग के अफसर भी मान रहे हैं कि पाला पड़ने से पान में बड़ा नुकसान हुआ है, लेकिन अब तक इसका सर्वे नहीं किया गया है। पशु चौरसिया, अंगद चौरसिया एवं सुभाष चौरसिया का कहना है कि पिछले दो वर्ष पूर्व 2018 में सरकार ने पान किसानों को मुआवजा के लिए पूर्वी चंपारण में तीन लाख रुपए भेजे। परंतु जिला से अभी तक किसी भी किसान को शीतलहर से नुकसान का मुआवजा नहीं मिला है। प्रभु प्रसाद, कुंदन कुमार, विजय चौरसिया, संतोष चौरसिया, प्रफुल चौरसिया, अशोक चौरसिया, यमुना प्रसाद आदि ने भी अपनी समस्याओं की चर्चा करते हुए मुआवजा राशि की मांग की है।

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