VIDEO : बंधक रहे भारतीय ने कहा, नेपाली पुलिस चाह रही थी पैसे, नहीं मिले तो घसीटते हुए ले गए
India-Nepal Tension बोले लगन राय नेपाली क्षेत्र में नहीं घुसा था। झूठा जुर्म कबूलने के लिए बेरहमी से पीटा। सख्ती के बाद नतमस्तक हुआ नेपाल।
सीतामढ़ी, जेएनएन। भारत सरकार ने जब तेवर सख्त किए तो नेपाल ने बंधक बनाए गए भारतीय लगन राय को शनिवार तड़के चार बजे मुक्त कर दिया। सोनबरसा थानाध्यक्ष राकेश रंजन व सोनबरसा बीडीओ ओमप्रकाश देररात नेपाली सशस्त्र प्रहरी बल (एपीएफ) की संग्रामपुर में उन्हें छावनी से अपने कब्जे में लिया। पिता को लेने पुत्र भी साथ गया था।
एपीएफ ने बेरहमी से पिटाई की
एसएसबी-51वीं बटालियन के जवान व अधिकारी बॉर्डर से अंदर नहीं जा सके। एपीएफ ने भारतीय पुलिस पदाधिकारी व प्रशासन की ओर से भेजे गए पदाधिकारी की उपस्थिति में लगन राय के बेटे से लिखितनामा लिया। उससे लिखवाया कि मैं अपने पिता को सही सलामत हालत में पाकर अपने साथ हिंदुस्तान ले जा रहा हूं। जबकि, लगन राय को एपीएफ ने बेरहमी से पिटाई की थी।
वीडियो में देखें नेपाली पुलिस की बर्बरता के बारे में क्या कहा लगन राय ने
नेपाल के संग्रामपुर कैंप में बंधकर बनाकर रखे गए लगन राय को एपीएफ ने बुरी तरह पीटा। बंधक बनाने के मामले में नेपाल के बैकफुट पर आने के बाद एपीएफ यह साबित करने में जुट गई कि लगन राय को नेपाल क्षेत्र में घुसने पर पकड़ा गया था। इसीलिए लगन राय पर यह कहने के लिए दबाव बनाने लगी कि उसे नेपाल क्षेत्र में घुसने पर पकड़ा गया।
सामने आई नेपाली पुलिस की बर्बरता की दास्तां
सीतामढ़ी जिले के सोनबरसा थाना क्षेत्रान्तर्गत जानकीनगर निवासी लगन राय अब अपने घर लौट चुके हैं। नेपाली पुलिस ने उन्हीं को पीटकर बधक बना लिया था और संग्रामपुर में अपने कब्जे में रखा। छूटने के बाद लगन राय को सोनबरसा पीएचसी में ले जाया गया और उनकी स्वास्थ्य जांच कराई गई। लगन राय के पूरे बदन पर जख्मों के निशान मिले हैं। वे अपने ज्येष्ठ पुत्र शत्रुघ्न राय के साथ बॉर्डर पर अपनी बहू से मिलने गए थे। उनके छोटे पुत्र विनय राय की पत्नी अंचला देवी अपनी मां जयकुमारी व स्वजनों के साथ ससुर-भैंसूर से मिलने आई थीं। मिलने देने से रोकने में कहासुनी के बाद नेपाली सैनिकों ने बर्बरता दिखाई। बाद में अंधाधुंध फायरिंग की। जिसमें खेतों में काम कर रहे सोनबरसा के जानकी नगर टोले लालबंदी निवासी नागेश्वर राय के 25 वर्षीय पुत्र विकेश कुमार की मौत हो गई थी।
दैनिक जागरण की सूचना सही थी
मुक्त होकर लौटे लगन राय ने जो आपबीती सुनाई, दैनिक जागरण ने भी वही बात बताई थी। उनका कहना है कि हमलोग बॉर्डर पर अपने रिश्तेदार से मिल रहे थे। नेपाली पुलिस बॉर्डर से भगाना चाह रही थी। मिलने देने के लिए वे लोग पैसे चाह रहे थे। हमलोगों ने थोड़ी देर की मोहल्लत मांगी तो एपीएफ वाले मेरे लड़के को पीटने लगे। मुझको भी बंदूक के कुंदे से पीटा और घसीटते हुए बॉर्डर से सौ मीटर दूर ले जाकर अपनी जीप में ले गए। उसके बाद संग्रामपुर कैंप ले गई। वहां बुरी तरह पीटा। नेपाली पुलिस की बर्बरता देखकर बॉर्डर पर क्रिकेट खेल रहे कुछ युवकों व खेतों में काम कर रहे लोगों ने विरोध करना चाहा। इस पर पुलिस ने फायरिंग शुरू कर दी।