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इस परिवार के सभी सदस्य आपस में करते संस्कृत में बातचीत, बाहर से आए लोग चकित हुए बिना नहीं रहते

संस्कृत को जिंदा रखने के लिए वर्षों से संघर्षशील है पश्चिम चंपारण का यह परिवार। चंपारण के दो परिवारों में बच्चे भी संस्कृत में करते अतिथियों का स्वागत।

By Murari KumarEdited By: Published: Wed, 05 Aug 2020 09:51 AM (IST)Updated: Wed, 05 Aug 2020 09:51 AM (IST)
इस परिवार के सभी सदस्य आपस में करते संस्कृत में बातचीत, बाहर से आए लोग चकित हुए बिना नहीं रहते
इस परिवार के सभी सदस्य आपस में करते संस्कृत में बातचीत, बाहर से आए लोग चकित हुए बिना नहीं रहते

पश्चिम चंपारण, [सुनील आनंद]। संस्कृत सभी भाषाओं की जननी है। लेकिन, अपने ही देश में उपेक्षित है। इतना कि कोई संस्कृत में बात करता दिख जाए तो हम आश्चर्य में पड़ जाते हैं। पश्चिम चंपारण जिले का आधा दर्जन परिवार इसका अपवाद है। यहां परिवार के सभी सदस्य आपस में संस्कृत में वार्तालाप करते हैं। छोटे- छोटे बच्चे भी धाराप्रवाह संस्कृत बोलते हैं।

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 जिले में मझौलिया प्रखंड दूधा मठिया गांव निवासी संजीव कुमार राय ने अपना पूरा जीवन ही संस्कृत की सेवा के लिए समर्पित कर दिया है। उनका पूरा परिवार संस्कृत के प्रचार प्रसार के लिए काम करता है। फिलहाल वे संस्कृत के क्षेत्र में काम करने वाली देश की अग्रणी संस्था संस्कृत भारती के काशी क्षेत्र के संगठन मंत्री के रूप में कार्य कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश में संस्कृत की गतिविधियों को पूरी जिम्मेदारी के साथ निभा रहे हैं। वहीं बगहा एक प्रखंड के बाड़ी पट्टी बनकटवा निवासी देवनिरंजन दीक्षित के घर में अतिथि का स्वागत हाय हेल्लो से नहीं बल्कि नमो नमः और नमस्कारः से होता है।

सात वर्ष का बच्चा बोलता धारा प्रवाह संस्कृत

बगहा बाड़ीपट्टी बनकटवा निवासी देवनिरंजन दीक्षित ने बताया कि संस्कृत भारती से मिली प्रेरणा के आधार पर बगहा जैसे कस्बाई शहर में उन्होंने संस्कृत के प्रचार - प्रसार के लिए वर्ष 2008 में कार्य आरंभ किया। पहले अपने परिवार में संस्कृत में वार्तालाप करने को अनिवार्य किया। उसके बाद इसका प्रसार आरंभ हुआ। अभी बगहा बाजार में शुभ्रांशुधर मिश्र, गोरखप्रसाद उपाध्याय समेत कई परिवारों के सदस्य आपस में संस्कृत में वार्तालाप करते हैं। वे लोग भी संस्कृत के प्रचार - प्रसार में अपना योगदान दे रहे हैं।

संस्कृत बोलना कठिन नहीं

बगहा बाड़ीपट्टी बनकटवा निवासी देवनिरंजन दीक्षित की धर्मपत्नी प्रीति दीक्षित का कहना है कि संस्कृत को लेकर लोगों के मन में गलत भ्रांति है। इसे कठिन विषय माना जाता है। लेकिन, ऐसा है नहीं। उनका कहना है कि वर्ष 2011 में उनकी शादी हुई। जब ससुराल आईं तो यहां परिवारजनों को संस्कृत में वार्तालाप करते देख अचंभित हुईं। किंतु महज तीन महीनों के प्रयास में वह धारा प्रवाह संस्कृत बोलती हैं। अपने दोनों बच्चों शिवांशदेव दीक्षित(07) एवं रुद्रांश दीक्षित (04) को भी संस्कृत बोलना सीखा दिया है।

चंपारण के लाल ने दिल्ली में संस्कृत को दिलाई ख्याति

पिछले वर्ष दिल्ली में संस्कृत विश्वसम्मेलन का आयोजन किया गया था। जिसमें दुनिया के 21 देशों के प्रतिनिधि आए थे। इस कार्यक्रम में देश के उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू की भी उपस्थिति रही थी। कार्यक्रम का संचालन मझौलिया प्रखंड दूधा मठिया गांव निवासी संजीव कुमार राय ने किया था। उनका कहना है कि व्याकरण, शब्द भंडार और वैज्ञानिकता की दृष्टि से भी यह भाषा सर्वश्रेष्ठ है। संस्कृत भारती द्वारा संचालित दिल्ली की संवादशाला में लोगों को सरल तरीके से संस्कृत बोलना भी सिखाया जाता है।


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