नहाय-खाय के साथ चार दिनों तक चलने वाला छठ महापर्व शुरू
सोमवार को नहाए खाए से पर्व की शुरुआत हो गई है। मंगलवार को खरना किया जाएगा। बुधवार की शाम व 11 नवंबर की सुबह भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। आचार्य बबलू झा ने बताया कि अथर्व वेद में भी इस पर्व का उल्लेख है।
बेतिया, जासं। इस साल छठ का पावन पर्व आज सोमवार से शुरू हो गया । छठ का यह महापर्व चार दिनों तक चलेगा। इस पर्व को लोग हर्षोल्लास के साथ मना रहे हैं। छठ व्रत में व्रती पूरे 36 घंटे निर्जला रहते हैं। इसके लिए दीपावली से ही लोगों के घर का माहौल सात्विक हो जाता है। छठ घाट समिति के सदस्य विशाल सिंह ने बताया कि जिनके घरों में छठ पूजा होती है उनके घरों में दीपावली के पूर्व से ही प्याज लहसुन का सेवन बंद हो जाता हैं। कई व्रती तो कार्तिक मास आरंभ होने के साथ ही प्याज लहसुन का सेवन बंद कर देते हैं। छठ का यह महापर्व चार दिनों तक चलता है।
इस बार छठ पूजा को लेकर काफी उत्साह है। क्योंकि पिछले वर्ष कोरोना कहर के कारण बाजार की रौनक खत्म हो गई थी। इस बार थोड़ी छूट मिली है। जिसके कारण आस्था का महत्व पूर्ण एवं पावन पर्व छठ को लेकर बाजार में रौनक देखा जा रहा है। घाटो पर भी सूर्य नारायण को अर्घ्य देने के विशेष व्यवस्था की जा रही हैं। यहां बता दें कि आज सोमवार को नहाए खाए से पर्व की शुरुआत हो गई है। मंगलवार को खरना किया जाएगा। बुधवार की शाम व 11 नवंबर की सुबह भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। आचार्य बबलू झा ने बताया कि अथर्व वेद में भी इस पर्व का उल्लेख है। ऐसी मान्यता है कि छठ व्रत करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। श्रद्धालु आरोग्य, पुत्र प्राप्ति, अखंड सौभाग्य और सुख-समृद्धि के लिए लोग इस व्रत को करते हैं। इसका प्रारंभ महाभारत काल में कुंती द्वारा सूर्य की आराधना कर पुत्र की प्राप्ति के समय का माना जाता है।
खरना की विधि
खरना के दिन व्रती दिन भर व्रत रखती हैं और शाम के समय लकड़ी के चूल्हे पर साठी के चावल और गुड़ की खीर बनाकर प्रसाद तैयार करती हैं। फिर सूर्य भगवान की पूजा करने के बाद व्रती महिलाएं इस प्रसाद को ग्रहण करती हैं। उनके खाने के बाद ये प्रसाद घर के बाकी सदस्यों में बांटा जाता है।