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मुजफ्फरपुर की प्रसिद्ध शाही लीची अब ऑनलाइन मिलेगी, चल रही यह तैयारी

कोरोना संक्रमण के चलते बिक्री में नहीं होगी परेशानी उन्नत लीची कार्यक्रम के तहत उपलब्ध कराया गया प्लेटफार्म । चार हजार किसानों को जोड़ा गया दुबई भेजने के लिए वहां के 10 व्यापारियों से किया गया संपर्क ।

By Ajit KumarEdited By: Published: Sun, 25 Apr 2021 07:26 AM (IST)Updated: Sun, 25 Apr 2021 07:26 AM (IST)
मुजफ्फरपुर की प्रसिद्ध शाही लीची अब ऑनलाइन मिलेगी, चल रही यह तैयारी
उत्तर बिहार में 28 हजार हेक्टेयर में लीची की खेती होती है।

मुजफ्फरपुर, [अमरेंद्र तिवारी]। कोरोना संक्रमण के दौर में मुजफ्फरपुर की शाही लीची की मार्केटिंग का तरीका भी बदल गया है। राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र की मदद से इसे ऑनलाइन बेचने की तैयारी है। इसके लिए चार हजार लीची किसानों को जोड़ा गया है। लीची को दुबई भेजने के लिए वहां के 10 व्यापारियों से संपर्क किया गया है। दूसरी ओर, कई किसान अपने स्तर से सौदा कर रहे हैं।

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उत्तर बिहार में 28 हजार हेक्टेयर में लीची की खेती होती है। इससे तकरीबन 40 हजार किसान परिवार जुड़े हैं। बीते साल फरवरी में राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र ने 'उन्नत लीची' कार्यक्रम की शुरुआत की थी। इसका मकसद बागानों का उन्नयन, लीची का उत्पादन दोगुना करना तथा बाजार उपलब्ध कराना था। उन्नत लीची कार्यक्रम के प्रबंधक अभिनव विवेक ने बताया कि उत्तर बिहार के सबसे ज्यादा लीची उत्पादक जिलों मुजफ्फरपुर, मोतिहारी, समस्तीपुर व वैशाली के चार हजार किसान जुड़े हैं। 15 मई से लीची बाजार में आने की उम्मीद है। सीधे बाग से बाजार तक पहुंचाया जाएगा। किसानों का अच्छा दाम मिलेगा।

इन बाजारों में पहुंचाने की खास तैयारी

लीची को बिहार के प्रमुख शहरों के साथ बनारस, लखनऊ, दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु और रांची के बाजार में पहुंचाने की तैयारी है। इसके साथ दुबई के बाजार में भी लीची जाएगी। इसके लिए वहां के 10 व्यापारी संपर्क में हैं। लीची को कोरगेटेड बॉक्स (गत्ते से निर्मित) में पैक किया जाएगा। नीचे और ऊपर लीची के पत्ते और बीच में फल को रखा जाता है। इससे लीची एक सप्ताह तक सुरक्षित रह सकती है।

अभिनव विवेक ने बताया कि किसानों के लिए बने एक एप के जरिए बाजार उपलब्ध कराया जाएगा। एप के जरिए ऑनलाइन आर्डर किया जा सकेगा। बीते साल डाक विभाग और बागवानी विभाग ने घर तक शाही लीची पहुंचाने का काम किया था। हार्टिकल्चर विभाग की वेबसाइट पर आर्डर लिया जा रहा था। दूसरी ओर, उद्यान रत्न किसान भोलानाथ झा ने दिल्ली के व्यवसायी हाजी नूर मोहम्मद को लीची बेचने का सौदा किया है। उन्होंने 14 एकड़ में फसल लगाई है। हर साल खुद पैकिंग करते थे। इस बार यह काम व्यवसायी करेंगे। किसान शंभूनाथ चौबे से स्थानीय व्यापारी संपर्क में हैं।

राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र के निदेशक डॉ. एसडी पांडेय ने बताया कि लीची उत्पादक किसानों को सहयोग व बाजार उपलब्ध कराने के लिए उन्नत लीची कार्यक्रम चल रहा है। इसके जरिए लीची उत्पादक किसानों के साथ बाग से लेकर बाजार प्रबंधन तक का समन्वय बनाया गया है। 


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