गन्ना रोपण की नई तकनीकी से सुधरेगी किसानों की आर्थिक स्थिति
बगहा। गन्ना रोपण की नई तकनीकी से किसानों की आर्थिक स्थिति सुधरेगी। क्षेत्र के दर्जनों किसान इस तकनीकी का प्रयोग कर रहे हैं।
बगहा। गन्ना रोपण की नई तकनीकी से किसानों की आर्थिक स्थिति सुधरेगी। क्षेत्र के दर्जनों किसान इस तकनीकी का प्रयोग कर रहे हैं।
गन्ना की खेती क्षेत्र के किसानों के लिए एक मात्र आर्थिक स्थिति सुधार के लिए आवश्यक बनती रही है। लगभग दस वर्षों से गन्ना की खेती किसानों के लिए काफी खर्चीला बन गया था। गन्ना किसानों के लिए महत्वपूर्ण नकदी फसल होने के कारण वे परंपरागत गन्ना की खेती करने को विवश थे। अन्य फसलों की तरह जब गन्ना की खेती भी खर्चीली होती गई तो किसानों की चिता काफी बढ़ गई थी। हालांकि इस चिता को दूर करने की तरफ चीनी मिल के अधिकारी भी आगे आए। बीच बीच में गन्ना की उच्च उपजी बीज किसानों को मुहैया कराया गया। जिससे उपज में तो वृद्धि हुई। परंतु खाद व सिचाई पर भी खर्च बढ़ा। इस दिशा में नवीनतम तकनीकी हरिनगर चीनी मिल के अधिकारियों ने लाया।
नई तकनीकी में गन्ना के बीज का एक एक आंख को अलग अलग करके नई तकनीकी से गन्ना की पौध तैयार की जाने लगी। इस बाबत बसवरिया पंचायत के किसान नर्मदेश्वर उपाध्याय,शत्रुधन चौबे व रामेश्वर साह ने बताया कि गन्ना में से एक एक आंख को अलग अलग कटिग कर एक प्लास्टिक के बर्तन जिसमें गिलास नुमा भाग बना है, रखते हैं। जिससे गन्ना के बीज की मात्रा में कमी आई। गोबर की खाद,नारियल का बुरादा, कोको पीट,बालू व पोटाश मिलाकर उसमें गन्ना की एक आंख वाला बीज रोपते हैं। लगभग 22 से 25 दिन में गन्ना के बिचड़े तैयार हो जाते हैं। फिर तीन कट्ठा में एक क्विटल बीज के हिसाब से गन्ना बीज का रोपण आधुनिक तरीके से खेत की मिट्टी तैयार करने के बाद रोपते हैं। जिससे बीज में दो तिहाई की बचत होती है। इस प्रकार तैयार फसल की उपज 30 से 40 क्विटल प्रति कट्ठा के दर से होता है। यदि इस पद्धति से किसान व्यापक रूप से खेती करे तो निश्चित रूप से पुन: गन्ना की नकदी फसल में क्रांति आएगी व किसानों की स्थिति सुधरेगी।