बूढ़ी गंडक के दाएं तटबंध की जर्जरता मचाएगी तबाही, अबतक शुरू नहीं हो सकी मरम्मत Muzaffarpur News
बांध पर बने बड़े-बड़े रेनकट जस के तस मरम्मत के नाम पर प्रतिवर्ष होता करोड़ों का वारा-न्यारा रेड जोन में भी नहीं विभाग का ध्यान।
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। बरसात का मौसम दस्तक देने लगा है, लेकिन मुरौल के बूढ़ी गंडक के दाएं तटबंध का रेनकट यथावत है। तटबंध मरम्मत अबतक शुरू नहीं हो सकी है। बूढ़ी गंडक के दाएं तटबंध की जर्जरता कहीं तबाही न मचा दे, इसे लेकर लोग अभी से ही सशंकित हैं। यूं तो बाढ़ सुरक्षा के नाम पर जल संसाधन विभाग प्रतिवर्ष करोड़ों रुपए खर्च करता है, लेकिन लोगों की परेशानी कम होती नहीं दिख रही।
इधर, बाढ़ की भनक लगते ही विभागीय ठेकेदारों के चेहरे पर रौनक आ गई है। बता दें कि प्रतिवर्ष फ्लड फाइटिंग के तहत बांध मरम्मत की जाती है। जगह-जगह मिट्टी से भरे बोरे स्टॉक किए जाते हैं तथा बांध पर बने गड्ढों को भरा जाता है। इस बार भी बांध पर बड़े-बड़े रेनकट हैं।
जल संसाधन विभाग के कनीय अभियंता विनोद सिंह ने भी माना कि बूढी गंडक नदी का दायां बांध बिल्कुल जर्जर हो चुका है। उन्होंने बताया कि बांध के रेड जोन वाले इलाके में अहतियात बरती जा रही है। बोरे मे मिट्टी भरकर चिन्हित जगहों पर 5-5 हजार बोरा स्टॉक किया जा रहा है।
रेडजोन में बांध कटने की रहती आशंका
जल संसाधन विभाग ने रेडजोन वाले इलाके को चिह्नित किया है जिनमें मुशहरी, मनिका, रजवाड़ा, नरौली, बैकटपुर, मुरौल के दरधा, महमदपुर दामोदर, पिलखी, ढोली, बलुआ जैसे गांव शामिल हैं। यहां अधिक सतर्कता बरती जा रही है।
फ्लड फाइटिंग में लापरवाही
पहले बांध पर बने बड़े-बड़े गड्ढों को भरने की बजाए 5-5 हजार बोरे स्टॉक किया जा रहा है। लोगों का मानना है कि बाढ़ एवं बरसात का मौसम आ गया है। इसलिए पहले रेनकट, चूहे एवं सियार के मांद को बंद करना चाहिए। अगर ऐसा नहीं किया गया तो बांध पर काबू पाना मुश्किल हो जाएगा। चूहे व सियार की मांद से ही पानी का रिसाव शुरू हो जाएगा।