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पश्चिम चंपारण के पशु सखियों के प्रयास से रुकी बकरियों की मौत, 20 रुपये में इलाज

बेतिया में पशु सखी बन बकरियों का इलाज कर रहीं जीविका दीदी। 40 पशु सखियां 876 बकरी पालकों के लिए बनीं खुशहाली का आधार। वाल्मीकि टाइगर रिजर्व से सटे गौनाहा प्रखंड में 60 फीसद से ज्यादा लोग बकरी और मुर्गी पालन जुड़े हैं।

By Ajit KumarEdited By: Published: Thu, 24 Jun 2021 08:47 AM (IST)Updated: Thu, 24 Jun 2021 08:47 AM (IST)
पश्चिम चंपारण के पशु सखियों के प्रयास से रुकी बकरियों की मौत, 20 रुपये में इलाज
इलाज की सही व्यवस्था नहीं होने से 45 फीसद बकरियां बीमारी से मर जाती थीं। फोटो- जागरण

भितिहरवा (पश्चिम चंपारण), दीपेंद्र बाजपेयी। जीविका दीदियां अब मास्क बनाने या अन्य छोटे-मोटे कार्यों तक ही सीमित नहीं हैं। वे पशु सखी के रूप में भी काम कर रही हैं। उनके प्रयास से जिले के बकरी पालकों को फायदा मिल रहा है। बकरियों की मौत में कमी आई है। महंगे इलाज व दर-दर भटकने वाले अब 10 से 20 रुपये में बकरियों का इलाज करा रहे। वाल्मीकि टाइगर रिजर्व से सटे गौनाहा प्रखंड में 60 फीसद से ज्यादा लोग बकरी और मुर्गी पालन जुड़े हैं। जानकारी की कमी और इलाज की सही व्यवस्था नहीं होने से 45 फीसद बकरियां बीमारी से मर जाती थीं। ऐसे में ग्रामीण विकास विभाग ने जीविका से जुड़ी महिलाओं को पशु चिकित्सक के रूप में प्रशिक्षण देने का निर्णय लिया। जीविका के प्रखंड परियोजना प्रबंधक कुणाल कुमार सिंह ने बताया कि जिला मुख्यालय पर जीविका दीदी को पांच दिन का प्रशिक्षण दिया जाता है। इसमें बुखार, अधपका और मुंहपका के इलाज के अलावा टीकाकरण की जानकारी दी जाती है। गंभीर बीमारी होने पर पशु चिकित्सकों की मदद ली जाती है। पिछले एक साल में गौनाहा में 40 पशु सखियां तैनात हुई हैं। ये प्रखंड के 876 पालकों की बकरियों के पोषण व स्वास्थ्य के साथ उचित मूल्य पर बिक्री में सहयोग करती हैं।

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गौनाहा में 39 बकरी उत्पादक समूह गठित

जीविका पशुधन परामर्शदाता सह पशु चिकित्सक डॉ. डीपी भगत बताते हैं कि गौनाहा में 39 बकरी उत्पादक समूह हैं। बकरियों की मौत से समूह को काफी क्षति होती थी, लेकिन बीते एक साल में बदलाव आया है। मंगुराहां की गायत्री देवी कहती हैं कि बकरियों की बीमारी व इलाज को लेकर अब चिंता नहीं रहती। पशु सखी अंजली देवी का कहना है कि पहले बकरी के मरने के डर से ज्यादा लोग नहीं पालते थे, अब स्थिति बदली है।

जीविका जिला पशुधन प्रबंधक अभिषेक कुमार सिंह का कहना है कि पिछले तीन-चार वर्षों में पशु सखियों की बदौलत बकरी पालक परिवारों की आॢथक स्थिति सुधरी है। गौनाहा बकरी पालन में सूबे में मॉडल प्रखंड है। यहां बकरी मीट प्रोसेसिंग कंपनी की स्थापना की भी योजना है। जिला परियोजना प्रबधंक जीविका, अविनाश कुमार का कहना है कि एक पशु सखी महीने में पांच से सात हजार कमा लेती है। दूसरी पशु सखियों को प्रशिक्षित करने पर इन्हेंं एक दिन का 500 रुपये मिलता है। 


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