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Muzaffarpur News: शहरवासियों पर समस्याओं की मार, लोग पूछ रहे सवाल- कहां है निगम की सरकार

Muzaffarpur Newsसमस्याओं से मुक्ति दिलाने को निगम के पास नहीं है कोई प्लान महापौर एवं उनकी कैबिनेट आरोप-प्रत्यारोप में व्यस्त जनता के निशाने पर वार्ड पार्षद।

By Murari KumarEdited By: Published: Tue, 04 Aug 2020 01:51 PM (IST)Updated: Tue, 04 Aug 2020 05:56 PM (IST)
Muzaffarpur News: शहरवासियों पर समस्याओं की मार, लोग पूछ रहे सवाल- कहां है निगम की सरकार
Muzaffarpur News: शहरवासियों पर समस्याओं की मार, लोग पूछ रहे सवाल- कहां है निगम की सरकार

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। शहरवासी संकट में है। उनपर समस्याओं की चौतरफा मार हो रही है। एक तरफ शहरवासी पिछले पांच माह से कोरोना वायरस के संक्रमण से लड़ रहे हैं तो दूसरी ओर जलजमाव ने उनका जीना मुहाल कर दिया है। उनको गंदगी, पेयजल की किल्लत, मच्छरों के दंश का भी सामना करना पड़ रहा है। इन समस्याओं से मुक्ति दिलाने की जिम्मेवारी नगर निगम की है और निगम को चलाने की जिम्मेवारी निगम के सरकार की। लेकिन पिछले पांच माह से निगम की सरकार कहा है। शहरवासियों को इन समस्याओं से निजात दिलाने के लिए निगम की सरकार ने अब तक कौन से कदम उठाया है।

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 महापौर एवं उनकी कैबिनेट के सदस्य कहां है। यह सवाल शहरवासी पूछ रहे है। सरैयागंज निवासी जयप्रकाश गुप्ता ने कहा कि महापौर एवं उनकी टीम के सदस्यों को जनता की पीड़ा से कोई लेना देना नहीं। वे तो बस अपनी नाकामी छिपाने के लिए अधिकारियों पर काम नहीं करने का आरोप-प्रत्यारोप लगाने में लगे। निगम की सरकार को यह बताना चाहिए की अपने कार्यकाल में कौन से ऐसे उपाय किए।

 बालूघाट निवासी राजेश सहनी ने कहा कि शहरवासी संकट में है। न तो कारेाना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए नियमित दवा का छिड़काव किया जा रहा है और न ही जलजमाव के कारण बढ़े मच्छरों के प्रकोप को रोकने के उपाए किए जा रहे हैं। महापौर एवं सशक्त स्थायी समिति के सदस्यों ने कभी भी जलजमाव एवं अन्य समस्याओं को लेकर न चर्चा की और न ही कोई योजना बना सकी। किसी काम की नहीं है यह निगम की सरकार। 

इस बारे में महापौर सुरेश कुमार ने कहा कि निगम बोर्ड, सशक्त स्थायी समिति योजना बना सकती है। समस्याओं को दूर करने के लिए फैसले ले सकती है। लेकिन उनके फैसलों के कार्यान्वयन का संपर्ण जवाबदेही अधिकारियो के पास है। बोर्ड एवं समिति में लिए गए फैसलों पर अमल हुआ होता तो यह हालत नहीं होती। 


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