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VIDEO : दिन ब दिन खराब होती जा रही शीतलपुर सेलर उद्योग से जुड़े लोगों की स्थिति

सेलर उद्योग से जुड़े हैं प्रखंड की जोकियारी व हरनाही पंचायत के लोग। स्व. वासुदेव शर्मा हैं इसके जनक। नेपाल के नारायणघाट से इस तकनीक को सीखकर अपने गांव शीतलपुर में की थी शुरुआत।

By Ajit KumarEdited By: Published: Sat, 01 Aug 2020 02:33 PM (IST)Updated: Sat, 01 Aug 2020 02:33 PM (IST)
VIDEO : दिन ब दिन खराब होती जा रही शीतलपुर सेलर उद्योग से जुड़े लोगों की स्थिति
VIDEO : दिन ब दिन खराब होती जा रही शीतलपुर सेलर उद्योग से जुड़े लोगों की स्थिति

पूर्वी चंपारण, [विजय कुमार गिरि]। शीतलपुर सेलर उद्योग से जुड़े लोगों की माली हालत खराब होती जा रही है। इससे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से करीब दस हजार लोग जुड़े हैं। दोनों पंचायतों के पांच सौ परिवार सेलर यानी चावल बनाने वाली स्वचालित मशीन और ट्रैक्टर ट्रॉली पर मिनी राइस मिल का निर्माण करते हैं। इनकी आपूर्ति देश के विभिन्न प्रदेशों और विदेशों तक होती रही है। इन दिनों कच्चे माल यानी लोहा और उत्पादित समानों का खरीदार नही होने से उधोग संकट में है। भारत-नेपाल सीमा के रक्सौल प्रखंड की जोकियार और हरनाही पंचायत में स्थित इस उद्योग से जुड़े लोगों को तारणहार की आवश्यकता है।

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सबसे बड़ा राजस्व देने वाला गांव

उद्योग के संस्थापक सदस्यों और उनके परिवार के हरि कुमार शर्मा, पुनदेव शर्मा, ध्रुव कुशवाहा, अब्बुलैश, प्रमोद शर्मा, मो.एहतेशाम, प्रभु सिंह ने बताया कि एक अनुमान के मुताबिक इससे प्रतिवर्ष सौ करोड़ से अधिक का कारोबार होता था। विद्युत प्रमंडल का सबसे बड़ा राजस्व यानी प्रतिमाह 20 से 25 लाख इस उधोग से दिया जाता था। अब सात से दस करोड़ का कारोबार रह गया है। स्व.वासुदेव शर्मा नेपल के नारायणघाट में किसी करखाना में मजदूरी करते थे। इनके हुनर को देख फैक्ट्री मालिक ने इन्हें सेलर मशीन उत्पादन के लिए चीन प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए भेज दिया। आने के बाद नेपाल सेलर यानी राइस मिल का निर्माण कार्य जोरो से चल रहा था। इस बीच फैक्ट्री संचालक या किसी पहाड़ी समुदाय के लोगों ने इन्हें इंडियन कहकर अपमानित किया। इसके बाद गांव के लोगों की आर्थिक स्थिति सुधारने का संकल्प लिया। अपने पैतृक गांव में राइस मिल निर्माण कार्य 1982 में शुरू किया। इस कार्य में गांव के प्रत्येक परिवार के लोग जुड़ गए। अलग-अलग पार्ट का निर्माण शुरू किया। जिसे जोड़ कर उक्त मशीन का निर्माण बड़े पैमाने पर शुरू हो गया। इस पर संकट से आसपास के लोगो को यानी मजदूरी करने वालों के सामने संकट उत्पन्न हो गया है। कोरोना वायरस संक्रमण काल मे इस क्षेत्र में काम करने वाले मैकेनिक घर लौट गए हैं। जिससे मजदूरों की कमी है।

इसके लिए उचित मूल्य पर लोहा यानी आयरन और कच्चा पदार्थ सरकार उपलब्ध कराए तो यह उद्योग पुनः अपने नए तेवर में दिखेगा। इसके साथ ही चीन उत्पादित राइस मिलों के आयत पर भी रोक लगे। इससे स्वदेशी राइस मिल की बिक्री में तेजी देखने को मिलेगा। इसका भ्रमण 2012 में विकास यात्रा के दैरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किया था। इसे औद्यौगिक क्षेत्र घोषित कर आयरन की आपूर्ति के लिए डिपो खोलने और इसे बढ़ावा देने का आश्वासन दिया था।

प्रशासन से मदद की मांग

बीडीओ कुमार प्रशांत ने बताया कि जोकियारी पंचयात का उक्त गांव सर्वाधिक राजस्व देने वाला है। सेलर मिल देश-विदेश तक निर्यात होता है। इस कार्य से हजारों लोगों को रोजगार भी मिला है। फिलहाल कल कारखानों की स्थिति ठीक नही है। इस सबंध में सक्षम अधिकारी और जिला प्रशासन को अवगत कराया गया है। संभवना है शीघ्र ही यह क्षेत्र औद्योगिक नगर के रूप में विकसित होगा।  


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