गंडक में बढ़ रहा घड़ियालों का कुनबा, दो साल पहले 116 थी इनकी संख्या, बढ़कर 300 हुई
Crocodiles in Gandak River गंडक में घडिय़ालों की संख्या बढ़ रही है। उनके बच्चे नदी में तैरते दिखाई दे रहे हैं। लवकुश घाट गांव के समीप गंडक के डाउन स्ट्रीम में दो दर्जन से ज्यादा घडिय़ालों के बच्चे देखे गए हैं।
पश्चिम चंपारण [विवेक कुमार]। गंडक में घडिय़ालों की संख्या बढ़ रही है। उनके बच्चे नदी में तैरते दिखाई दे रहे हैं। लवकुश घाट गांव के समीप गंडक के डाउन स्ट्रीम में दो दर्जन से ज्यादा घडिय़ालों के बच्चे देखे गए हैं। इसे लेकर वाल्मीकि टाइगर रिजर्व प्रशासन खुश है।
वर्ष 2010 में तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय, घडिय़ाल कन्जर्वेशन एलायंस, वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया और वन एवं पर्यावरण विभाग बिहार सरकार सहित अन्य के संयुक्त तत्वावधान में वाल्मीकिनगर से सोनपुर तक गंडक में सर्वेक्षण किया गया था। इस दौरान वाल्मीकिनगर से डुमरिया घाट के बीच 10 घडिय़ालों का पता चला था। इनमें चार मादा व छह नर घडिय़ाल थे। इसके बाद 2012 में मुख्यमंत्री ने दिलचस्पी लेते हुए घडिय़ालों के पुनर्वास के लिए वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया से तकनीकी मदद मांगी थी।
पटना के संजय गांधी जैविक उद्यान जैसे स्थलों में रखे गए घडिय़ालों के प्राकृतिक प्रजनन के लिए गंडक में ऐसे सुरक्षित स्थानों को चिह्नित किया गया, जहां उन्हें छोड़ा जा सकता था। घडिय़ालों की पहचान के लिए एक निश्चित निशान देकर उच्च फ्रीक्वेंसी के रेडियो उपकरणों व सैटेलाइट ट्रांसमिशन जैसे निगरानी उपकरणों से जोड़ा गया। दो वर्ष पूर्व ऐसे 116 घडिय़ालों को गंडक में छोड़ा गया था।
मुख्य वन संरक्षक हेमकांत राय का कहना है कि घडिय़ालों को सुरक्षित माहौल दिया गया है। अब उनके अंडों से बच्चे निकलकर नदी में तैरते दिखाई दे रहे हैं। मार्च 2015 के सर्वेक्षण में गंडक में 54 घडिय़ाल पाए गए थे। वर्तमान में लगभग 300 घडिय़ाल हैं। यह वीटीआर के लिए सुखद है।