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East Champaran: सरोतर झील की बढ़ी रौनक, प्रवासी मेहमान पक्षियों का आगमन आरंभ

East Champaran नवंबर से मार्च तक रहता पक्षियों का बसेरा साइबेरिया व अन्य ठंडे प्रदेशों से आते पक्षीझील के सौंदर्यीकरण व विकास में सिस्टम उदासीन प्रतिबंध के बाद भी बड़े पैमाने पर होती शिकारमाही। यहां प्रवासी पक्षियों का आकर्षण देखते ही बनता है।

By Dharmendra Kumar SinghEdited By: Published: Tue, 23 Nov 2021 11:55 AM (IST)Updated: Tue, 23 Nov 2021 11:55 AM (IST)
East Champaran: सरोतर झील की बढ़ी रौनक, प्रवासी मेहमान पक्षियों का आगमन आरंभ
यहां प्रवासी पक्षियों का आकर्षण देखते ही बनता है।

डुमरियाघाट,पूच {अमित कुमार सिंह}। विदेशों में भारी बर्फबारी के कारण यहां प्रजनन एवं सुखद समय बिताने के लिए भारत में प्रवासी पक्षियों का आगमन जारी है। गुलाबी ठंड की शुरुआत के साथ ही उतर बिहार का चर्चित सरोतर झील विदेशी मेहमान साइबेरियन पक्षियों के इंतजार में पलक बिछाए हुए है। सात समंदर पार से मिलों दूर सफर तय कर रंग बिरंगे पक्षियों का झील में उतरना शुरू हो गया है। पक्षियों के चहचहाहट व कलरव से लोगों का मन प्रफुल्लित हो रहा है वही झील की रमणीयता बढ़ गई है। ठंड की शुरुआत होते ही नवंबर माह से यहां पक्षियों का आना शुरू हो जाता है। इन पक्षियों का प्रवास मार्च तक रहता है। रंग बिरंगे पक्षियों की करतल ध्वनि से झील की सुंदरता में चार चांद लग जाता है। रौनक बढ़ जाती है।

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प्रत्येक वर्ष दर्जनों प्रजाति के पक्षी यहां आते है। आनेवाले पक्षियों की संख्या सैकड़ो में नही बल्कि कई हजारों में होती है। इस झील में पांच माह के प्रवास के बाद गर्मियां शुरू होते ही अपने वतन को लौट जाते है। प्रवासी पक्षियों का आकर्षण देखते ही बनता है। पक्षियों का झील से उड़ान भरना अटखेलियां करना बहुत ही सुंदर व मनोरम दृश्य प्रस्तुत करता है। आस पास के गांवों के ऊपर जब पक्षियों का झुंड आसमान में उड़ता है तो देखते बनता है। मगर अफसोस यह है की झील के विकास व सौंदर्यीकरण के लिए शासन, प्रशासन व वन विभाग उदासीन है। पक्षियों के आगमन के साथ ही वन संरक्षण अधिनियम की धज्जियां उड़ाते धड़ल्ले से उनका शिकार होना शुरू हो जाता है। वही सब कुछ जानते हुए सिस्टम मौन धारण किए रहता है। 

कहां है यह झील 

नेशनल हाइवे- 27 धनगढहां चौक से पूरब करीब चार किमी दूरी पर अवस्थित है यह झील। यह झील करीब 267 एकड़ क्षेत्रफल में है फैला हुआ है। इसमें सालों भर गहरा पानी रहता है। यह झील सरोतर, बनपरुआ, नारायणपुर, पुरैना, सेम्भुआपुर, चांदपरसा आदि गांव से चारों तरफ से घिरा हुआ है। 

अभी क्या है स्थिति

 झील में अभी पक्षियों का उतरना शुरू हो चुका है। हालांकि अभी इनकी संख्या कम है। ठंड में वृद्धि और बारिश होने के साथ ही इनके आवक में काफी वृद्धि होने लगती है।

कौन कौन प्रजाति के आते हैं पक्षी 

 यहाँ मुख्य रूप से लालसर, दीघवच, कसुरार, डुमर, निलसर, डार्टर, ब्लैक नेकेड स्टॉक, कूट, किंगफिशर, मूर हेन, ग्रै हेरान, कॉमन इगरेट, लार्ज इगरेट, स्नालर इगरेट, लिटिस इगरेट, नाईट हेरान, लिटिल ग्रीब, शावलर, शिकरा, इजिप्शियन वल्चर, बार हेडेड गीज, पर्पल हेरान, टिल, पर्पल हेरान आदि प्रजाति के पक्षी प्रवास के लिए आते है। 

किन किन जगहों से आते है पक्षी

ठंडे इलाके वाले देश साइबेरिया, स्विट्जरलैंड, इंडो तिब्बत, वर्मा, थाईलैंड, जापान, रूस, अफगानिस्तान, मंगोलिया, इंडोनेशिया आदि देशों से प्रवासी पक्षी यहां पहुंचते है। 

शिकारमाही पर रोक के लिए क्या हुआ है अब तक इंतजाम 

शिकार पर रोक के लिए अब तक सेम्भुआपुर, धनगढहां आदि जगहों पर डिस्प्ले बोर्ड लगा कर शिकार नहीं करने का निर्देश दिया गया है। शिकार की सूचना पर वन विभाग गश्त करता है मगर नतीजा सिफर रहता है। वहीं इधर पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने राज्य सरकार के अपर मुख्य सचिव को पत्र लिखकर सेंट्रल एशियन फ्लाईवे एवं ईस्ट एशियन फ्लाईवे से होकर आने वाले प्रवासी पक्षियों के संरक्षण एवं उनके शिकार पर रोक के लिए डीएम एवं एसपी को निर्देशित किया था।

डीएम ने की कार्रवाई 

डीएम शीर्षत कपिल अशोक प्रवासी पक्षियों के शिकारमाही को लेकर काफी सख्त है। डीएम ने वन विभाग एवं सभी थाना को पत्र भेजकर प्रवासी पक्षियों के संरक्षण एवं उसके शिकारमाही पर रोक लगाने का सख्त निर्देश जारी किया है। अब देखना यह है की इस आदेश का अमल एवं असर कितना होता है। क्योंकि इस झील में वर्षों से व्यापक पैमाने पर शिकारमाही होता है। 


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